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देवदास पारो | भोजपुरी कहानी | अब्दुल ग़फ़्फ़ार

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अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी

परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आईं पढ़ल जाव भोजपुरी कहानी देवदास पारो, कहानी के लेखक बानी अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी। पढ़ीं आ आपन राय जरूर दीं कि रउवा अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी लिखल भोजपुरी कहानी ( Bhojpuri Kahani ) कइसन लागल आ रउवा सब से निहोरा बा कि अगर रउवा सब के रचना अच्छा लागल त शेयर क के आगे बढ़ाईं।

लाजो नानी के घरे आइल रहली।

नीम के गाछ के घनघोर छाँव तले खरीहानी में एक ओर धान दंवात रहे आ एक ओर ओसावल जात रहे। बिरझन काका दौरी में धान भर भर के बखारी में बोझले जात रहें।

बिरझन काका, लाजो के नाना प्रेम साह के पुरान जाना हवें। सगरी उमिर उनकर ईंहें गुजर गईल। बियाह सादी भी ना कइलन।

नाना प्रेम साह त लाजो के जनम से पहिले ही स्वर्गवासी हो गईल रहलन, बाकिर लोग कहेला कि जबले जीयत रहलन तबले बिरझन काका के वफादारी पर उनके बड़ा गुमान रहे।

खैर, ई सबसे बेखबर ढ़ील हेरवावत, नानी के कहानी सुनत, लाजो के आंख भीज गईल रहे।

देवदास जब पारो के दुआर पर आके मर गईलन त ओकरा बाद का भईल नानी?

ओकरा बाद का भईल इ त हमरो पता नईखे, बाकिर भईल ईहे होई कि पारो अपना बाल बच्चन में अझुरा गईल होईहें। औउर का!

त ई त देवदास के संघे त लमहर बेवफाई भईल नानी!!

ईहे दुनिया के रीत ह लाजो। नेह केहु से लागेला आ सेनुर केहू के लागेला।

ऐईसन काहे होला नानी!
काहे ना जेकरा से प्रेम होखेला ओकरे से बियाह होखेला!!

बड़ी बड़ी झंझट बा ई दुनिया में नातिन।

अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी
अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी

बेटी के बाप, आपन बेटी के सुखमय भविष्य खोजेला त बेटा के बाप आपन लमहर लीलार देखेला। जात बिरादरी, ंच नीच, ई सब दीवार बनके खड़ा हो जाला। कौनो लईका गरीब होला त लईकनी धनिक आ कहीं लईकनी गरीब होले त लईका धनिक। केहू के कुंडली ना मिलेला त केहू के दहेज ना मिलेला। मान मर्यादा, पद प्रतिष्ठा आ अहंकार, सब बेड़ी बनके गोड़ में पड़ जाला।

एतना कहके नानी आपन अंचरा के कोर से आपन लोर पोंछे लगली।

तु काहे रोए लगलू नानी?

हमरो पुरान बात मन पड़ गईल हो।

का भईल रहे नानी!

छो ड़ – – बाद में कब्बो बता देब।

ना – अबहींए बतावे के पड़ी।

अरे कब्बो बता देब हो।

नाही, सुने खातिर हमरा मन व्याकुल होता नानी।

तु बड़ी जिद्दी हऊ लाजो।
एतना कहके आखिर नानी के बतावे के पड़ल।

हमरो ऐगो देवदास रहलन हो।

लाजो के भंगुआईल आंख भक्क से खुल गईल।
चकुआ के पुछली – तोहरो देवदास!! का कहलू! तोहरो देवदास!!

हं – – गरीब रहलें आ दोसर जात भी, ऐहिसे हमनी के बियाह ना भईल।

हमार बियाह साव जी के बेटा से, माने तोहार नाना जी से हो गईल।
ओह बेरा के बात कब्बो कब्बो मन पड़ेला त आंख भर आवेला।

तब त तुहो बेवफाई कईलू नानी!!

बेवफाई ??? अब जौऊन समझ ल नातिन।

बाप भाई के मान मर्यादा सबसे पहिले देखे के पड़ेला। जेकरा से आदमी ई दुनिया देखले बा ओकर एहसान भुलवला मान के ना रहेला। माई के दूध आ बाप के पसेना के कर्ज कब्बो अदा हो सकेला! जे जनम देहले बा ओकरा के लात मारल आसान ना होला लाजो।

थोड़ा सुस्ता के फेर कहल शुरू कईली।

दु चार बेरा ऊपास पड़ला के बाद प्यार के सगरी नसा भी उतर जाला नातिन। एगो दुगो लईका फईका होत-होत त सगरी कहानीए भुला जाला।

नानी, कहानी सुनावत सुनावत बेर बेर बिरझन काका के हांक लगा लगा के काम अढ़ावत रहली। आ बिरझन काका भी हं मलकिनी – अच्छा मलकिनी करत रहलन।

खै़र, नानी हंसते हंसते कहली – तु बता व लाजो, अगर हम बेवफाई ना कैइले रहतीं त आज तोहार नानी कैसे रहतीं – –
आ तोहके कहानी कैसे सुनैईतीं – – – !!!

ई बात पर दुन्नो जाने खिलखिला के हंस दिहल लोग।

लाजो जब मुड़ी उठा के केस संवारे लगली त कनखी से देखली के बिरझन काका आ नानी के बीच इशारा इशारा में भी एगो कहानी चलत रहे। लाजो सोचलीं की पुरनिया लोग के नजर अभी भी केतना तेज बा।

ओ–ह। अच्छा!!!

लाजो त लैइका रहली ना। उनके भोजपुरिया देवदास आ पारो के कहानी समझ आवत देर ना लागल।

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