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दीपक तिवारी जी के लिखल कुछ भोजपुरी कविता आ गीत

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दीपक तिवारी जी
दीपक तिवारी जी

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रहे सलामत सेनुरा हमार

भूखल बानी पावन तीज तेव्हार,
हरदम रहे सलामत सेनुरहमार।

हम हर रोज सँजत सँवरत रहीं,
अतने बा कामना जवन कहीं।
खुश रहे बनल मोर घर परिवार..
हरदम रहे सलामत सेनुरहमार।

दिनो रात पति के करीं हम सेवा,
इहे आशीर्वाद हमके दिहs हे देवा।
हर जनम में उनुकर पाई हम पेयार..
हरदम रहे सलामत सेनुरहमार।

धरम निभाई जवन पत्नी के होला,
दया दृष्टि हमरा प रखिहँ ए भोला।
तोहरा से अतने करीलें गोहार..
हरदम रहे सलामत सेनुरहमार।

करs दुःखियाँ बेचारी प तू उपकार,
दरद भरल ओकर सुन लs पुकार।
कबो हमरा के करिहँ ना दरकिनार…
हरदम रहे सलामत सेनुरहमार।

सुखवाँ दूर जाला भागी

हँसत खेलत जिनगी में लाग जाला आगी,
सगरो के सगरो सुखवाँ दूर जाला भागी।

समय के चक्कर हरदम रहेला चलत,
बिधाता के लिखल कबो होला ना गलत।
कतनो बचाव लाग के रहेला दागी..
सगरो के सगरो सुखवाँ दूर जाला भागी।

उतार चढ़ाव जिनगी में आवते रहेला,
कबो पछुआ तs पुरुआ बेयार बहेला।
वक्त कबो दयालु बना देला बागी..
सगरो के सगरो सुखवाँ दूर जाला भागी।

केहू जिये के आस क्षण में सभ छोड़े,
इज्जत मान मर्यादा केहू बन्धन तोड़े।
लागे सनकी कहाये हो गइल बा पागी..
सगरो के सगरो सुखवाँ दूर जाला भागी।

देखनी फुलवारी अक्सर होत जात वीरान,
सुननी माटी में बहुतन के मिल गइल शान।
मिल के रहेला हरदम कबो ना त्यागी..
सगरो के सगरो सुखवाँ दूर जाला भागी।

नेह छोह

ऊपरे मन से नेह छोह लोग ढ़ेरो प्रेम देखावता,
दोसरा के दुःख देके लोग जाने का सुख पावता।

सभ अपने में मस्त रहता केहू का नइखे फुरसत,
हर पल लोगवाँ एक दूसरा के रहsतावे घूर सत।
बुरा काम एकहुँ ना छूटे नींक निमन ना भावता..
दोसरा के दुःख देके लोग जाने का सुख पावता।

हँसी के जान मारे लोगवाँ आपन बन के हित,
आई बेरा अस गिरल पइबs अपना के तू चित।
पहिले जइसन लोग कहाँ अब रिस्ता निभावता..
दोसरा के दुःख देके लोग जाने का सुख पावता।

दया भावना नइखे अब केहू का भीतरी चिति,
छले खातिर अपनावे लो भाँति भाँति के नीति।
मन से मिलन केहू का नइखे कइसो काम चलावता..
दोसरा के दुःख देके लोग जाने का सुख पावता।

अंत होला सभकर एक दिन माटी में मिले गात,
ज्ञानी होके दीपक लोगवाँ काहे ना बुझे बात।
खुद के जिनगी में लोग अपना काहे आग लागावता..
दोसरा के दुःख देके लोग जाने का सुख पावता।

ना दूर रहल जाला हो

का कहिं कुछउ ना कहल जाला हो,
तोहरा बिना ना दूर रहल जाला हो।

कइसन धइले बा रोग हमरा के भाई,
सभ लागेला दुश्मन अब बाप माई।
दूरी तोहरा से अब ना सहल जाला हो..
तोहरा बिना ना दूर रहल जाला हो।

हमरा मति में जाने का हो गइल बा,
समझ में ना आवे की का भइल बा।
मरलो बनत नइखे ना जियल जाला हो..
तोहरा बिना ना दूर रहल जाला हो।

मिले चैन ना तनिको अब आराम हो,
मन करे ना कवनो करे के काम हो।
धरे हाली ई जेतना बचल जाला हो..
तोहरा बिना ना दूर रहल जाला हो।

केहू नइखे ई जेकरा के रोग ना होला,
एह दुनियाँ में केहू अस लोग ना होला।
सभका ओरी से कइल पहल जाला हो..
तोहरा बिना ना दूर रहल जाला हो।

गणपति महाराज

तोहके सुमिरत बानी गणपति महाराज हो,
आव लाज बचाव आज हो।

देवतन में पूजा होला तोहार सभसे पहिले,
तोहरा ले चतुर बुद्धिमान केहू नाही भइले।
आव सफल बनाव हमार सभ काज हो..
आव लाज बचाव आज हो।

केहू प भरोशा नइखे बा तोहरे पे आस हो,
आ तोहरे से ज्ञान रूपी होखे प्रकाश हो।
बतिया मानs हमार हँसे सकल समाज हो..
आव लाज बचाव आज हो।

हाथ जोरि विनती दीपक आ करें घरबारी,
आदर मान दिलावल बा तोहार जिम्मेवारी।
दुःख समझs गजानन बानी हम मुहताज हो..
आव लाज बचाव आज हो।

नजरिया फेर द ए माई

सभ आवेला तोहरा दुवारी,
जग के तू हऊ महतारी।
दया दरसाव,जनि टरकाव,
तनिका तू करs भलाई,
नजरिया फेर द ए माई,
गिरल बानी लs ना उठाई।

खाड़ बानी हम कर जोर,
देखs आँखि से झरता लोर
हमरा विथा के समझs माई हो,
हमरा कुछो ना देला देखाई हो।
रहिया धराव,देर ना लगाव,
हाली से आव ना धाई…
नजरिया फेर द ए माई,
गिरल बानी लs ना उठाई।

दुनियाँ के हऊ पालनहार,
तनी हमरो प करs विचार।
काहे हमरा से बाड़ू नाराज हो,
माई हमके बता द तू आज हो।
दीपक तिवारी,तोहरा दुवारी,
निशदिन भजन गाई…
नजरिया फेर द ए माई,
गिरल बानी लs ना उठाई।

संस्कृति के बचाव लो

छूट बाटे जवन मन करे गाव लो,
बाकी अपना संस्कृति के बचाव लो।

केहू के रोक नाही सभका के छूट बा,
जेने देखीं ओने शब्दवे के लूट बा।
इज्जत कुल्हँ सरेआम खूब लुटाव लो..
बाकी अपना संस्कृति के बचाव लो।

केहू के दोष नाही अइसने जामाना बा,
केहू के भावे ना नींक कवनो गाना बा।
आग लगाव लो आ जरले प जराव लो..
बाकी अपना संस्कृति के बचाव लो।

मान घटाव लो ना अब भोजपुरी के,
साँच कहेनिं हम राख देब तोड़ी के।
फेड़ के नीचे चाहें जिनगी बिताव लो..
बाकी अपना संस्कृति के बचाव लो।

गोधन कुटाते तिलकहरू अइले

गोधन कुटाते तिलकहरू अइले लइका के दुवार,
बात चीत भइल मुदा पर आ मिलल दुनु परिवार।

खुशी खुशी बात बढ़ल आ दुनु पक्ष तइयार भइल,
एहि लगन में क दिहल जा सभकर विचार भइल

गाँव जवार के बात रहे ढ़ेर खोदा खोदी भइल ना,
सभ सभका के जानते रहे एहि से धेयान गइल ना।

लइका सभ गुन आगर रहे जान केहू तनिको पावल ना,
ऊपर से रहे चिकन केहू भीतरी के राज बतावल ना।

रहे पढ़ल लिखल गोर गार लमहर छरहर छः हाथ के,
ओकर कमी बतलवलsसन पढ़े वाला साथ के।

नींक रहनदार रहे निमन बस एकहि रहे खराबी,
अगुआ साँच छुपवले रहले की लइका हउए शराबी।

बेटिहा का जब पता चलल लागल ओकरा धाक्का,
सोचे लागल मने मन नाता तोड़ही के परि पक्का।

सह सहमति घर में भइल जवन दीहल बा छोड़ा जाई,
पीछे हटला में भलाई बाटे अइसन रिस्ता तोड़ा जाई।

अगुआ के मारफत लइका इहाँ बिहने खबर भेजा जाई,
असो बावे तंगी रुपिया के अइसने कुछो कहा जाई।

अब आगे से धेयान दियाई तू दीपक जइहँ तहले,
आँख मून विश्वाश जनि करिहँ केहू का कुछ कहले।

मचल बा हाहाकार

कहि पानी बिना तरसे लोग करsता गोहार,
हँ तहरे देन प्रभु कहि मचल बा हाहाकार।

अब अति हो गइल भइल बहुते बा नुकशान,
ना ढ़ेर जुलुम सहाई मामूली हई जा इंसान।
नेत्र खोल के देखs रहम करs कुछो विचार.

त्राहि त्राहि मचल गाँव कस्बा अउर शहर में,
दया करs हे प्रभु पानी ढुँकल सभका घर में।
कइसे दिनवा रतिया कटी होई आहार विहार.

कहेलो जल जीवन हँ ई जल लेके मानी जान,
आस्तित्व मिटा दीं लागता सभकर ई पहचान।
बा गृहविहीन सभे भइल बिना छत के उघार.

धीर धरs ना बहुते भइल सर्वव्यापी भगवान,
किरिपा करs हमनिंन पर होखs ना मेहरबान।
गलती सही माफ करs हम जिउवन प उपकार.

जुग बदलल आज

तनिको लाज शरम अब केहु का काहा,
देखीं जुग बदलल लोग आज सभे जहाँ।

रहे दुवरा प इनार अब गइल भराई,
लोग अम्मा अब कहे भूल हो गइली माई।
भइल आन्हर कबो अँजोरिया रहे तहाँ..

आदर कबो दियात रहे जहाँ बड़ बुजुर्ग के,
उहाँ केहु पूछत नइखे घरवाँ के बुजुर्ग के।
तनिको ना परेम देखावे दरसावे ना दाहा..

साग सब्जी में दोष देखे के मिले आज,
ओढ़वाँ पहिनावाँ बदलल रीति रिवाज।
सभ पगलाइल समय कइसन बा साहा..

खींचातानी सगरो लूटपाट मचल बा,
अब तनिको ना संस्कार बचल बा।
सोझाँ काल खड़ा बा फइला के बाहाँ..

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