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७ गो भोजपुरी सोहर

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७ गो भोजपुरी सोहर

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अपने ओसरवां कोशिल्या रानी राम के उलारेली राम के दुलारेली हो
आरे उलटी उलटी राम के देखेली देखत नीक लागेला

भीखिया मांगत दुई ब्राह्मण रानी से अरज करें
रानी कवन कवन तप कईलू त राम गोदी बिहसेले

माघ ही मॉस नहईलीं अगिनी नाही तपली हो
ए ब्राह्मन जेठ नाही बेनिया दोलावली त राम गोद बिहसेलें हो

कातिक मॉस नहईलीं तुलसी दियना बरीलें हो
ए ब्राह्मन कातिक में आवलाँ के दान कईलीं त राम गोदी बिहसेलें हो

भूखल रहलीं एकादशी त द्वादशी के पारण करीं
ए ब्राह्मण भूखले में विप्र के जेववलीन त राम गोद बिहसेलें हो

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रुकुमिनी लिपी अईली पोति अईली छतीस दियना बारि अईली हो
आरे बीनू रे होरील के ओबरिया त झहर झहर करे

एक रे पहर रुकुमिनी सूतेली सपन एक देखेली हो
आरे पांचही आम के घवदिया खोईन्छा कहू डालेला

दूसरा पहर रुकुमिनी सूतली त सपन एक देखेली हो
आरे कोरी नदीयवा के दहिया जंगलवा कहू धईल

तीसरा पहर रुकुमिनी सूतेली सपन एक देखेली
आरे लाल बरन के घुनघुनावान सेजीयावा पर धईल.

चौथा पहर रुकुमिनी सूतेली सपन एक देखेली हो
आरे सावरेन वरन के होरीलवा सेजीयवा पर खेलेला हो

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मचिया ही बईठल कौशिल्या रानी, सिहाँसन राजा दशरथ हो
राजा बिनु रे बदरी कहीं कजरी कहाँ जाई बरसेले हो

बोलिया त बोलेली रानी बोलही नाहीं पावेली हो
रानी बीनू हो ग़रभ के तिरियवा होरीला नाही जनमत सुनत सुख सोहर हो

एतना बचन रानी सुनली सुनहि नाही पावेली हो
रानी हाथे गोड़े तानेली चदरिया सुतेली कोपवाघर हो (कोपभवन)

सोने के खडौउआ राजा दशरथ केकयी महल चले
रानी तोरे बहिना बड़े रे वियोगावा त चली के मनावहु हो

एक हाथ लेली केकयी दतुअनि दुसरे हाथ पानी हो
केकयी झटकि के चढ़ेली अटरिया त बहिना मनावन हो

उठहु इ बहिना उठहु कहल मोर मानहु
बहिना उठिके करहु दतुअनिया होरिल तोरे होईहे सुनीह सुख सोहर हो

कवनाहिं मासे गंगा बढ़ियईहें सवार दहे लगिहन हो
बहिनी कवनही मासे राम जनमिहें त बचन पूरन होईहें

सावन मासे गंगा बढ़ियईहें सेवर दहे लगिहें
बहिनी कातिक मासे राम जनमिहें त बचन पूरन होईहें

बहिनी कातिक मासे राम जनमेलें त बचन पूरण भईलें
सब सखि तेल लगावेली मंगल गावेली

रानी केकयी के जीयरा भे रोग सुनीके नाहि आवेली
सोने के खड़उआँ राजा दशरथ केकयी महल चलें

रानी कवन अवगुन मोसे भईलें सुनीके नाहि आवेलू हो
ना हम तेल लगाईब ना ही मंगल गाईबी राजा हो
ब्रम्हा के बान्हल पिरितिया उलटी राउरे दिहली।

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छापक पेड़ छिउलिया त पतवन धन बन हो
ताहि तर ठाढ़ हरिनवा त हरिनी से पूछेले हो

चरतहीं चरत हरिनवा त हरिनी से पूछेले हो
हरिनी! की तोर चरहा झुरान कि पानी बिनु मुरझेलू हो

नाहीं मोर चरहा झुरान ना पानी बिनु मुरझींले हो
हरिना आजु राजा के छठिहार तोहे मारि डरिहें हो

मचियहीं बइठली कोसिला रानी, हरिनी अरज करे हो
रानी! मसुआ तो सींझेला रसोइया खलरिया हमें दिहितू न हो

पेड़वा से टांगबी खलरिया त मनवा समुझाइबि हो
रानी हिरि-फिरि देखबि खलरिया जनुक हरिना जिअतहिं हो

जाहू! हरिनी घर अपना खलरिया ना देइबि हो
हरिनी खलरी के खंझड़ी मढ़ाइबि राम मोरा खेलिहें नू हो

जब-जब बाजेला खंजड़िया सबद सुनि अहंकेली हो
हरिनी ठाढ़ि ढेकुलिया के नीचे हरिन बिसूरेली हो

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जेठ बइसखवा के पुरइन लहर-लहर करे,
ताहि कोखी धिअवा जनमली त पुरुख बेपछ परले ए। (बेपछ=विपक्ष)

मइले ओढ़न, मइले डासन, कोदो चउरा पंथ भइले,
रेंडवा के जरेला पसंगिया, निनरियो नाहि आवेले ए।

लाले ओढ़न, लाल डासन, बसमती चउरा पंथ भइले,
चनन के जरेला पसंगिया, निनरिया बलु आवेले ए।

सासु के देबऽ रेडिय तेल, ननद के तिसिए तेल,
गोतिन के देबऽ फुलेल तेल, हम गोतिन पाइंच ए।

सासु जे आवेली गावत, ननद बजावत हे,
गोतिन आवेली बिसमाधम मुदइया मोरे जनमऽलन,

सासु के डासबऽ खटिअवा, ननद के मचिअवा नू ए।
गोतिन के लाली पलंगिया हम गोतिन पाइंचए

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सोने के खरउआ राजा रामचन्द्र खुटुर-खुटुर चले नु ए।

७ गो भोजपुरी सोहर
७ गो भोजपुरी सोहर

चली गइले आमा के बोलावे-

चलहु ए आमा चलहु मोरा अंगना चलहु ए,
मोर धनि बेदने-बेआकुल झँझिरिया धइले लोटेली हे।

नाहीं जाइब ए बबुआ नाहीं जाइब, तहरा अँगनवाँ नाहीं जाइब हे,
तहरा धनि बोलेली बिरहिया, सहल नाहीं जाला नु ए।

चलहु ए मामी चलहु, मोरे अंगना चलहु हे
मोर धनि बेदने-बेआकुल झंझरिया धरी लोटेली हे।

नाहीं जाइब ए बबुआ नाहीं जाइब, तोर धनि बोलेली
बिरही कड़कवा, मोरे हिया लागेला हे।

महतारी, भाभी के बाद बहिन के पास गए और फिर अन्त में –

लोटहु ए धनि लोटहु झंझरिया धरी लोटहु ए।
आमा के बोलेलू बिरहिया सहल नाहीं जाला नु ए।
बहिन , भाभी… के बोलेलू बिरहिया सहल नाहीं जाला नु ए।

नउजी अइहें सासु, नउजी अइहें ननदो, नउजी अइहें गोतिन, नउजी अइहें हो
प्रभुजी ओढ़ि लेब ललका रजइया सउरिया हमी लिपबऽ नु ए।

घरी रात बितले पहर रात, अउरी छने रात हे
ललना अधेराती होरिला जनमले, महलिया उठे सोहर ए
मोरा पिछुअरवा बजनिया भैया, भैया धीरे-धीरे बजवा बजइह,
ननदवा जनि जानस हे।

ललना सुनि लहली लउरी ननदिया, बेसरिया हम बधइया लेब हे,
सभवा बइठल बाबा बानी, सरब गुन आगर बानी हे,
भउजो के भइले नन्दलाल, बेसरिया हम बधइया लेब हे।

उहवाँ से बाबा उठि आवे ले, अंगना में ठारा भइले हे
बबुआ देइ घालऽ नाक के बेसरिया दुलारी धिअवा पाहुन हे।
नाक में से कढ़ली बेसरिया फुफुतिया में चोरावेली हे
इहे बेसरिया हमके बाबा दहले, बधइया तोहके नाहीं देब हे।

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अंगना में कुइयाँ खोनाइले, पीयर माटी नू ए,
ए ललना जाहिरे जगवहु कवन देवा, नाती जनम लिहले हो।
नाती जनमले त भल भइले, अब वंस बाढ़हू ए।
ए ललना देह घालऽ सोने के हँसुअवा,
बाबू के नार काटहु ए।
ए ललना देइ घालऽ सोने के खपड़वा,
बाबू के नहवाईवि ए।
ए ललना जाहि रे जगवहु कवन देवा,
नाती जनम लिहले ए ।
नाती जनमले त भल भइले, अब वंस बाढ़हु ए ।
ए ललना देई घालऽ रेशमऽ के कपड़वा,
जे बाबू के पेनहाइवि ए ।

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