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अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा अनबोलता धन

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अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी

परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, रउवा सब के सोझा बा अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा अनबोलता धन ( Bhojpuri Laghu katha Anbolta Dhan) , पढ़ीं आ आपन राय जरूर दीं कि रउवा अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी लिखल भोजपुरी लघुकथा (Bhojpuri laghu katha ) कइसन लागल आ रउवा सब से निहोरा बा कि एह लघुकथा के शेयर जरूर करी।

पूस के महीना। अभईन आठे दिन पहले एतना सुन्नर सुन्नर दु गो पठरू देहले बीया –

अचानक एक बजे रात के बकरिया के चिल्लाईल सुन के जैबुन, उनकर बहिन नजबुन (एक्के घर में दुनो बहिन बियाहल बा लोग) , जैबुन के दुनु बेटी अजरुन आ सदरुन, जब घारी के केंवाड़ी खोललस लोग त एह लोग के देखते बकरिया अऊर चिल्लाए लागल।

जैबुन, बकरिया के ई हालत देख के छाती पीट पीट के रोए लगली –

ए अल्लाह – ई मर जाई त ऐकर बचवा कईसे पोसैहें सन।
ए अल्लाह – एकर जनवा बकस द, ना त दुनू बचवा टूअर हो जैहन सन।
ए अल्लाह – माफ कर द,एकर जिनगी बकस द, ना त केतना दूध कीन कीन के पियाएब हम

जैबुन आंसू पोंछत रहली आ रोअत रहली। उनकर मनवा कई जगह बौंड़ियात रहे – का जाने एकरा ठंडी मार देहले बा की ढ़ेर भात खिया देहले बाड़न सन, कि सांप कीड़ा काट लेहले बा।

जैबुन बकरिया के अपना गोदी में ऊठा लेहली। नजबुन आ सदरुन हाली हाली सुखल घास भूंसा ले आ के फूंके लागल लोग आ बकरिया के तपावे लागल लोग।

अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी
अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी

बड़की बेटी अजरुन के सदमा धऽ ले ले रहे। फरके खड़ा होके टुकुड़ टुकुड़ ताकत रहली । असल में अजरुने, बकरी खस्सी के गूह मूत आ सेवा बरदास सब करेली। ऐ लिए बकरिया के ई हालत देख के उनकर दिमाग सन्न हो गईल रहे।

जैबुन के ई बकरी खस्सी पोसला के पीछे के मकसद अजरुन के बियाहे बा। तीनू जानी आगी बार बार के बकरिया के चारों ओर से सेंकत रहे लोग आ अजरुन खड़े खड़े आंसू बहावत रहली।

जब जब बकरिया घेंट मूड़ी घुमावे, चाहे लात चलावे, सबकरा मन में ओकर जान बच जाऐ के उमीद जाग जाए। लेकिन जैसे ही बकरिया सुस्त पड़ जाए सबके उमीद भी सुस्त पड़ जाए।

आगी से सेंकत सांकत जब बकरिया के देह गरमा गईल त जैबुन के उमीद भी बलवान हो गईल। ओकरा के उठा के अपना बिछवना लगे ले आके सुतवली। दुनू बेटी आ दुनू बहिन मिल के फेर एहुजा आगी जगावल लोग आ बकरिया के चारों ओर से खूब सेंकाई कईल लोग।

ईहे सब करत धरत चार बज गईल आ भिनसहरा हो गईल । बकरिया के जान में जान लौटत देख के सब कोई आपन आपन बिछवना पर सुते चल गईल लोग।
बाकिर जैबुन ओकरा के छोड़ का ना गईली आ ओकरा के सेवत रहली।

ऐही बिच में अजान होखे लागल। जैबुन ओकरा के अल्लाह के भरोसे छोड़ के वजू बनावे चल गईली।

नमाज में अल्लाह के सामने खूब रो रो के ओकर जिनगी के भीख मंगली। नमाज पढ़ला के बाद उनके दिल के बड़ी सबर आ सुकून मीलल।

बड़ी उमीद लेके जब वापस लौटली त देखत बाड़ी की ओकर सांस बंद हो गईल बा आ देह ठंडा गईल बा, गोड़ हाथ कंडा लेखा टाईट हो गईल बा। ई देख के जैबुन भोकार पार के रोए लगली। उनकर रोआई सुनके घर भर के लोग जाग गईल आ सभे दौड़ल आईल लोग। सभे जैबुन के दिलासा देवे लागल लोग।

ईहां तक कि बड़की बेटी अजरुन भी समझावे लगली – चुपा जा अम्मी, अल्लाह के मर्जी ईहे रहल ह। जब आदमी मर जाला त सबर करेके पड़ेला ई त अनबोलता धन रहल हियऽ।

जैबुन के आंख के लोर अचानक सूख गईल। टुकड़ टुकड़ कबो आसमान के ओर, आ कबो अजरुन के ओर निहारे लगली।

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