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भोजपुरी लघुकथा बटवारा : संगीत सुभाष

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भोजपुरी लघुकथा बटवारा : संगीत सुभाष

परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आई पढ़ल जाव संगीत सुभाष जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा बटवारा, रउवा सब से निहोरा बा कि पढ़ला के बाद आपन राय जरूर दीं, अगर रउवा संगीत सुभाष जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा अच्छा लागल त शेयर आ लाइक जरूर करी।

फुलेसर आ बिसेसर दुनू भाई अपना बाप का मुअते- मुअत अलगा होखे के तइयारी क लिहल लो। पंच लो जउरिआइल आ घर-दुआर, खेत-खरिहान, फेड़-खूँट, गहना- गुरिया सब चीज बराबर- बराबर बाँटि दिहल।

दुपहरिया में बँटवारा भइलसाँझि बेरा दुनू भाई का अलगा-अलगा रसोई बनल। सभे खा-पी के सूते जाए लागल तले का जाने कहाँ से फुलेसर का छोटका लइकवा का मन परल आ पूछलसि-‘ ए माई! इआ ना खइहें का?’

फुलेसर बो कहली-‘ का जाने खइहें कि ना? हम त इहो नइखीं जानत कि केकरा बखरा परल बाड़ी?’

भोजपुरी लघुकथा बटवारा : संगीत सुभाष
भोजपुरी लघुकथा बटवारा : संगीत सुभाष

बिसेसर सब बात सुनत रहलें। कहलें कि माई के त बखरा ना लागल ह। अब ओकरा खातिर बिहने पंच बोलावल जाई।उनके मलिकाइन कहली कि हमरा इहाँ त अब कुछु बचलो नइखे कि दे दीं। इहे बात फुलेसरो बो कहली।

माई दुनू जना के चिन्तामुक्त करत कहलसि-‘ तहन लोग खा लिहलऽ त बुझऽ लो हमहूँ खा लिहनीं। एक बेरा ना खइले हम मरब ना। जा लो, चैन से सूतऽ। बिहने हमार बखरा लगा लिहऽ लो त खिआ दिहऽ लोग।’

बिहानहीं पंच महतारी के बटवारा करे एकठ्ठा भइलें। फुलेसर माई के जगावे गइलें। माई ना बोललि त ना बोललि। माई दुनू जना के भीरि खतम क के हमेसा खातिर सूति गइल रहे। केहू ना जानल कि फुलेसर आ बिसेसर के माई भूखे मुअलि ह कि अपना बटवारा का सदमा से?

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