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भिखारी ठाकुर के जीवन आ साहित्य : डॉ. जयकान्त सिंह

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जयकान्त सिंह जी

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आज भोजपुरी भासा, समाज, साहित्य, आ रंगकर्म के क्षेत्र में अपना जीवन-काल के हजूरा कई गुना अधिक लोकप्रिय, लोकप्रभावी आ लोकप्रसिद्ध कवि, नाटककार, नाट्यकर्मी भिखारी ठाकुर के गोलोक दिवस ह । 10 जुलाई , 1971 ई. के चउरासी बरिस के रचनात्मक जीवन जी के एह चउरासी लाख जोनी वाला इहलोक तेज के परलोक बासी हो गइल रहलें।

उनका जीवन आ साहित्य पर उनका जीवन-काल से लेके आज तक एक से बढ़ के एक कलमकार आ अध्येता अपना सूझ-समझ आ समरथा के मुताबिक लिखत-बोलत आइल बाड़ें आ आगहूँ लिखिहें-बोलिहें। एह लिखवइया-बोलवइया लोग के आपन-आपन साहित्यिक , सामाजिक , सांस्कृतिक जातीय समझ आ स्वार्थ बा।

अब तक का अध्ययन-अनुसंधान के अनुसार भिखारी ठाकुर का जीवनकाल में उनका जीवन आ साहित्य पर आपन कलम चलावे वाला पहिला कलमकार रहलें महेश्वर प्रसाद।

भिखारी ठाकुर के जीवन आ साहित्य : डॉ. जयकान्त सिंह
भिखारी ठाकुर के जीवन आ साहित्य : डॉ. जयकान्त सिंह

भिखारी ठाकुर के जीवन आ साहित्य से जुड़ल उनकर कई गो आलेख सन् 1944-45 में हिन्दी के ‘सरस्वती’ , ‘माधुरी’ आ ‘आर्य महिला’ पत्रिका में छप चुकल रहे। जवन बाद में उनका कुछ आउर आलेखन के मिला के ‘जनकवि भिखारी ठाकुर’ नाम से छपल भोजपुरी परिवार,पटना से सन् 1964 ई.(वि. सं. 2021) में। महेश्वर प्रसाद आगे चल के महेश्वराचार्य नाम से लिखे लगलें आ खूब लिखलें।

फेर भिखारी ठाकुर के जीवन आ साहित्य से जुड़ल उनक आलोचनात्मक पुस्तक ‘भिखारी’ छपल सन् 1978 ई. में लोककलाकार भिखारी ठाकुर आश्रम, कुतुबपुर,सारन से। महेश्वराचार्य के अलावे भिखारी ठाकुर के जीवन आ साहित्य पर उनका जीवन काल में लिखे-बोलेवालन में प्रमुख रहलें – राहुल सांकृत्यायन, मनोरंजन प्रसाद सिनहा , अविनाश चन्द्र विद्यार्थी ।

एह प्रमुख लोगन के अलावे भिखारी ठाकुर पर जे लोगन के कलम चलल, ओकरा में नागेन्द्र प्रसाद सिंह, सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’ , तैयब हुसैन ‘पीड़ित’ राम निहाल गुंजन , प्रो. साधुशरण सिंह ‘सुमन’ , डॉ. उषा वर्मा , डॉ. धीरेन्द्र बहादुर चाँद , प्रो. ब्रजकिशोर , भगवती प्रसाद द्विवेदी , अक्षयवर दीक्षित, डॉ. शोभनाथ लाल , डॉ. शंकर प्रसाद , डॉ. जयकान्त सिंह ‘जय’ , अशोक कुमार सिनहा, जितेन्द्र यादव , रामदास राही आदि।

एकरा में जहाँ अधिकाधिक लोग भासिक, साहित्यिक आ सांस्कृतिक सूझ-समझ से आपन भाव-बिचार ब्यक्त कइलें त उहँवे कुछेक लोग सामाजिक-जातीय समझ-स्वार्थ आ समसामयिक राजनीतिक चिन्ता-चिन्तन से प्रभावित होके आपन बात राखल।

अइसे भिखारी ठाकुर अपनहूँ अपना जीवन-यात्रा आ साहित्य-लेखन के लेके बहुते बारीकी से लिखले-बोलले आ बतवले बाड़न। भिखारी ठाकुर के आत्मकथ्य आ साहित्य-सृजन के अलावे एह तमाम बिद्वान लोग का लिखित-प्रकाशित कृतियन के सम्यक् निरपेक्ष अध्ययन के बादे उनका जीवन आ साहित्य पर सांगोपांग बात राखल जा सक्अता। अपना बिदेसिया, गबरघिंचोर, बेटी बियोग, भाई बिरोध, सिरी गंगा अस्नान आदि लोकप्रिय आ लोकप्रभावी नाटकन खातिर लोकप्रसिद्ध जनकवि भिखारी ठाकुर के उनका गोलोक दिवस पर विनयी भाव से सरधांजलि आ बारम्बार नमन।

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