परनाम ! राउर स्वागत बा जोगीरा डॉट कॉम प, आई पढ़ल जाव अमरेन्द्र जी के लिखल एगो रचना गिरमिटिया भइलें ना, पढ़ीं आ आपन राय बताइ कि रउवा इ रचना कइसन लागल, रउवा सब से निहोरा बा पढ़ला के बाद शेयर जरूर करीं।
गोरवन के राज रहे मिललि परमिटिया,
गिरमिटिया भइलें ना-2
चमकइले जाई के मटिया-
गिरमिटिया भइलें ना।।
सुघरि सरीरिया इनिके बोली भोजपुरिया
फिजी त्रिदिनाद जाइके कइले मजदूरिया
दुखि भूखि रहि के कइले उखवा के कटिया-
गिरमिटिया भइले ना।।
आन बान शान इनिके कुसल बेवहरवा
प्रीत रीत बँटले सात सागर के पारवा
खदिया के कुरता पेन्हले धोती रहे मोटिया
गिरमिटिया भइले ना।।
माई बाबू बड़ जेठ के पूजि के चरनवा
साथ में चलिसा लेके कइलनि पयनवा
माथे प पगरिया रहे कन्हिया प लठिया
गिरमिटिया भइले ना।।
पत्थर गीटी तोड़ते बीतत रहे दिनवा
जमि के बहइले तन के खूनवा पसीनवा
इनिके भरोसे चले गोरवन के सीटिया-
गिरमिटिया भइले ना।।
मेहनत के बले आजु नगरी सुतार बा
आजु गिरमिटियन के सगरी सरकार बा
ना भूलले पंरपरा ना तजले परिपटिया-
गिरमिटिया भइले ना।।
अमरेन्द्र कुमार सिंह
आरा भोजपुर बिहार
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