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बुढ़ऊ के बियाह | भोजपुरी कहानी | संजीव कुमार सिंह

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बुढ़ऊ के बियाह | भोजपुरी कहानी | संजीव कुमार सिंह

परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आयीं पढ़ल जाव संजीव कुमार जी के लिखल भोजपुरी कहानी बुढ़ऊ के बियाह , रउवा सब से निहोरा बा कि पढ़ला के बाद आपन राय जरूर दीं, अगर रउवा संजीव कुमार जी के लिखल भोजपुरी कहानी अच्छा लागल त शेयर जरूर करी।

“ऐ बुढ़ऊ केस रंगवाई लss..
फिर से अइहे जवानी
अइहे जवानी हो अइहे जवानी
ऐ बुढ़ऊ फेसिअल कराई लss..
फिर से अइहे जवानी…
ऐ बुढ़ऊ राम राम गाई लss
फिर ना जईहे जवानी….”

भोजपुरी के एगो लोक कलाकार संजीव के लिखल ई गितिया बजरिया पर बाजत रहे। रामपरोसन बड़ा ध्यान से ई गीत के सुनत रहलन। राम परोसन के उमिर होई बावन साल के और उनकर मेहरारु ना रहली, उ राम जी के लगे चल गईल रहली…. एहीसे राम परोसन एनो ओने खुब घुमस। राम परोसन के दुगो लईका, जेकर शादी बियाह हो गईल रहे अउर उ लोग आपन मेहरारु बाल बच्चा ले बम्बई कमात रहे लोss.. बेचारा राम परोसन अकेले घरे रहसss अउर खेती बाड़ी करसss। खेत त बहुते रहे। पईसा खूब आवे, लेकिन खर्चा करे ना आवे। केहु उमिर पुछे त कहस की हम अभी पैतीस साल के बानी अउर सीना तान के खड़ा हो जास। अब जे सुने उ मने मन हँसे लेकिन जाहिर ना करे लोss। चार गो चकोरा बाजार में राम परोसन के बड़ी गौर से रोज देख सन। उ चारु चकोरा देखल सन की बुढ़ऊ त बड़ी गाना पर मुड़ी हिलावत बाड़न, नगदे अकेले ही बाड़न, इनकरे से यारी धरावल जाव, हमनी सब के खरचा पानी निकलत रहीss। चारु बुढ़ऊ से यारी धरा लिहल सन। अब राम परोसन के अपाची मोटरसाइकिल पर बईठा के खुब घुमावs सनs।

अब राम परोसन के फेसिअल होके, शेविंग होखे, और बाल भी रंगाव। अब राम परोसन भी नवछेड़िया संग के संगे जवान हो गईल रहलन।

एक दिन चारु, राम परोसन के संगे घुमत रहल सन…।

उनकर पहिलका यार रहे बैला रहे, उ कहलस, ऐ बड़का भाई , का विचार बा, बियाह करे के मन करत बा का।
तले दुसरका यार, जौना के नाम रहे, पड़वा, उ कहता कि बड़का भाई के मन मे लड्डू फुटत बा, मेहरारु बिना भाई के जिनगी बेकार हो गईल बा, घर मे भउजी रहतीss त, बड़का भाई के सेवा टहल होईत, कवनो गजन ना होईत।

तले तिसरका यार, जवना के नाम रहे सुखाड़ी, उ कहे लागल कि बात त सही बा, बड़का भाई खातिर हमनी के ही सोचे के बा, बड़का भाई त अभी एकदम जवान बाड़न, अभी त सलमान खान पचास बरिस के बावे, ओकरा पीछे केतना लईकी मरे ली सन, ई का राहुल भाई के भी त अभी ले बियाह नइखे भईल अउर उहो अर्धशतक लगावत बाड़न, ओ लोग से त भाई जवान बाड़न, भाई के बियाह होखे के चाही।

अब त ई कुल बात सुन के राम परोसन के मन मे लड्डू फुटे लागल। दिने में सपनाए लगलन। अब त फिल्मी हीरोइन के चेहरा चारु ओर घुमे लागल।

तले चौथा यार जवना के नाम रहे, तीरथवा, उ कहलस की बड़का भाई खातिर, एगो लइकियो हमरा नजर में बिया, बड़का भाई कहस त बात चलाई, आगे बढ़ाई।

चारु चल गईलss सन।

बुढ़ऊ के बियाह | भोजपुरी कहानी | संजीव कुमार सिंह
बुढ़ऊ के बियाह | भोजपुरी कहानी | संजीव कुमार सिंह

अब त राम परोसन मने मन कल्पना लोक में डूब गईलन। तले उ गांव के सरपंच जी ओहि डगरिया से जात रहलन, ई चारु सन के संगे देखले रहलन। सरपंच जी कहलन, का ऐ राम परोसन, का ई नवछेड़िया सन के चक्कर मे फसल बाड़ss , अपना उमर के लोग के संगे उठss बइठss, ना त ई कहियो तहरा के फसा दिहs सनs, एकनि के दांतों ठीक से ना जामल होई, तु एकनिये के फेर में पड़ल बाड़ss। काल से हमरा संगे आवss, ग्राम पंचायत भवन पर, ढेर समाजिक कार्य बा, तहार मन लागी, भउजी नईखी त मरदवा साफ बिगड़िये गईल बाड़ss। ई कह के सरपंच जी चल गईलन…।

एगो कहावत बा, चोरवा के मन बसे, ककरी के खेत मे।”

संजीव कुमार जी

बाजार के हजमा, सब बात सुनले रहे। एक दिन राम परोसन दाढ़ी बनवावत रहलन। त हजमा कहलस, की बड़का भाई रउआ अभी त एकदम जवान बानी, रउआ बियाह करी। राम परोसन खुश हो गईले, खुश लोके 100 रुपया के नोट दिहलन…। हजमा कहलस कि बारात में हम चलब, सब ठीक हो जाई, हमहु तहार बियाह के पक्ष में बानी। हजमा के राम परोसन 500 के चार गो नोट दिहलन अउर कहलन की तु सेट कर ल, अउरहम देहब। अउर अपना यार लोग के संगे सैर पर निकल गईलन….।

अब त राम परोसन के मन ना लागे, उ बियाह खातिर बैचैन हो गईलन। बस चारु यार लोगन से बार बार कहस की के भईल, हमरा खातिर कुछु होखे। अब चारु लखेरा,पांच कोस दूर के एगो गांव में मैना नाम के लईकी किहा, ओकर बाबूजी माई से जाइके, बियाह तय कई दिहलसन, कि लईका बड़ी निमन बा, 20 बिघा खेत बा, खुबे पईसा बा, कवनो कमी ना होई। मैना के बाबुजी बहुत गरीब रहलन, उ चाहत रहलन की एगो बेटी बिया, पईसा नईखे, त केंगन बियाह होई, एहीसे उ बिना लईका देखले तैयार हो गईलन। तिलक ओलक कुछु ना, सीधे बारात घरे आई। काहे से कि तिलक होईत त राम परोसन के भेद खुल जाईत अउर लड़की वाला राम परोसन के देख के भाग जाईत लोss..।

मैना उच्चतर माध्यमिक स्कूल में 12 वी में पढ़त रहली। उ बाबुजी से पुछली त, बाबुजी ढ़ेर ना बतईलन, खाली इहे कहलन की लईका ठीक बा, खुबे धन बा, खुबे खेत बा। मैना ना तैयार भइली, कहली कि अभी हम पढ़ेम, पढ़ लिख के कुछ बन जाईब त हमर बियाह कर दिह लोss, लेकिन मैना के बाबुजी अउर माई, दुनु लोग के जिद के आगे मैना नतमस्तक हो गईली। मैना आपन ई बात अपना सहेली सुखबा के बतईली, त सुखबा कहली की ससुराल जाके बाकी पढ़ाई कर लिहss, आपन बाबुजी के मान रख ल, हम तहरा माई, बाउजी से बात कई के तहार गवना रखवा दियाई, तु आराम से तब तक पढ़ लेहबू…।

अब त बियाह के तैयारी होखे लागल। हजमा लईकी पार्टी के हजाम के 500 रुपया दिहलस अउर कहलस की सम्भाल लेवे के बा, लईका के चेहरा केहु ना देख पावे, ई देखत रहीहss..। चारु यार बरात के दिन राम परोसन के तैयार कइल लो, अउर कहल लोs कि आपन चेहरा एकदमे मत देखे दिहs, टोपी के संगे पतरका फूल लटकत बा, त तहार चेहरा पूरा ना लउकी, बाकि हमनी सम्भाल लेहब सन, हजाम भी सेट हो गईले। पंडीजी के भी कुछ अधिका पर तय हो गईल।
बारात दुआर पर आईल, दुल्हा टोपी में लटकल फूल के माला पहिनले रहे, ओकर मुह त लउकबे ना करे, द्वार पूजा भ गईल, बरनेत भी हो गईल, अब दूल्हा अंगना में बियाह करे खातिर अइलन। पण्डित जी कहनी की हई, टोपी में से माला, हटा दियाव की चेहरा तनी दिखाई देव, हम बियाह शुरु करी, औरत लोग भी ठीक के शुरत देख लेव लोs, चारु यरवा, हजाम सब मिलके पंडीजी के माल देके मिला लिहलसन, अउर कहलसन की ई हमनी किहा के रिवाज हवे,ओहि लेखन बियाह होई। पंडीजी मान गईलन। लेकिन सुखबा के शक भईल, जरुर कुछ गड़बड़ बा, उ धीरे से मैना से कहली की मैना कुछ गड़बड़ लागत बा। मैना भी धीरे से कहली की हमरो शक हो रहल बा।

अब त बियाह के गीत शुरू हो गईल रहे…

सुखबा दिमाग लगावे लगली। दिमाग काम कईलस। उ मैना के पीछे गईली, और तेजी से आपन दाहिना हाथ, एतना तेजी से भजलीss की दुल्हा के टोपी कुछ दूर जा गिरलss, अब मैना और सब मेहरारु, सबके नजर दुल्हा पर गईल। अरे ई का, ई त बूढ़ दूल्हा बा। चारु यार ई देख के दरवाजा मुहे फिलाड़ हो गईलs सन। अब मैना उठ के खड़ा हो गईली। सुखबा तुरन्त पुलिस के लगे अपना चाचा के भेज के खबर देहली। दूल्हा के त अब सब लोग घेर लिहल। बाराती सब फिलाड़ हो गईलन। दुल्हा धरा गईलन। एगो लड़की के जिनगी, बर्बाद होखे से बच गईल। पूरा गांव में हल्ला हो गईल। पुलिस दूल्हा के एगो लईकी के धोखा देवे अउर बाल बिवाह में दोषी पवलस..। मैना के बाबुजी, मैना से कहलन की हमरा माफ कर द…, मैना उनकरा गले लग के कहली,बाबुजी तहार कवनो दोष नईखे, ई हमनी गरीबी के दोष बा। मैना के बाबुजी कहलन की बेटी अब तू खूब पढ़ ल, तब तहार बियाह होई। मैना अपना सहेली के गले लगा के रो पड़ली, कहली कि, हमरा अपना सहेली पर गर्व बा, जे हमार जिनगी बचा लिहली।

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