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मणि बेन द्विवेदी जी के लिखल भोजपुरी लघु कथा पुरस्कार

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मणि बेन द्विवेदी जी

परनाम ! रउवा सब के जोगीरा डॉट कॉम प स्वागत बा, आई पढ़ल जाव मणि बेन द्विवेदी के लिखल भोजपुरी लघु कथा पुरस्कार, पढ़ीं आ आपन राय जरूर दीं कि रउवा इ भोजपुरी लघु कथा कइसन लागल आ रउवा सब से निहोरा बा कि एह लघु कथा के शेयर जरूर करी

रश्मि ये रश्मि कहाँ बाड़ू? आरे जल्दी आव हई देख..

का ह जी..आरे अइसन कवन बात हो गईल जे रउआ एतना ख़ुशी से नाचे लगनी

आरे आव ना जनबू नू त तुंहु नाचे लगबू !

एतना बोलते विनय सीधे चौउके में ढुक गइले जानत रहलें कि ये बेरा रश्मि खायका बनावे में अझुराइल रहेली। हई देख आपना हाँथ में लिहल कागज़ रश्मि के पकड़ा देहले,……
ई का ह जी?

“ल भाई तूँ खुदे पढ़ ल”
“एहीसे नू बी ए पास मेहरारू चुननी पढ़ पढ़ जल्दी पढ़” हटी जी,… रउरो नू हर घरी मसखरिये सुझेला,…..एतना कह के रश्मि ऐके सांस में पूरा पन्ना पढ़ गईल
पढ़ के उहो ख़ुशी से नाचे लागली ,.

आरे वाह्ह रे,….रउआ के सबसे बेहतर या उत्कृष्ट कार्य करे ख़ातिर राउर नाम चुनाईल बा एईजग से ,……नितीश कुमार अपना हांथ से रउआ के पुरस्कार दिहें! हं रश्मि हर विभाग से एगो आदमी जे अपना कार्य क्षेत्र में सबसे बढियाँ काम कइले बा ओकर नाम हेड ऑफिस में भेजल गईल बा।

हमरा विभाग से हमार नाव चुनाईल ह,…

देखनी नू हम कहत रहनी नू कि मेहनत आ ईमानदारी के फल एक दिन जरूर मिलेला बाक़ी ये चोर लूटेरन के त एक दिन जेल जाहिं के बा।

“हे काली माई हे देवता पीतर लोग आज हमार सपना पूरा कईनी”।

और आख़िर उहो दिन आ गईल जब मुख्य मंत्री श्री नितीश कुमार जी आपना हाँथ से विनय के पुरस्कार दिहलें आ प्रसंसा के साथे साथे फोटो भी खिचवले। विनय का त ख़ुशी के ठिकाना ना रहे केहू पार्टी त केहू मिठाई खाये के मांग कईल रश्मि भी विनय का साथे पटना आइल रहली।

मणि बेन द्विवेदी जी
मणि बेन द्विवेदी जी

अब त विनय और भी मन से सगरी काम करे लगलें ना खाये के समय ना सुते के समय। सब लोग बहुते प्रसंशा करे बड़ा ही संतोष मिले विनय का आपन जिम्मेदारी निभा के।

अचानक एक दिन पता चलल कि विनय के बदली दूसरा शहर आ विभाग में क दिहल गईल जहां काम के नाम पर कुछ ना रहे खाली बईठा बईठि रहे! विनय काफी परेशान भइले कि आख़िर एकर कारण का बा?

तबे एगो सहकर्मी आ के बतवलस जे सुन के विनय बहुते दुखी भइलें “देखि सर हम त पहिलहीं से रउआ से कहत रहनी की बीच बीच में जा के अपना ऊपर वाला अधिकारियन से भेट मुलाक़ात क लिहल करीं”, त रउआ बुझनी ना.!

ना त रउआ अइसन लोग इहाँ ढेर दिन ना टिकेला!

आरे ई सरकारी नोकरी नू ह….. इहाँ निचे से ऊपर ले सबके ख़ुश क के राखल जाला खालनीमन कामें से थोड़े लोग निहाल होइ…….बुझनी नू,….. विनय सब माज़रा बुझ गइले कबो उ आपन पुरस्कार का ओर देखस त कबो आपन स्थानांतरण आदेश का ओर।

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