भोजपुरी के बढ़िया वीडियो देखे खातिर आ हमनी के चैनल सब्सक्राइब करे खातिर क्लिक करीं।
Home Bhojpuri Film Industry News News in Bhojpuri भोजपुरी की मैना मैनावती देवी मौन हो गई

भोजपुरी की मैना मैनावती देवी मौन हो गई

0
भोजपुरी शिरोमणि मैनावती देवी श्रीवास्तव 'मैना'
भोजपुरी शिरोमणि मैनावती देवी श्रीवास्तव 'मैना'

भोजपुरी को पहचान दिलाने वाली, लोकगीतों से सामाजिक जीवन को मानव पटल पर उतारने वाली लोक गायिका मैनावती देवी श्रीवास्तव का जन्म बिहार के सिवान जिले की पचरूखी में 1 मई 1940 को हुआ था । पर उन्होनें अपना कर्म भूमि गोरखपुर को बनाया। उन्होनें लोकगायन की शुरूआत गोरखपुर से सन् 1974 में आकाशवाणी गोरखपुरकी शुरूआत के साथ की। आकाशवाणी गोरखपुर की शुरूआत मैनावती देवी श्रीवास्तव के गीतों से ही हुई।

उनके गीतों के बाद से ही भोजपुरी संस्कृति को एक अलग पहचान मिली। उन्होने लोक गीतों के संरक्षण, संवर्धन एंव प्रचार प्रसार पर काफी काम किया। उन्होंने लोक परंपरा के संस्कार गीतों को पिरोने का काम बा-खूबी किया। लोकपरंपरा में भारतीय सामाजिक परिवेश में रहन-सहन, जीवन-मरणसे लेकर हर परिवेश को उन्होने बड़ी ही कुशलता से अपनी रचनाओं में भी उकेरा है। वहकवियत्री और लेखिका भी थी। प्रयाग संगीत समिति से संगीत प्रभाकर की डिग्री ली थी। म्यूजिक कंपोजर के रूप में आकाशवाणी में काम किया। साथ ही दूरदर्शन में भी उन्होने अपना अमूल्य योगदान दिया।

इनकी गायिकी के विरासत को इनके पुत्र राकेश श्रीवास्तवभी आज देश दुनिया में बढ़ा रहे है।

श्रीमती नैना देवी के प्रकाशित पुस्तको में 1977 में गांव के दो गीत(भोजपुरी गीत), श्री सरस्वती चालीसा, श्री श्री चित्रगुप्त चालीसा, पपिहा सेवाती(भोजपुरी गीत), पुरखनके थाती(भोजपुरी पारंपरिक गीत), तथा अप्रकाशित पुस्तकों में कचरस(भोजपुरी गीत), यादकरे तेरी मैना(इछहदी गीत), चोर के दाढ़ी में तिनका (कविता)औरबेघरनी घर भूत के डेरा(कहानी) जैसे अनमोल गीत समाज को दिया।

सन् 1974 सेलोकगायन की शुरूआत करने वाली मैनावती देवी को पहला सम्मान सन् 1981 मेंलोक कलाकार भिखारी ठाकुर के 94वें जन्मदिवस के अवसर परबिहार में “भोजपुरी लोक साधिका” का सम्मान मिला।

उसके बाद सन् 1994 में अखिल भारतीय भोजपुरी परिषद लखनऊ द्वारा “भोजपुरी शिरोमणि” का सम्मानठुमरी गायिका गिरजा देवी के हाथों प्राप्त किया था। इसके बाद उन्हे अनेकों सम्मान भोजपुरी रत्न सम्मान, 2001 में भोजपूरी भूषण सम्मान, 2005 में नवरत्न सम्मान, 2006 में 2012 में लोकनायकभिखारी ठाकुर सम्मान, लाइफ टाइम एचिवमेन्ट अवार्ड तथा गोरखपुर गौरव जैसे सम्मान से नवाजा गया।

उन्हे कोई राजकीय सम्मान नहीं मिला फिर भी भोजपुरी की सेवा में रात दिन अंतिम सांस तक लगी रही। ऐसे महान भोजपुरी सेवी को शत शत नमन है।+

* लेखक भोजपुरी के जानमाने गीतकार है

NO COMMENTS

आपन राय जरूर दींCancel reply

Exit mobile version