बिहार दिवस : पुरनका गरिमा आ प्रतिष्ठा कब मिली

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बिहार दिवस, आजुये के दिन 22 March 1912 में बंगाल से बिहार अलगा भइल रहे आ एगो नाव राज्य के दर्जा मिलल रहे । आज का नइखे बिहार में ? हर तरह क मौसम बा फल बा फूल बा खान बा पान बा । गंगा जी क पानी बा जिनगी क रवानी बा एकरा लगे । आज बिहार के रहवइया कहवाँ नइखन देश होखे भा बिदेश । बड़ा जीवट वाला होलन बिहार वासी । कवनो परिस्थिति में भी जीवन यापन करेवाला । इनकर बुद्धि ज्ञान के सभे कायल रहेला । मजदूर से लेके उच्च पद, नेता से लेके मन्त्री सब पद के बिभूषित कर तान बिहार वासी ।

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कवनों दिन अपना बिशेष उपलब्धि के कारण ख़ास बनी जाला । आजु के दिन माने 22 मार्च ( बिहार दिवस ) अपना कुछ खाशियत के कारण आम से खास बनी गइल । जल संरक्षण दिवस ह आज । जल त जीवन ह, एकर मात्रा येह धरा प निश्चित बा । एके बेवजह खर्चा ना करेके चाही एह बात के समुझल बहुते जरूरी बा एहि ख़ातिर ई दिवस मनावल जाला ।

बिहार दिवस : पुरनका गरिमा आ प्रतिष्ठा कब मिली
बिहार दिवस : पुरनका गरिमा आ प्रतिष्ठा कब मिली

बिहार एगो प्रदेश ह जहवाँ सरयू, गण्डक, बागमती, कमला, कोसी, पुनपुन, फ़ाल्गु नियन नदी बाड़ी सन । उ प्रदेश में कभी अकाल पड़ी जाला आदमी पानी बिना छछन जालन त कबो एतना न पानी होला की बाढ़ आ जाला, दुनो परिस्थिति से प्रदेश अउरी जनता दुनो पाछे हो जाला बिकाश क गती धीमा पड़ जाला इहो एगो बिडंबने बा। 1912 में बिहार राज्य क स्थापना क घोषणा से लेके आज तक का इतिहास उपेक्षा, पिछड़ेपन, जातिगत संघर्ष, गरीबी, शोषण, उत्पीड़न क इतिहास रहल बा। वन सम्पदा क मामले में धनी प्रदेश में सरकारी आ जनमानस के उदासीनता के चलते साल, शीशम, सेमल, लाख जइसन फेड इतिहास में विलीन होखहीं वाला बाड़न स ।

धान, गेहूँ, मक्का, जव, मरुआ, ज्वार, बाजरा, गन्ना, जूट, तिलहन, दलहन, आलू, तम्बाकू जइसन फसलन क रिकाॅर्ड तोड़ उत्पादन करे वाला बिहार आज सरकारी उपेक्षा के चलते किसान खेती बारी कइल बंद करत जा तान स । कारण उचित मूल्य अउरी बाजार क अभाव होखे बा मजदूरन क पलायन। मजदूर, युवा, पढ़ल-लिखल सभे प्रदेश से पलायन कर रहल बा काहें की रोजगार नइखे। साथ ही, बिहार राज्य शासन के औद्योगिक उपक्रम सिर्फ बोर्ड पर लिखल लउकता । जमीनी और वस्तु स्थिति दयनीय बा ।

तारकेश्वर राय जी
तारकेश्वर राय जी

कभी ज्ञान के क्षेत्र में भारत विश्व गुरु अउरी भारत के विश्व गुरु बनावे वाला बिहार रहे । आज बिहार के बच्चा सब दूसरा प्रदेशों में शिक्षा प्राप्ति ख़ातिर अधिक मात्रा में धन चुका रहल बाड़न स । काहेकि प्रदेश में प्राथमिक, मध्य अउरी उच्च शिक्षा क बुरा हाल बा। गिरत शिक्षा का स्तर बिहार क इज्जत, प्रतिष्ठा अउरी विकास के मनोबल के तोड़के रख देले बा।

कभी पटना विश्वविद्यालय के मिनी आॅक्सफोर्ड क नाँव से जानल जात रहे, आज बिहार से शिक्षा प्राप्त प्रत्येक छात्रा के संदेह क दृष्टि से अउरी उनकर प्रमाणपत्र के जाली समझल जाता । क्षेत्राीय अउरी प्रान्तीय भाषा में मगधी, भोजपुरी, मैथिली मरे क स्थिति में बा। जबकि मुण्डा पारिवार क भाषा, अंगिका, और वज्जिका लुप्त के कगार प बा । बिहार के परव त्यौहार अउरी मेलन में खुशी अउरी उत्सव क माहौल होत रहे, आज गरीबी, राजनीति अराजकता लूट मार, गुण्डागर्दी, रंगदारी अउरी रोज-रोज के पलायन से कुल्हिये रोनक छीना गईल बा।

बिहार ह अश्वघोष, आम्रपाली, गौतम बुद्ध, राजा जनक, सीता, जरासंध, महावीर, कौटिल्य, चन्द्रगुप्त मौर्य, अशोक, राहुल सांकृत्यायन, आर्यभट्ट, रामवृक्ष बेनीपुरी, रेणु, शेरशाह, कुंवर सिंह, राजेन्द्र प्रसाद, श्रीकृष्ण सिंह, जयप्रकाश नारायण, दिनकर, नागार्जुन, केदारनाथ, शिवपूजन जइसन विभूति क , येह जमीन में बहुते ऊर्जा बा ।

ई कुल्हिये ऊर्जा दोसर प्रदेशन के निर्माण में ख़र्च हो रहल बा । ई ऊर्जा अपना प्रदेश के बढ़न्ती में ना लग सके ? आवश्यकता बा त सिर्फ शुरूआत करे क । मगर इच्छा शक्ति अउरी राजनीति कुण्ठा बिहार के प्रगति के मार्ग के रोकता ।

हम कबो बिहार के एतना खुशहाल, सम्पन्न नाहीं देखनी, जेतना प्राचीन अउरी मध्यकालीन इतिहास बिहार के आर्थिक प्रशासनिक और संस्कृति रूप से धनी अउरी सम्पन्न देखावेला । कबो कबो इतिहास पर शक और सुभा होखे लागेला की आखिरकार बिहार कब आत्मनिर्भर, सम्पन्न अउरी खुशहाल बनी, आखिरकार प्रदेश क चौमुखी और बहुमुखी विकास कइसे ? अउरी के करी ? बिहार अउरी बिहार वासिन क पुरनकी गरिमा और अउरी प्रतिष्ठा कब स्थापित होखी ?

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