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प्रेम से केहू केतना निहारल | भोजपुरी गीत | सुशान्त कुमार शर्मा

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प्रेम से केहू केतना निहारल | भोजपुरी गीत | सुशान्त कुमार शर्मा
प्रेम से केहू केतना निहारल | भोजपुरी गीत | सुशान्त कुमार शर्मा

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प्रेम से केहू केतना निहारल
सँवरि केहू फूल हो गइल
डाह केहू हिया में बसावल
त देहिया बबूल हो गइल ।।

नेह केतना रहे कि लुटावे बदे
दोसरा के जिनिगिया सजावे बदे
केहू केतना हुलसि के फुलाइल
कि बगिया में फूल हो गइल।

नाजुकी जाने कवना सखी के छुअन
रंग दिहले बा निरखत में कौनों नयन
के दरद में सदा मुस्कुराइल
गुलबवा के फूल हो गइल ।

कवना भुखिया के तिरपित जिया फल भइल
तृप्ति कवना पियासा के हो जल भइल
मीठ अभिसार कौनो लली के
कोइलिया के तूल हो गइल ।

कौनों निर्बल के आसा लतरिया भइल
पाके धरमी सबल गाछ पसरत गइल
सब लुटा के जे कुछहूँ ना चाहल
उ बगिया के धूल हो गइल ।।


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