परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, रउवा सब के सोझा बा उदय शंकर जी के लिखल कुछ रचना, पढ़ीं आ आपन राय दीं कि रउवा उदय शंकर जी के रचना कइसन लागल आ रउवा सब से निहोरा बा कि शेयर जरूर करी।
भोजपुरी कविता नून
इक दिन बहुत हाहाकार मचल
भात ,दाल ,तरकारी में।
काहे भैया नून रूठल बा
बैठक भईल थारी में।
दाल- तरकारी गुहार लगईलक
नून के बैठ गोर थारी में
तरकारी कहलक सांस छूटता
दाल बा मरे के तैयारी में l
भात कहलक हे नाथों के नाथ
रऊआ बीना इ दुनूं अनाथ
रऊआ जे एकनी में मिल जइति
हमरो जीवन धन्य बनईति l
थरिया कहलक हम रहेम खाली -खाली
भात ,दाल, तरकारी जे ना हमरा के सम्भlली
बाज बाज के हम टूट जायेम
रऊआ जे ना एकनी के पाली l
फिर आगी सुन आईल भागल पडाईल
चुल्हा चौकी भी साथे लाईल
नून के लगे जा के
हाथ जोड़ रहे खड़ियाईल
आगी धईलक आपन बात
चुल्हा चौकी आऊर का हमर औकात
चीनी जे दे भी देता साथ
ना जलेम तबो हम दिन रात
फिर सब मिल , नून के बड़ाई कईलक
नून के खूब जयकार लगईलक
इ देख नून मस्त भईल
सब में मिल के ब्यथ ब्यस्थ भईल l
======*****======
भोजपुरी कविता दरद
बहूत डरावना भयानक रात
देखनी हइ जब ओके आज
असपताल के एगो कोना मे
चिखत रहे लेके धिरे धिरे सास
दरद पिडा के रहे समूंदर
हर पल उठत रहे ओकरा अंदर
देख के ओके जि घबराये
का हाेइ ना समझ मे आये
डाकटर के उहवा एगो रहे टोली
जूझत रहे सब कोशिश से अउर देके गोली
मगर ओके रहे स्थिति एतना खराब
लेत रहे उ गिन गिन के सास
डाॅकटर भी नाकाम भइल
सुबह से लेके साझ भइल
सबसे नाता,रिसता अउर छुटल साथ
जाने कहवा उड के गइल जान
गेट पे दूगो लइका रहे खडियाइल
छर छर रेये अउर रहे छिछियाइल
पापा पापा कह खूबे चिललाइल
कहवा बाने भगवान समझ मे ना आइल
माई पे बितत रहे सढ साती
धिरे धिरे शांति ला ठोकत रहे छाति
मगर का करे ना दरद रोकाइल
घब से उहवा मुहकूडिया ढिमलाइल
======*****======
नाम- उदय शंकर प्रसाद
पिता – बासुदेव प्रसाद भगत
माता- सरोज दवी
शिक्षा- परा स्नातक (फ्रैच )
डिप्लोमा – इटालियन
सटिफिकेट कोरस – पोलिस
पि. जी. डिप्लोमा – थियेटर एंड आर्ट
पता- नवकि बजार, सरकारी अस्पताल के पिछे
थाना- बगहा -१
जिला- पंशिचम चम्पारण
राज्य -बिहार
भोजपुरी के कुछ उपयोगी वीडियो जरूर देखीं
जोगीरा डॉट कॉम पऽ भोजपुरी पाठक सब खातिर उपलब्ध सामग्री
ध्यान दीं: भोजपुरी न्यूज़ ( Bhojpuri news ), भोजपुरी कथा कहानी, कविता आ साहित्य पढ़े जोगीरा के फेसबुक पेज के लाइक करीं।
Noon bahut hi achhi kavita lagi. Aur darad padh kar daya ki bhavana utpann ho rahi hai. Nc poem