भोजपुरी के बढ़िया वीडियो देखे खातिर आ हमनी के चैनल सब्सक्राइब करे खातिर क्लिक करीं।
Home भोजपुरी साहित्य भोजपुरी कथा-कहानी धनंजय तिवारी जी के लिखल भोजपुरी कहानी अगुआ

धनंजय तिवारी जी के लिखल भोजपुरी कहानी अगुआ

0
धनंजय तिवारी जी
धनंजय तिवारी जी

“गाव सभी सखिया अगुआ के स्वागत में गारी” माइक पर जैसे ही इ गाना गूजल मामा के चेहरा पर लाली आ गईल। फिर माइक पर स्वागत गीतन के बौछार चालू हो गईल।
“अगुआ के पाकल पाकल मोछ, जैसे कुकुरे के पोछ। अगुआ जवार के सबसे बड़का ठग। हमरा बाबू के फोर देहले भाग।

ओ बेरा हमार उमिर लगभग नौ साल के होई। भले उमिर कम होखे पर नीमन बाउर के फर्क ठीक से बुझा और हम बुझ गईनी की अगुआ के स्वागत ठीक से नईखे होत।
“रामायण के दीदी के दुनिया भर के यार। दिन भर घूमेली उ हाट बजार”

इ गारी त सुन के हमार खून गरम हो गईल। इ गारी त हमरा मामा के दिहल जात रहे। ऐ लोग के एतना हिम्मत की हमनी के गारी देता लोग। ओ लोग के जबाब देवे खातिर हम मामा के तरफ देखनी, पर इ का, गाव के सबसे बड़का खिसियाह रामायण मामा मुस्किया के गारी के आनंद लेत रहले। गारी त दूर के बात गाव के केहू उनसे आँख उठा के भी बात न करे और ओइसन आदमी के उनका बहिन के साथे अइसन गन्दा गारी दिहल जात रहे और उ मुस्करात रहले।

“का मामा जी अइसन गन्दा गारी सुनके रउवा मुस्कुरातानी?” हम बीख से कहनी “हमार त मन करता की हम जाके ओ लोग के मुह नोच ली”
“अइसन ना कहल जाला” मामा समझावत कहनी “इ कुल परम्परा ह। सदियन से चलत आवता। हमनी किहा शादी वियाह के गीत गारी शादी के शोभा बढ़ावे खातिर दिहल जाला। एईपर ना खिसियायिल जाला”
वाकई में इ परम्परा के ही कमाल रहे की ओइसन खिसियाह आदमी, अभद्र गाना सुनके भी गिल रहे। हमार रोष तनी कम भईल।
इ आज से करीब पच्चिश साल पहिले के बात होई। गर्मी के छुट्टी में हम मामा जी की इहा गईल रहनी। मामा जी हमके साथे तिलक में ले गईल रहनी। मामाजी ओ वियाह के अगुआ रहनी।
तिलक के बाद बारात में भी हमके जाए के मौका मिलल और मामाजी के स्वागत में एहू से बढ़ के गारी मिलल। दुनु पक्ष के मेहरारू लोग अइसन खायिची भर भर के गारी देहले रहे जैसे की मामाजी ओ लोग के खेत काट लेले होई।

पर असल में इ गारी अगुआ के काम के इनाम रहे। अगुआ के जेतना ढेर गारी मिले ओकरा अगुई ओतना ही सफल मानल जा। लेकिन देखे में एकदम आसान लागे वाला गारी गावल कवनो अनाड़ी के काम ना रहे ।

हर गाव में एगो चाची या फुआ अइसन होखे लोग जे गारी गावे में एकदम निपुण होखे लोग। बाकि मेहमान आवे लोग चाहे ना पर ओ लोग के उपस्थिति के खास इंतजाम होखे और एडवांस में ओ लोग के बोला लिहल जा। कई दिन तक उ लोग प्रैक्टिस करे लोग। नया फ़िल्मी गाना के तर्ज पर नया नया गारी के निर्माण होखे। जेतना गारी इ लोग गाना के तर्ज पर एक सीजन में बना दे लोग ओतना त गीत आनंद बख्सी या साहिर लुधियानवी जैसन गीतकार लोग कई साल में लिख पावे लोग।

गारी समाप्त भईला पर बाकायदा बाकी महिला लोग बड़ाई में कहे लोग “चाची खूब न भड़नि ह अगुआ के” और इहे ओ लोग के इनाम रहे। अइसन ना रहे की पायरेसी आजुवे के दौर में बा। ओ घरी भी ऐ गारी कुल के चोरी होखे और फिर मेहरारू लोग दूसरा शादी वियाह में जाके आपन धाक जमावे लोग। कई बार गाना के मालिकाना हक़ खातिर लडाई भी हो जा और बाकायदा औरत लोग के पंचायत बईठे एके सुलझावे खातिर

खैर बात होत रहल ह अगुआ के। आज से बीस पच्चीस साल पहिले, अगुआ के बिना शादी के कल्पना कईल ही असंभव रहे हमनी के भोजपुरिया समाज में । आज भी अगुआ लोग बा पर अब अगुअई के स्वरुप काफी बदल गईल बा और अब बिना अगुआ के भी ढेर सारा शादी होता।

रामायण मामा अपना जवार के सबसे बड़का अगुआ रहनि और अपना पूरा जिदगी में कम से कम दू सौ से ज्यादा शादी करवले होखेब। गोधना कूटईला से पहिले ही लोग आहुण कूट दे मामा के दुवार पर और गोधना के बाद एको दिन उहाके साइकिल पलानी में ना रहे। अपना काम के चिंता छोड़ मामाजी लोग के शादी करवावे में भीड़ जाई और एके लेके मामी से कई बार झगड़ा भी होखे पर मामा जी कभी भी आपन इ काम ना छोडनी । अइसन लागे की उहा के जनम ही अगुवाई खातिर भईल होखे। तबे त जवना उमिर में लोग चिका बाड़ी खेले ओ उमर में उहा के अगुई करे लगनी। मात्र चौदह साल के उमर में जबकि उहा के भी शादी ना भईल रहे उहा के अपना अगुवई में पहिलका शादी करवले रहनी।

मामाजी के अगुआई के एतना शोर रहे की गलती से भी अगर उहाके शादी लायक लईका के दुवार पर खड़ा हो जाई त लईका मन ही मन गिल हो जा और अगर कही ओइसे उनका बाबूजी के बारे में पूछ दिहनि तब त उ लजा के घर में भाग जा लोग। आज हर जगह टीम भावना के बात होला पर असली टीम भवना त पुरनका जमाना के अगुआ लोग में रहे। अइसन ना रहे की मामाजी एकलौता अगुआ रहनी। उहा जईसन दू चारगो अगुआ लोग हर गाँव में होखे और सब एक दूसरा से मिल जुल के शादी वियाह करावे। मामाजी के भी बाकायदा टीम रहे जयिमे की चनेसर मामा, गंगासागर नाना, बच्चा बाबा लोग रहे। आज हमनी के आकड़ा के कंप्यूटर में जमा करनी जा पर इ लोग चलत फिरत कंप्यूटर रहे। जेतना जानकारी ऐ लोग के डाटाबेस में रहे ओकर १०% भी हमनी के लगे ना होई।

केकर लईका लईकी कब पैदा भईल रहे, केतना रहे, राशी नाम का रहे सब अपडेट रहे। इहा तक की कवन पंडित छठिहार और सतईशा करवले रहले इहो याद रहे और इ कुल जानकारी शादी लगावे में काम आवे। हमनी खान ऐ लोग के गूगल कईला के जरुरत ना रहे। मिनट में ही ऐ लोग के दिमाग सर्च क लेउ की कवना लडिका के साथे कवना लईकी के कुंडली मिल जाई। नाड़ी दोष से लेके नक्षत्र मिसमैच तक इ लोग तुरंत ही जान लेउ।

देखे में भले आसान लागे पर अगुअई एगो विशेषज्ञ वाला काम ह और एयिमे तमाम तरह के चुनौती और बाधा आवेला। मामा के देखा देखि उहा के गाव के बेचू भी एक साल अगुअई शुरू कईले। उनका लागे की इ बहुत आसन काम बा पर पहिलके बारात में बेटा और बेटिहा पक्ष में लाठी लठऊल हो गईल। बिच बचाव में कपार फूटला के बाद उनकर अगुअई हमेशा खातिर समाप्त हो गईल। अगुअई के काम पुन्य के साथे साथे बड़ा अपयशी भी होला और बियाह में कवनो भी बाधा खातिर सीधे अगुआ के ही जिम्मेदार मानल जाला। लईकी अगर ससुरा में जाके सुख करी त कवनो बात ना पर अगर कवनो तकलीफ भईल त अगुआ के लोग खायिची भर भर के गारी देला। लईकी वाला लोग कहेला “हमरा लड़की के भास अईले”। ठीक एहिंगा लईका के इहा भी लईकी से नाराजगी भईला पर कहेला की “अगुआ हमके डूबा देहलस” ।

पर मामा और उहा के साथी लोग के बात और कुछ रहे। ओ लोग के रसूख रहे और शादी के बाद शायदे कभी कवनो शिकायत केहू कईल और अगर शिकायत आईल भी त उहाके आगे बढ़के हस्तक्षेप क के सब कुछ ठीक करा दी।

पुरनका समय में अगुआ लोग के सबसे बड़का दुश्मन होखे और काम में बाधा डाले वियाह कटवा। जैसे हर गाव में एगो दुगो नामी गिरामी अगुआ रहे लोग, ठीक ओईसे ही एकाध गो वियाह कटवा भी रहे। ऐ लोग के मूल काम ही वियाह काटल रहे और अयिमे ऐ लोग के स्वर्ग लोक के प्राप्ति जैसन आनंद आवे। गमछी में सतुआ बाँध के और लोटा के पानी लेके इ जवार जवार घूमे लोग बियाह काटे खातिर। गाव में जेकरा भी बियाह कटवा से दुश्मनी रहे उ अपना लईका लईकी के शादी छिपा के ही करे।

पर मामा जवन बियाह करायी उ डंका के चोट पर कराई। कवनो बियाह कटवा लोग के हिम्मत ना रहे की उहा के अगुअई वाला वियाह के काट दे। एक बार सूबेदार नाना के लईकी के बियाह उनकर पटीदार जगदीश, जवन की बहुत नामी बियाह कटवा रहले काट देहले। मामा ओ बियाह के अगुआ रहनी। फिर का मामा अपने दुआर पर ही पंचायत रख देहनी। अपना खर्चा से लईका पक्ष के बोलववनी और लईकी पक्ष भी जुटल। ओ घरी लईकी देखे के परम्परा ना रहे पर ओकरा वावजूद भी लईकी उहा के देखववनी और कटल वियाह फिर से तय हो गईल। जगदीश मामा के डर से चौरा में भाग गईले पर मामा उनके चौरा में ही लसार लसार के पिटनी। ओ मार के बाद जगदीश और जवार भर के बियाह कटवा लोग बियाह काटल छोड़ दिहल।

एतना चुनौतीपूर्ण और तनाव वाला काम भईला के बाद भी अगुआ के इनाम में मिले एगो धोती जवना के लेबे से अकसर इ लोग मन क दे। शादी वियाह करवावल ऐ लोग खातिर पुन्य के काम रहे, धरम करम रहे, कवनो पेशा ना।

ऐ लोग के बस एकही ध्येय रहे की लईकी शादी क के जाए त ससुरा खूब सुख करे और ओ लोग के नाम लेउ। शराबी कबाबी कुल के इ लोग कभी शादी ना करवावल। कई गो लोग जेकर शादी न होखे उ पईसा लेके मामा किहा आवे की हमार बियाह करा दी पर मामा इ कहिके मना क दी की हम अगुआ हई दलाल ना। ओ घरी में अगुआ लोग बड़का उसूल वाल होखे।
मामा और उहा के टीम आखरी शादी, जीवन मामा के लईकी के करवले रहे लोग। लईका के ममहर गाव में ही रहे और सब जान सुनके ही मामा शादी करववनी। लईका के परिवार दिल्ली रहे। देखे से सुन्दर और सुशील लईका एतना बड़हन शराबी होई इ मामा के तनिको पता न रहे।

शादी के बाद लईकी के बड़ा दुःख देहल सन और अंत में उ आत्महत्या क लेहलस। ओकरा मौत खातिर मामा और उहा के साथी लोग अपना के जिम्मेदार मानके अगुअई हमेशा खातिर छोड़ दिहल।

इ पुरनका जमाना के अगुअई के बात रहे। अब त अगुअई के स्वरुप काफी बदल गईल बा। शादी करवावे से पहिले ही अगुआ अपना खातिर सूट बूट के फरमाईश क देतारे त ढेर सारा लोग अब कमीसन भी लेता। शादी के बाद लईका लईकी के का होता अईसे केहू के मतलब नईखे।

ऊपर से इन्टरनेट के आ गईले भी अगुआ के महत्व कम हो गईल बा। लोग ओकरा माध्यम से शादी क लेता। शादी तय भईला के तरीका में बदलाव के साथे शादी बियाह में होखेवाला रस्म में भी बदलाव आईल बा। दू दिन के बजाय अब एक दिन के शादी होता। बहुत जगह अब शादी दिने दिन हो जाता या अगर रात में होता त गीत गारी के जगह d.j. लगा लगा के नागिन डांस करता लोग। गीत त अब कवनो बीतल जमाना के बात हो गईल बा। अब जब गीते नईखे होत त फिर अगुआ खातिर गारी के बात सोचल, “ऐ महामार में दीवान जी के ताजिया” वाल बात बा।

आज के दौर में हमनी के वियाह में अगुआ के भूमिका कम हो गईल बा। उ दिन दूर नईखे जब अगुआ एगो इतिहास बन जाई ठीक पुरनका अगुअई और ओकर रीती रिवाज खान । आवेवाला पीढ़ी शायद यकीन भी ना करी की एगो अगुआ भी होखे जेकर वियाह में एतना बड़हन योगदान होखे।

रउवा खातिर:
भोजपुरी मुहावरा आउर कहाउत
देहाती गारी आ ओरहन
भोजपुरी शब्द के उल्टा अर्थ वाला शब्द
जानवर के नाम भोजपुरी में
भोजपुरी में चिरई चुरुंग के नाम
भोजपुरी के पुनरुक्ति शब्द आ युग्म शब्द
भोजपुरी शब्द संरचना

NO COMMENTS

आपन राय जरूर दींCancel reply

Exit mobile version