११ गो भोजपुरी कविता उदय शंकर जी के लिखल

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चेहरा

कहाँ गेईल माटी पे से चेहरा
टाटी पे रचल बतावे कुछ गहरा
गांव देहत में लऊके सुनहारा
मिट गईल बा ओपे पहरा

हर टाटी पे कुछ अलग गढ़ल रहे
हिरण के पिछले बाघ दऊड़त रहे
जिंदगी और मौऊत दूनो झलकत रहे
अइशन रहस्य ओपे मढल रहत रहे

इयद बहुत आवेला दिन
माटी में लोटाईल, माटी से हर दिन
बिन कागज, कलम, दावत बिन
अंगुली से बनाई माटी पे देख चित्र

चित्रा कला के रहे नमुना
हस्त कला के उपजल सोना
देख चित्र कुछ इयाद दिलावे
दिमाग में सट के रहस्य बनवे

मगर जवाना अइसन पलटाईल
टाटी के जगह ईट जोड़ईल
प्रकृति से साफे मुंह मोडाईल
आपन कला अपना हंथो लुटाईल

काहे कहेल दुनिया बाटे खराब

दुख के घड़ी में सभे याद आइल
सुख के घड़ी में जब सभे भुलाईल
तब केके सहारा चाहि हो यार
काहे कहेल दुनिया बाटे खराब

पइसा घमडे तु मरत रहलऽ
दुसरा के देख के तू जरत रहलऽ
नाहिं जनलऽ तू कथी कहल जाला प्यार
काहे कहेलऽ दुनिया बाटे खराब

न भाई-बहिन, माता-पिता चीन्हाईल
न साथी-संगति कबो याद आईल
अईसन तू कईलऽ सबके संघे हो यार
तऽ काहे कहेलऽ दुनिया बाटे खराब

कबो दूधे से रहलऽ तुहु नहात
सोने के थारी में रहलऽ तू खात
आपन केहू नाहीं आवे हो याद
तऽ काहे कहेल दुनिया बाटे खराब

अब पश्तईले पस्तावा का होई
दुख के घड़ी में सभे यादें आईल
अईसन दुबारा ना करिहऽ हो यार
अउर न कहिय दुनिया बाटे खराब

भोजपुरी कविता अनहार, दिया आऊर आस

दीया जला देहनी हऽ ओहिजा
काहे से उहवा रहे अनहार
जहवां से कइगो राही गुजरे
जाने कब केहू उहवा जाए हार

एगो, दुगो, तिन गो, नाही चार,
उहवा से राही गुज़रेला हर बार
मगर केहु न जाने किस्मत के
कब कहवां के खा जाई मार

शायद जलत दिया के चमक
रख सके उ जगह अंजोर
ना दिखे मंजिल ओसे मगर
आस मिल जाए होए के भोर

अऊर आगे बढ़े जब ऊहवा से
हो जाए शायद पोर- पोर
दीया जला देहनी ह उहवा
ताकी न होये केहू कमजोर

भोजपुरी कविता ताक द हम पे हे भगवान

अब उब गईल बानी इ जिंदगी से
कहवा बा तोहर ध्यान
हम अग्यानी, मुरख, बेचारा
ताक द हम पे हे भगवान

हर जगह बा तोहर ठिकाना
हम में बसल बा तोहर प्राण
तोहर इसारा बिना ना हिले
तिनका तिनका न कवनवो समान

तू हव सबके मलिक
सब जग करे तोहके प्रणाम
फिर तू कlहे रूठल बार हमसे
जिंदगी पा सहतानी अपमान

अब आउर ना तू देर कर
टुट रहल बा सीमा के बांध
हाथ जोड़ हम मांगतानी माफि
जवन भी कईले बानी हम अपराध

का भूल भईल ना हम जनतानी
कुछ बोलऽ या करऽ उधार
पाप आऊर पुन्न के लेखा जोखा कर
माफ करऽ हमके हे भगवान

भोजपुरी कविता श्मशान

चार कंधा पे पड़ाल एगो लाश रहे
फूल ,पईसा के होत बरसात रहे
राम नाम सत्य ह सब केहू कहत जात रहे
केहु रोआत रहे केहू चिल्लात रहे

भीड़ चलत रहे ओके साथ मे
जे समाज से अलग रहे ,आज हांथ में आग ले
सब कुछ छोड़ आज जात रहे
का नाता का रिश्ता ना कुछ बुझात रहे

आज गईल शमशान में
सुत लकडी पे मिल गईल आग में
छोड़ सबकेहू ओके नहात रहे
कहा गईल नाहीं कुछ बुझात रहे

भोजपुरी कविता महल

धूल में मिल के सब धूल भईल
का पताका , का सिंघासन कवन भुल भईल
आज दुनिया देख रहल चुप चाप ओके
छप पन्ना में पढ़ल इतिहास भईल

शान, शौकत आऊर तमाशा सब खाक भईल
का पता कवन आग में जल के राख भईल
तोप दागत रहे कबो सलाम ओके
सजल सजावल आज सब बरबाद भईल

झर रहल महल कंकाल भईल
धर गोड कबर में बचल निशान भईल
चिंख भी मिट गईल बा देवार के
आज दुनिया जईसे शमसान भईल l

भोजपुरी कविता समय

झकझोर देलऽक दुनिया ओके झोर के
लूट लेलऽक मिठ ओ से बोल के
अउर तुडलक ओके मडोड के
आज हसेला लोग देख के ओके जोर से
झकझोर देलक दुनिया ओके झोर के

सब केहू ग‌इल ओके छोड़ के
दरद ओके खायेला खोर-खोर के
ना केहू देवेला साथ कमजोर के
हसेला दुनिया देख के ओके जोर से
झकझोर देलक दुनिया ओके झोर के

कबो जवाना छुअत रहे ओके गोड के
आज सुनेला बात चारों ओर से
साथे लोग ब्इठत रहे काम छोर के
आज हसेला सबे ओके देख के जोर से
झकझोर देलक दुनिया ओके झोर के

समय अ्इसन आइल छाइल घटा घन-घोर के
मिट ग‌इल नामों निशान जिंदगी में अंजोर के
अ‌इसन पाला पड़ल समय मुंह जोर के
गिर ग‌इल मुहखुडिया उ जोर से
झकझोर देलक दुनिया ओके झोर के

भोजपुरी कविता आज ऊ फिरु रोअत रहे

आज फिर रोअत रहे
जाने कवन दुख ढोअत रहे
का समय ओके मरले रहे
या दुनिया से धोखा खइले रहे

आंख से आंसु झर झर बहे
चेहरा ओके ढेरे कहे
का तन्हाई के गम खइले रहे
जाने ओके कवन दुख धइले रहे

का अपना से रहे मारल
या रहे भुख से हारल
का ओके कुछ रहे भुलाइल
आखिर काहे आसूं आइल
जाने कवन चीज उ खोज रहे
आज फिर रोअत रहे

ना देह दिल से रहे आपहीज
कुछ जरूर भइल रहे नजाईज
फूट फूट के रोअत रहे
ना कुछ केहू से कहत रहे

आंसू गिरे जईसे होखे बरसात
ना बिजली न गर्जन के साथ
जाने कवन खुशी ओके रहे छिनाईल
आज ओके अईसन घड़ी रहे आईल

भोजपुरी कविता बखारी

बास के चचरा गोल गोल मोडाईल
ऊपर से खरई सरिया के बंधाईल
माटी के लेप चचरा पे लेपाईल
बखारी के रूप लेके खड़ियाइल

फिर टीका लागल, अगरबत्ती बाराईल
साल दू साल ला अनाज ठुसाईल
दुआर के शोभा सम्मान कहाईल
लोग के धन बखरी से गीनाईल

जेके दुआर पे जेतना बखारी
ओके इज्जत ओतना ठुमकारी
जमीन जायदाद के अंदाज बतावे
ज्यादा रखले पे लोग धनिक कहाये

आज बखारी कहवा भुलाइल
सऊसे दुआरी छोटे में समाईल
खेत के अनाज अब दोकान पे बेचाईल
बखरी के नाम जड़ से ओराईल

भोजपुरी कविता गिर के उठनी

आज उठे के समय हमरा मिलल
देख हमरा के कवनो जल उठल
खिंच देलक गोंड हमर ऐ तरह से
गिर ग‌इनी देख दुनिया हंस पड़ल

का करती हम अभीन उठल रहनी
मंजिल रहे दूर मगर अब ना सुतल रहनी
देख इ हंसी अब हम ठान लेहनी
ले सही सोच फिरु से चल देहनी

झेंप ग‌इनी सारा ताना सड़क के फूल समझ के
बढ़त रहनी सबके बात मन में हम रख के
सोच लेनी इ सड़क से हम लौटेम ओ दिन
जे दिन लोग करी प्रणाम हमरा साहब समझ के

हम पहुंचनी मंजिल सौ बार गिर के
गोंड थाकल, जिव हारल, छाला पडल चल के
मगर आज बहुत खुश रहनी मंजिल साथ लेके
देखत रहे आज दुनिया मुड़ी उठा के

ले फूल माला अउर जयकार उ बोलत रहे
रात दिवाली दिन में होली उ खेलत रहे
देख इ सब हम पिछे के सब भुला ग‌इनी
हम सबके साथ मिल शुरु होली क‌इनी ।

भोजपुरी कविता मूत्यु

हम अकेले ब‌इठ के कुछ सोचत रहनी
गाल पे रख हाथ कुछ देखत रहनी
तलेक कान में कहीं से घंटी के आवाज ग‌इल
निंद टुटल, होश उड़ल अउर दरद भ‌इल

एगो सवारी लेट, चपाटी पे चलल
आगी, माला,फूल,पानी सब संघे बढल
कवन देश-दुनिया अउर राह में चलल
सब छोड-छाड राज सिंहासन बस चल पड़ल

कर आंख बंद चुपके से चुपचाप भ‌इल
हाथ फ‌इलल, गोंड पसरल अउर सब सन्न भ‌इल
सोर-सराबा, हलला-गुलला के भी ना पता चलल
देख इ सब दिल में जोर से दरद उठल

ज्ञान-विज्ञान अउर संज्ञान सब फिका पडल
कवन देश हऽ आज तक ना केहु के पता चलल
हसत खेलत कूदत नीमन रहल
तनी देर में का भ‌इल ना केहू के पता चलल

दिल दरद पिडा से भरल, आंख रो पड़ल
भगवान अउर इंसान में तब फरक मिलल
कुछ बा इंसान के सिवा जे इ दूनिया चलावेला
आज इ देख अउर सोच के मालूम चलल।

उदय शंकर जी के कुछ रचना
उदय शंकर जी के कुछ रचना

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