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विमल कुमार जी के लिखल तब देहिया पीर

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जब नेह के रोग देह में घुसे
तब देहिया पीर से पिरा जाला,
परेम के सिवा तब कुछु ना सूझे
कुछु कहला पो कुछुओ सुना जाला।
जब नेह के———————-
तब देहिया पीर—————–।।

आस के एगो छोटे चिंगारी
रुकल दिलवा के धड़कन बढ़ा जिला,
ना जाने पेआर कवनो टाॅनिक ह
मुअल के जिन्दा बना जाला।
जब नेह के————————
तब देहिया पीर।।

पेआर ना जाने कइसन बिमारी ह
एह रोग में दवाई बेअसर हो जाला,
एह रोग के रोगी ठीक ना होले
कबो रोवे हँसे कबो ठिठक जाला।
जब नेह के————————-
तब देहिया पीर।।

मछली जइसन उनुकर तड़प
मिल गइला पो खुशी में बदल जाला,
नजर से नजर तब हटे ना
आँखिए में रतिया कटि जाला।
जब नेह के ———————
तब देहिया पीर——————।।

विमल कुमार
ग्राम +पोस्ट-जमुआँव
थाना-पीरो
जिला-भोजपुर (बिहार)

Dehiya ke pir written by Vimal Kumar ji.

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