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डाॅ पवन कुमार जी के लिखल भोजपुरी गीत

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डाॅ पवन कुमार जी के लिखल भोजपुरी गीत
डाॅ पवन कुमार जी के लिखल भोजपुरी गीत

पियबे करे ना हो पियबे करे ना हो पियबे करे ना
तनिको बूझे नाहिं बतिया पियवा पियबे करे ना।
सुनली कि बंद भइले दारू के बिकीरिया
सोचली कि सुखवा में बीती रे उमीरिया
पियत रहले पहिले छुट्टा अब चोरी-चोरी
पियवा पियबे करे ना
तनिको बूझे नाहिं__________________।

पिये में लुटावे अपना जांगर के कमइया
अउरो पिये घरवो से लेई के रुपइया
पिये बेदनइया धोइ के लाजवा-शरमवा
पियवा पियबे करे ना
तनिको बूझे नाहिं___________________।

पइसा बिना बंद भइले बेटा के पढ़इया
बेटी भेल सयान कइसे होई रे सगइया
नइखे कवनो चिंता-फिकिर कइसे चली घरवा
पियवा पियबे करे ना
तनिको बूझे नाहिं____________________।

जोड़ते-चेतते रामा बीते हो समइया
दुनिया में लउके नाहिं केहू हो सहइया
पियते-पियते मुअना सब कुछ गंवइले
पियवा पियबे करे ना
तनिको बूझे नाहिं _____________________।

एक मन करे रामा डूबी-धंसी जइती
खइती महुरिया कि फंसरी लगइती
रोजे होखे बात-गारी झगड़ा-लड़इया
पियवा पियबे करे ना
तनिको बूझे नाहिं_____________________ ।

छोड़ि दऽ तूं रजऊ हो दारू के पियइया
नाहिये तऽ करब हम तोहरो उपइया
तोहके देखाइब हम कोट-कचहरिया
पियवा नाहिं पियबऽ ना
रहबऽ जेल के भितरिया पियवा नाहिं पियबऽ ना।

—डाॅ पवन कुमार

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