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भोजपुरी लघुकथा | अगुअई | दिलीप पैनाली

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दिलीप पैनाली जी
दिलीप पैनाली जी

परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आयीं पढ़ल जाव दिलीप पैनाली जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा अगुअई, रउवा सब से निहोरा बा कि पढ़ीं आ आपन राय जरूर दीं, अगर रउवा दिलीप पैनाली जी के लिखल रचना अच्छा लागल त शेयर जरूर करी।

जलेसर: ए भुअर! रे !मरदवा एगो खनहन परिवार वाला लइका ना बतावऽ।

भुअर: एकदम तहरा जुकुर एगो लइका बा।ओह परिवार में आदमी हइए नइखे!

जलेसर: रे! मरदे बिना आदमी वाला घर में कइसे बिआह कइल जाई -तू हुँ —

भुअर: बाक मरदे तू हुँ गजबे बारऽ–आदमी नइखे माने बहुत कम बा बस बाबू माई आ एगो बहिन। कहऽ त काल्हुए चलल जाव।

फटफटिया कसल लो आ दूनु जने चल दीहल लो बेटहा का गांवे।
“फुलेसर भाई राम राम”
“राम राम भुअर, आवऽ आवऽ बइठऽ, रे बबुओ! तनी चाह बनवावऽ स रे। ”

“फुलेसर भाई हम एगो अगुआ ले के आइल बानी, बेटा के बिआह करीं। ”

देखऽ भुअर जब लइका बा त बिआह करहीं के बा।बइठीं सभे चाह पानी होखो त बात होई।

दूनु जने बतियात बधार का ओर चल देता।आ बेटिहा दुआर पर बइठल अकेले चाह सुरूकत बारें।

फुलेसर: देखऽ भुअर हमरा लइकी त पढ़ल लिखल चहबे करी संगही हाइटो चाहीं 5फुट 3इंच। रह गइल बात दान दहेज के त जानते बारऽ, हमार कवनो माँग नइखे। अइसे लोचन का तरफ से पनरे के आॅफर आइल बा लेकिन ओह लइकिया के बहिन लगहीं जगत का घरे बिया। किनहू के चैन से नइखे रहे देत, केश फउदारी सब हो गइल बा।एह से हम ओजा नइखी कइल चाहत।

भुअर: देखीं ई लइकिवाला पइसा का ममिला में बहुते कमजोर बा। बाकिर लइकी के पढ़ा लिखा के होशियार बना देले बा। ओकर जल्दिए कहीं ना कहीं नोकरी लाग जाई। हई देखीं ना ओकर एकेडमिक व्यौरा।हं रंग रूप आ हाइटो में एकदम फिट बिया।

मैट्रिक इंटर आ डिग्री के नंबर देख फुलेसर मने मने तइयार हो गइलें। बस उनके एके बात के चिंता सतावे लागल जे अगर भुअर बातचीत में रहिहें त लेन देन के पोल खुल जाई।आ आउर लोग जइसन समाज में ढ़ाह ना पाएम।

“ए भुअर हम तनी लइकी का बाबू से बतियावल चाहऽतानी” फुलेसर कहलें।

“त एह में का हर्ज बा, जाईं बतिया लीं” भुअर कहलें।

एकोरा जाके फुलेसर जलेसर से कहलें “देखीं जी हम रउआ कींहा बिआह करेला तइयार बानी। अब रउआ हमरा के जाँच लीं परख लीं, जदि जो हम पसंद पर जाईं त रउआ अगिला बेर आईं विशेष तुलकमान नइखे दिनवार सब धरा जाई।लेकिन हो भुअरा के संगे ले के मत आइब। जवन बात होई हमरा आ रउरे बीच होई तिहला के कवनो दरकार नइखे। आ रउआ निश्चिंत रहेब, लेनी देनी ला काम ना बिगड़ी, हम जबान देतानी।

कुछ दिन बाद बाजा बाज गइल। एने से कैश ओने गइल आ ओने से चेक एने आइल। हीत नात के एकांउट में आइल पइसा देखा फुलेसर खूब शोहरत बटोरलें।

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