भोजपुरी के बढ़िया वीडियो देखे खातिर आ हमनी के चैनल सब्सक्राइब करे खातिर क्लिक करीं।
Home भोजपुरी साहित्य डॉ. हरेश्वर राय जी के लिखल भजो रे मन हरे हरे

डॉ. हरेश्वर राय जी के लिखल भजो रे मन हरे हरे

0
डॉ. हरेश्वर राय जी
डॉ. हरेश्वर राय जी

नियरे बा फेन से चुनाव
भजो रे मन हरे हरे ।
कौअन के होइ काँव काँव
भजो रे मन हरे हरे॥

पाँच साल पर साजन अइहें
गेंदा फूल गले लटकैहें।
चारु ओरे होइ तनाव
भजो रे मन हरे हरे॥

हाँथ जोरि के मुँह बनइहें
आपन पनही अपने खइहें।
चलिहें गजब के दाव
भजो रे मन हरे हरे॥

मुँह उठवले भटकत मिलिहें
हर दर माथा पटकत मिलिहें ।
छुअत चलिहें मुँह पाँव
भजो रे मन हरे हरे॥

बालम वादा बाँटत फिरिहें
थूकत फिरिहें चाटत फिरिहें ।
पउआ बँटाई हर गाँव
भजो रे मन हरे हरे ॥

जीतिहें जइहें फेर ना अइहें
लुटिहें कुटिहें पिहें खइहें।
पूछिहें कब्बो ना नाँव गाँव
भजो रे मन हरे हरे ॥

होखल जरूरी बा इनकर दवाई
एहिमें बड़ुए सभकर भलाई ।
दिहल जरुरी बा घाव
भजो रे मन हरे हरे॥

डॉ. हरेश्वर राय, सतना, मध्य प्रदेश

NO COMMENTS

आपन राय जरूर दींCancel reply

Exit mobile version