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कपिल पांडेय जी के लिखल भोजपुरी दोहा संग्रह जीभ बेचारी का कही

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कपिल पांडेय जी के लिखल भोजपुरी दोहा संग्रह जीभ बेचारी का कही
कपिल पांडेय जी के लिखल भोजपुरी दोहा संग्रह जीभ बेचारी का कही

भोजपुरी दोहा संग्रह जीभ बेचारी का कही के लेखक के कलम से

पिछला कुछ साल से भोजपुरी में दोहा खूबे लिखा-छपा रहल बा। भोजपुरी के साइते कवनो कवि होइहन जे कुछ-ना-कुछ दोहा ना लिखले होईहें, आ साइते कवनो पत्रिका होई जवना में कुछ-ना-कुछ दोहा ना छपत होई। पत्र-पत्रिका का अलावें, भोजपुरी में प्रकाशित कविता संग्रहन में दोहा के भी पुरहर समावेश होखे लागल बा। एकरा अलावें, भोजपुरी में दोहा के कइएक एकल संग्रहों पुस्तकाकार प्रकाशित हो चुकल बा, जवना में विशेष रूप से उल्लेख बा बृजभूषण शर्मा ‘मुखिया जी’ के भोजपुरी सतसई, सूर्यदेव पाठक ‘पराग’ के पराग सतसई आ चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह ‘आरोही’ के ‘आरोही हजारा’। डॉ शंभुशरण, डॉ अशोक द्विवेदी, बरमेश्वर सिंह, कृष्णानन्द कृष्ण, भगवती प्रसाद द्विवेदी जइसन कुछ आउर कवि लोग दोहा-लेखन के दिशाईं काफी सक्रिय रहल बा, आ बहुत संभव बा कि निकट भविष्य में एहू लोग के दोहा संग्रह प्रकाशित होखे।

दोहा-संग्रह खातिर ‘सतसई’ भा ‘हजारा’ के आस्पद आ संख्या के एगो मानक आ परम्परा बन चुकल बा। ओह मानक आ परम्परा के निबाहे लायक सामग्री हमरा पास नइखे। हमार मज़बूरी ई रहल बा कि दोहा रचना के हमार गति मंथर रहल बा, आ कवन ठेकाना कि आगे इहो रफ्तार रह पाई कि ना, आकि का होई। अब आउर रुके के धीरज अपना में ना रहे। ये से, ओह परम्परा पोषित दोहा संख्या के अधियावत, सिर्फ तीन सौ एकावन दोहा के ई भोजपुरी दोहा संग्रह जीभ बेचारी का कही प्रस्तुत कर रहल बानी, एह निवेदन के साथे कि –

कइलीं जे कुछ हो सकल, खाके सतुवा-नून
बाटे रउवा सामने, जे भी नीक जबून

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रउवा खातिर  
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