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सोनपुर मेला के सैर : जमादार भाई

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सोनपुर मेला के सैर : जमादार भाई

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इ आलेख दीआ-बाती : कक्षा 6 खातिर भोजपुरी पाठ्य-पुस्तक से लिहल गइल बा।

जमादार भाई के जन्म सन् 1938 में सारण जिला के लहलादपुर गाँव में भइल रहे। भोजपुरी भारती के चर्चित संस्थापक, ‘पपीहरा’, टोटनाथ वाणी, चमन प्रहरी आ ‘भोजपुरी भारती पत्रिका’ के सह-संपादक रहीं। उहां के भोजपुरी में काव्य संग्रह मोजर, अगरासन, साधना के स्वर, भोजपुरी के चुनल राष्ट्रीय गीत प्रकाशित बाटे

सोनपुर मेला के धार्मिक, ऐतिहासिक, व्यावसायिक रूप के देखावल गइल बा। एह में गंडकी की के एह महिमावान माटी के आ विश्व प्रसिद्ध पशु मेला के वर्णन कइल बा।

जब जनता बाजार से सोनपुर मेला जाये खातिर कोच पकड़नी, त मन गह-गह हो गइलदिल दरिआव हो गइल। सोनपुर मेला के पहिले गेट के भव्यता देख के बुझा गइल कि अब सोनपुर मेला नियरा गइल बा। जंक्शन के पुरूब गंडक नदी के किनार पर मेला के विशाल स्वरूप लउके लागल। पशु-पक्षी के मेला, सरकारी प्रदर्शनी, साधुअन के जमात (नारायणी) आ बगल मे हरिहर महादेव के विशाल मन्दिर के संगही नदी किनारे गज-ग्राह के करिया मूर्ति देख के जियरा जुड़ा गइल। इ सब चीज देखला से बुझाइल कि कवनो इतिहास बोल रहल बा।

सोनपुर मेला के सैर : जमादार भाई
सोनपुर मेला के सैर : जमादार भाई

सोनपुर एगो ऐतिहासिक आ धार्मिक स्थल बाटे। पुराण में वर्णित गज-ग्राह के लड़ाई एहिजा भइल बा। गज के जब ग्राह पानी में खींच ले जात रहे त पीड़ा के एह समय में गज पुकारे लगलेभगवान विष्णु पैदल आके राज के से रक्षा कइनी। कोनहरा घाट में गंडकी के किनारे एकर मनभावन चित्र बाटे। कोनहारा. घाट से आगे बढला पर एह पार हरिहर नाथ के विशाल मन्दिर बाटे। सारण जिला में सात नाथ के चर्चा बाटे। ओह में बाबा ढोढ़नाथ, धर्मनाथ, शिलानाथ, बाबा महेन्द्रनाथ के बाद हरिहरनाथ के चर्चा बाटे। हरिहर नाथ हरि+हर से बनल बाटे। हरि माने विष्णु आ हर माने शिव होला । हरिहर के अर्थ भइल-विष्णु आ शिव के समन्वय । आजो ई शैव आ वैष्णव धर्म के संतुलित रूप ह। इहां कवनो धार्मिक उन्माद नइखेमिलन के प्रेम-धार बहल बा। अइसन ऐतिहासिक जगे पर सोनपुर मेला लागे ला।

कातिक के पुरनमासी के दिन विशाल मेला लागेला ई एशिया प्रसिद्ध मेला हवे। एहिजा विशाल पशु मेला लागेला। एह में भईस, गाय, बैल, घोड़ा, बकरी आ हाथी के खरीद-बिक्री होला। एशिया के हर कोना से लोग मवेशी लावेलन। खूब खरीदाला, बिकाला। अब त हाथी के बेंचल नइखे जात बलुक दान के पद्धति अपना लिहल गइल बा। एहिजा बहुत बड़हन सरकारी प्रदर्शनी लागेला। एह में रेलवे विभाग, पुलिस विभाग, बैंक आउर दोसर विभागन के बड़हन प्रदर्शनी लागेला। रेलवे, कृषि, बैंक, ग्रामीण विकास विभाग, हस्त करघा आ जन सम्पर्क विभाग के प्रदर्शनी देख के मिजाज खुश हो गइल।

अब चलनी सन-चिड़िया बाजार देखे। उहां तरह-तरह के चिरई-चुरुंग आ कुत्ता देख के मन खुश हो गइल । ओही रास्ता में लकड़ी के विशाल दूकान लागल रहे । बाकिर बगल में गरम कपड़ा के दूकान, मौत के कुंआ, सर्कस के खेल देखे के मिलल । थोड़ही दूर पर साधु-संत लोग ठहरल रहे। उहां सब विभिन्न सम्प्रदाय के रहीं। बाकिर ओहिजा राष्ट्रीय एकता के भाव भरल रहे। सभे में कवनो मतभेद ना रहे। कातिक पुरनमासी के गंडकी में स्नान मन के पवित्र कर देला। सोनपुर के प्लैटफार्म एशिया में प्रसिद्ध बाटे। बाकिर इहां के थियेटरो बहुते प्रसिद्ध बाटे। पहिले इहां पारसी थियेटर कम्पनी आवत रहे। बाकिर ओकर स्थान अब थियेटर कम्पनी ले ले बिआ। इहां मनोरंजन आ संस्कृति के धार बहेला। सोनपुर मेला में बहुत कुछ देखे के मिलल। मन में एकर इयाद ढेर दिन ले रही।

सोनपुर मेला के सैर कर के साँझ होते घरे लवट चलनी। सोनपुर मेला के सैर बहुत कुछ सिखा गइल।

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