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भिखारी ठाकुर जी के 125 वीं जन्मदिन के पूर्व संध्या पर एक गो शब्दांजलि

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Bhikhari thakur
Bhikhari thakur

भोजपुरी माई के एगो लाल
मनई में कमाल
अइसने पूत के पाके, धरती हो गईली निहाल
काहे कि अइसन लोग धरती पर
बेर बेर ना आवेले
सांच सीधा गीत ना गावेले
परेम के , नेह के सनेह के
विछोह के
विराग के
हियवा में धधकत आग के
बाकिर उ गवलें
यहाँ उहाँ धवलें
हाथ में भोजपुरी के लिहले मशाल
जवना के लुत्ती लुत्ती में
रहे गाँव गवई के हाल
विधवा के विलाप
अनाथ के लोर
गरीब के सुसकी
महाजन के मनमानी
हेतना के करी
भोजपुरी के भंडार भरे ला
माई के सेवा करे ला
अपना गीत से
संगीत से
रीत से
पिरित से
जवना में नाटक बा
कहानी बा
आंखिया से चूअत पानी बा
लोर से लरजत ओरियानी बा
एगो टुटही पलानी बा
बोल बा झांझर मुंह आ झुराइल जवानी के
बाकिर
हउए उ अन्हार में अंजोर नियर
तबहीं नू दुनिया कहेला उनके
भोजपुरी के शेक्सपीयर .

भिखारी ठाकुर जी के 125 वीं जन्मदिन के पूर्व संध्या पर एक गो शब्दांजलि

(रचनाकार : संतोष कुमार
संपादक : भोजपुरी ज़िन्दगी)

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