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प्रिंस कुमार ओझा जी के लिखल कुछ भोजपुरी रचना

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प्रिंस कुमार ओझा जी

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बरसत बाटे घनघोर रे सवनवा
बलमुआ हो रही कइसे भावानवा

चुअत बावे टप टप ओरीयानी
मन ना करे जाए के चुहानी
घेरे कारी बदरिया आसमनवा
रजउ हो कइसे रही भावानावा

बरसत बावे घनघोर रे सवानवा

रही रही गरजे आ ठनके बिजुरिया
छण मे आन्धरा छण मे अंजोरीया
त बताव पिया कइसे मानाइ हम मनवा
रजा हो कइसे रही हम भावानवा

जाए बेरा कहलऽ सावने मे आईब
आके तोहरा के झूलुआ झूलाइब
राजा मानी हमार कहनवा
बलम जी कइसे रही भवानावा

बरसत बावे घनघोर सावनावा
बलुमुआ कइसे रही भवनवा।

इहवा त तरपेले तोहरो मेहरीया
जइसे तरपे पानी बिन मछरीया
सजल सेजरिया धक धक करे मनावा
बलमुआ कइसे रही भवनावा।।

भइल बाटे पानी कर जन मनमानी
आव जल्दी से घरे ए राजाजानी
करइत आके रोपणिया दुर होइत सब परेशनिया
प्रिंस हो सजाना के साथे बिती ना सावनवा
बलुमूआ हो कईसे रही हम भवनवा।।

बलमु जा के बसी गइल जाके परदेश
नाही आइल चिठिया नाही कौनो सनेश

कबहू जालऽ दिल्ली कबहू बम्बे कलकता
फोनवो पर लागत नइखे तोहार पता
कटत बा जिनिगिया क्लेश मे
बलमु जाके बस गइल परदेश मे

कहलऽ कि जयपुर से चुनरी लेके आइब हो
धनिया तोहरा के देवघर घूमाइब हो
झूठही आस देके राखतारऽ पगली के भेष मे
बलमुआ हो जाके बस गइल परदेश मे

बलम जी जाके बसि गइल परदेश
नाही आइल चिठिया ना कौनो सनेश

कबहू जालऽ बैंगलोर आँखिया से बहेला लोर
काहे बनतारऽ एतना कठोर
राजा तूही त बारऽ हमार आस हो
बलमु जाके बसी गइल तुहू परदेश

दिने मे आसाम राते मे बंगाल
कबो पंजाब तूहू बातावेल
काहे हमारा के तूहू डहकावेल
रजउ कइनी हम कवन दोष
पियउ जाके बस गइल परदेश

बलम जी जाके बस गइल परदेश
नाही आइल चिठिया नाही कौनो सनेश

खिस अब छोड़ी आई अब घरवा
रहल जाइ दुनु बेकत जौरवा
प्रिंस हो जातारऽ त आपना यार के दे दीहऽ एगो सनेश
पियउ जाके बस गइले परदेश

शहरीया केतनो प्यारा होखे
गाँउवा त बार बार याद आवेला

डगरीया केतनो मुश्किल होखे
मनवा त ओनही जाए के चाहेला

ना जाने कौन जादू होला
गाँव के गलिया मे रखते पाँव
सब थाकान भाग जाला
बितल जमाना याद आवेला

उ बचपन याद अवेला
आपन इस्कुलिया खेत खरियानी
कबडी के खेल ईनरा के पानी
काली माई मंदिरिया के निमिया के उ छाँव याद आवेला
गाँउवा त बार बार याद आवेला

आउर का जाने केतना इयाद जुड़ल बा ओह जगह से
बाड़ी फुलवारी खेतवा के क्यारी
बिखरल बाटे हर उ जगह
प्रिंस हो साचहू बड़ी याद आवेला
गँउवा त बार बार याद आवेला।।

मजबूर बानी बाकिर मजबूरी नइखे
चलऽ अब छोड़ ई बात जौन अब जरूरी नइखे।।

आ गइलु तूं सब छोड़ के ठीके कइलु
काहे कि प्यार ला उ अब जरूरी नइखे।।

भागल भागल फिरत बानी हम जिंनगी के दौड़ मे
सब सब केहू जीत जाए ई जरूरी नईखे।।

नाकाम भइनी मोहब्बत मे त का भइल
उहो चाहस हमरा के उ जरूरी नइखे।।

हम कइसे बताई हाल दिल आपन
तोहरा समझ मे आवे ई जरूरी नइखे।।

कह के अलविदा जे चल गइलु
फेर घूम आव तू इ जरूरी नइखे।।

एक दिन मिलले खुदा त पूछ देहनी हम
हामार दुआ का तोहरा खातिर जरूरी नइखे।।

बेसमझ बारू तु जे कहेलु खुदा से
मांगले प्रिंस जौन जरूरी नइखे।।

प्रिंस कुमार ओझा जी
प्रिंस कुमार ओझा जी

प्रिंस कुमार ओझा
ग्राम+ पोष्ट धनगड़हा
बनियापुर सारण बिहार

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