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भोजपुरी लघु कथा “वसीयतनामा”

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हकासल, पिआसल, हैरान, परसान, डेराइल, घबराइल, रोवत आ बदहवास पूनम एगारहवाँ तल्लता के फ्लैट नंबर 111 के बाहरे से भागत सीढी से दउरत बारहवाँ तल्ला पर पहुँच के फ्लैट नम्बर 121 के दरवाजा जोर जोर से पिटे लगली, मुंह से कुछ कहल चाहत रही बाकिर आवाज रुन्हा गईल रहे. दरवाजा के पिटला के आवाज जय राम सिंह के कान में पंहुचल उ आपन दरवाजा पर लागल कैमरा से घर के भीतरी लागल स्क्रीन पर पूनम के एह हालत के देखते चउक गइले. लुंगी आ गंजी पहिरले उ दरवाजा ओरी लफत छिटकिल्ली खोल देलें .
जय राम सिंह पुनम के घबरायिल देख के खुदे घबरा गइले आ तोख आवाज में पुछले – पूनम ! का भईल रे ?

भैया जी, देखि ना दू दिन पर हम काम पर आइनी ह, हमर छोटका बेटा के तबियत ख़राब रहे, आजू काम पर अइनी ह त देखनी ह कि आंटी जी के दरवाजा बंद बा, दू दिन से दूध आ अखबार बाहरे पडल बा. मोबाइल बाजते नइखे आ लैंड लाइन घनघनात बा बाकिर घर में कवनो सुर-खार नइखे बुझात. दरवाजो खटखटा लेनी बाकिर कवनो आवाज नइखे !

जय राम सिंह एक सेकंड ला आंख मुनले आ फेर पूनम के संगे संगे फ्लैट नम्बर 111 पर सीढीये से आंटी जी यानी मिसेज सेन के दरवाजा पर पहुच गईले. पूनम मिसेज सेन के घर में नौकरानी रहली . मिसेज सेन डॉ सेन के मरला के बाद दिल्ली के चिंतरंजन पार्क के घर छोड़ी रोहिणी के सेक्टर 16 के जय काली माता सोसाइटी के फ्लैट में रहे लागल रही. एह सोसाइटी में बंगाली लोग रहे ओहमे के केतना ढेर लोग के डॉ सेन के साथे सरकारी हॉस्पिटल में डॉक्टर से रिटायर्ड रहले . जबकि मिसेज सेन दिल्ली विश्वविद्यालय से सेवा प्रोफेसर पद से सेवा निवृत रहली .

मिसेज सेन के दू गो बेटा आ एगो बेटी रहलें . बड़का बेटा आस्ट्रेलिया में आ छोटका सिंगापूर में बाकिर बेटी अमेरिका में सेटल रहे लोग. मिसेज सेन अकेले जिनगी काटत रही. डॉ सेन के जिनगी तक सब ठीके रहे बाकिर डॉ सेन के मउगत के बाद उ अकेला महसूस करे लगली. बेटा- बेटी साल – दू- साल में कबो एकाध दिन ला आ जाए लोग. बाकिर तिनु जाने में केहू आपन माई के अपना संगे रखे के तैयार ना रहे लोग. ए गो माई तीन गो बचवन के पोस लेली बाकिर तीन गो बच्चा एगो माई के ना सेवा ना कर सकस.

एगो जय राम सिंह रहलें जेकरा से मिसेज सेन के बात चित रहे आ उनकर बाल बच्चा उनका के जाने लोग. हाड़ी बीमारी में जय राम बाबु मिसेज सेन के डॉ के देखावस आ इलाज आ दवा -बीरो करावस.
पूनम के साथे जय राम बाबू दरवाजा पिटले बाकिर कवनो जबाब ना रहे. खैर दिल्ली पुलिस के खबर करल गईल. जय राम जी मिसेज सेन के बेटा बेटी के फ़ोन कइले. बाकिर बड़का बेटा कहलहमार बेटी के मेडिकल के परीक्षा बा. छोट जाने कहलहमार ऑफिस के अर्जेंट काम बा, हम दू सप्ताह बादे फ्री होखब उहे बेटी आपन दूल्हा के व्यस्तता के बहाना बना के एक महिना के समय मंगली.

खैर पुलिस दरवाजा तूर देलस, मिसेज सेन के मौत हो चुकल रहे. लाश से बदबू उठे लागल. सोसाइटी के लोग डरे ना आवत रहस. जय राम सिंह आपन सगा सम्बन्धी के मदद से मिसेज सेन के अंतिम संस्कार कइले.

ठीक एक महिना बाद मिसेज सेन के दुनु बेटा आ एगो बेटी दिल्ली आइल लोग. घर के शांति पाठ करवलें आ सांझ खा परिवार के वकील राजदीप मुखर्जी के घरे बोलवलस लोग. प्रॉपर्टी पर तीनो जाना के दावा रहे. आठ बजत होई रात के, सोसाइटी के अध्यक्ष आ कुछ कार्यकारी सदस्य आ साथ में जय राम सिंह भी मिसेज सेन के फ्लैट में रहे लोग. उहाँ मिसेज सेन के बेटा-बेटी बा बेसब्री से वकील मुखर्जी साहेब के इंतजार करत रहे लोग.
एतने में मुखर्जी साहेब आ गईले. बगली में एगो फाइल रहे . प्रॉपर्टी के हिसाब किताब होखे लागल .
चितरंजन पार्क वाला बंगला हम लेम – बडकू कहलें,
हई रोहिणी वाला फ्लैट हम लें – छोटकु कहलें,
बेटी कहली कि हमरा बैंक बैलेंस दे दिहल लो.
वकील मुखर्जी साहेब भरल सभा में कहलें – सुनी सभे, मिसेज सेन आपन वसीयत लिख के मरल बाड़ी. हई वसीयत के कागज़ बा. चितरंजन पार्क के बंगला आ रोहिणी के फ्लैट उनका मरला के बाद अनाथालय के दे दिहल जाई, बैंक बैलेंस में 2 करोड़ के नगदी बा जवन वृद्धाआश्रम के दान में दिहल जाई.

मिसेज सेन के वसीयतनामा के मजमून सुन के उनकर एन आर आई बचवन के होश पख्ता हो गईल. जय राम सिंह सोच में डूबल सोचत रहलें बाल बचवन के चाल के जवन हिसाब मिसेज सेन कइली उ साईंत उचित रहे.

कथाकार – संतोष पटेल

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