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भोजपुरी गीत संग्रह जियरा बोले : महेन्द्र कुमार सिंह नीलम

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भोजपुरी गीत संग्रह जियरा बोले : महेन्द्र कुमार सिंह नीलम
भोजपुरी गीत संग्रह जियरा बोले : महेन्द्र कुमार सिंह नीलम

भोजपुरी गीत संग्रह जियरा बोले : मानव अभिलाषाएं अनन्त है, जीवन में कुछ ही पूर्ण हो पाती हैं क्योंकि उनके ऊपर विजय पाना कठिन हैं। जिस धूल माटी में खेल कूद कर मैंने अपना शैशव बिताया था उसकी छाप जीवन प्रर्यन्त रहेगी। यही कारण है कि जिला गाजीपुर छोड़ने के बाद इस प्रयाग की पावन भूमि में वहां के किलकते हुए भावनाओं की पूर्ति कर रहा हूँ। भोजपुरी गीतों का यह काव्य पुष्प “जियरा बोले” आप के समक्ष है।

भोजपुरी गीत संग्रह जियरा बोले : महेन्द्र कुमार सिंह नीलम

मैंने जो कुछ चयन किया है वह वातावरण से ही प्रभावित होकर । जिस माटो ने जन्म दिया उसकी अमिट छाप तो प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से हर मनुष्य के जीवन पर पड़ती है और उसी के वशीभूत होकर मानव सृजनात्मक कार्य करता है चाहे वह जिस देश काल का क्यों न हो, प्रकृति अपनी गोद में उसे दुलार कर उठने का सहारा देती ही है यही कारण है कि मुझे भी इस वातावरण से प्रभावित होना ही पड़ा । भिन्न-भिन्न दृष्टि कोरण को लेकर मैंने कुछ मानवीय एवं प्रकृति के प्रत्यक्ष और परोक्ष भावनाओं को स्पर्श किया है तथा समाजिक परिवर्तन जो समयानुकूल होते रहते है उसकी ओर भी दृष्टिपात किया है, इसमें मुझे कहाँ तक सफलता मिली है इसके निर्णायक तो आप पाठक गण ही हैं। यदि इस संग्रह के पढ़ने में कुछ आपको आनन्द मिला तो वह मेरी सफलता होगी।

इन गीतों के साथ-साथ मैंने चित्रों का भी सृजन किया है जो उन्हीं आधार पर हैं, आशा है कि ये चित्र भी आपका मनोरंजन कर सकेगें । अधिकतर इस पूस्तक के गीत आकाशवारणी इलाहाबाद से प्रसारित हो चुके हैं। मैं अपने उन अभिन्न मित्रों एवं भाइयों को कभी भी नहीं भूल सकता जो .कि मुझे बार-बार प्रोत्साहन एवं उत्साह देकर ऐसा कार्य करने के लिए बाध्य किए हैं । जिनमें सर्व श्री, श्री मन्ननारायन द्विवेदी, मदन मोहन “मनुज” “कैलाशनाथ मेहरा, महेश्वर नाथ सिंह, युक्ति भद्र दीक्षित, कमला शंकर सिंह तथा अपनी भी एक प्रयाग में साहित्यिक संस्था “नव प्रभात” है जिसके सभी सदस्यों का आभारी हूँ जिनका बहुत बल मिला है। इस सुअवसर पर अपने पूज्य पिता ठा० रघुवीर चंद्र सिंह का चरणास्पर्श करता हूँ जिनको इस पुस्तक की बहुत दिनों से उत्कंठा थी।

अन्त में श्रद्धय डा० उदय नारायण तिवारी का विशेष रूप से आभारी हूं जिन्होंने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया और इस भोजपुरी साहित्य के आँगन में फ्नपने का अवसर दिया
महेन्द्र कुमार “नीलम”

भोजपुरी गीत संग्रह जियरा बोले : महेन्द्र कुमार सिंह नीलम

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