भाषा सर्वेक्षण 2011 के रपट आ गइल। भोजपुरी समाज में आपन माई भाषा के प्रति जागरण देखल जा सकेला। बहुत खुशी के बात बा बाकिर जागरण के जरूरत अभियो महसूस हो रहल बा बाकिर हमनी का संख्या में 1999-2001 के बनिस्पत 2001- 2011 में एक करोड़ सत्ताईस लाख अस्सी हजार(12780000) के बढ़ोतरी भइल बा। ई हमनी का जागरूकता के परिचायक बा।
2001 में भोजपुरी के पहिल मातृभाषा के (लैंग्वेज वन L 1) के रूप में 39,445 300(यानि तीन करोड़, चौंरानबे लाख पैतालीस हज़ार आ तीन सौ लोग बोलनिहार रहे। जबकि दूसरकी मातृभाषा के रूप में 74,100( चौहत्तर हज़ार आ एक सौ) लोग बोलनिहार रहल। बाकिर भाषा सर्वेक्षण आपन रिपोर्ट में 37,800,000 ( तीन करोड़ आ अठहत्तर लाख) बतवले रहे।
2011 में भाषा सर्वेक्षण के रपट बतलावत बा कि भोजपुरी बोलनिहार के संख्या 50, 580, 000 ( पांच करोड़, पांच लाख आ अस्सी हज़ार) बा। मतलब भारत के जनसंख्या के 4.18% भोजपुरी भाषी बाड़न।
आई एगो मज़ेदार आंकड़ा दीं। भोजपुरी बोलेवाला लोग भारत में कुल उर्दू बोले वाला के लगभग बराबर बा। कन्नड़, मलयालम, उड़िया, पंजाबी, राजस्थनी, असमिया, मैथिली, संथाली, कश्मीरी, सिंधी, डोगरी, आ बोडो से संख्या में बीस बा।
कइसे? डाटा देखीं-
उर्दू – 50,73 0000- 4.19%
कन्नड़- 43510000- 3.59%
मलयालम- 34780 000- 2.8%
उड़िया- 34060600- 2.81%
पंजाबी- 31 140 000- 2.5%
*राजस्थानी- 25810000- 2.13%
असमिया-14820,000- 1.22%
मैथिली- 13,350,000- 1.10%
संथाली- 6973000- 0.576%
कश्मीरी- 6554000- 0.541%
सिंधी- 1679000- 0.139%
बोडो- 1455000- 1.20%
डोगरी- 2596767 मात्र।
संस्कृत- 24821 मात्र।
मणिपुरी- 17, 61, 079 मात्र।
आ
नेपाली- 29, 26,168 मात्र।
*राजस्थानी संविधान के आंठवी अनुसूची में नइखे। बाकी सभ भासा के संवैधानिक दर्जा मिलल बा।
अब सवाल बा खाली हिंदी के संख्या बढ़ावे खातिर भोजपुरी हिंदी के गुलामी सहो?
ऊपर दिहल भाषा से भोजपुरी भाषा कहवाँ कम बा? हमनी भोजपुरिया के लड़ाई लमहर बा। अब सभे अउरी शिद्दत से आपन माई भासा के लड़ाई में योगदान दी। 2021 के सर्वेक्षण में हमनी का डाटा कम से कम 10% होखल जरूरी बा। उमेद जिंदा राखे के बा।
संतोष पटेल, राष्ट्रीय अध्यक्ष
भोजपुरी जन जागरण अभियान।
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