डॉ. हरेश्वर राय जी के लिखल कुछ भोजपुरी गजल

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नयकी गुलामी

हमार जिंदगानी, हमार जिंदगानी I
भइल पानी पानी, हमार जिंदगानी II

ललकी अँखियन से काँपेला जियरा I
केहुओ खड़ा बा उदर प लात तानी II

नोकरी के रसरी से जिनिगी छ्नाइल I
सुबह शाम हरदम दूहल जात बानी II

हमरी कलमिया के मरले बा लकवा I
कोमा में परल बिया मुँहवा के बानी II

आमवा के महुआ कहल बा मज़बूरी I
इ ह नयकी गुलामी, पुरनकी कहानी II

डॉ. हरेश्वर राय जी
डॉ. हरेश्वर राय जी

अँजुरी में सुरुज

थीर पानी में ढेला उछाले चलीं
कोना-सानी से जाला निकाले चलीं I

लिके – लीक कबहूँ सपूत ना चलस
राह सुन्दर बनाईं ँचा ले चलीं I

जदी अंगुरी अंगार से बचावे के बा
हाथ में मोट सिउँठा उठा ले चलीं I

अगर फूलहिं से पहिले चपाती फटे
मोट आटा के चलनी से चाले चलीं I

रात के मात देवे के बड़ुए अगर
अपना अँजुरी में सुरुज उठा ले चलीं I

जिंदगी रेत जइसन पियासल बिया

सियासी छेनी से कालिमा तराशल बिया I
चांदनी हमरा घर से निकासल बिया II

भोर के आँख आदित डूबल बा धुंध में I
साँझ बेवा के मांग जस उदासल बिया II

सुरसरी के बेदना बढ़ल बा सौ गुना I
नीर क्षीर खाति माछरि भुखासल बिया II

कोंपलन पर जमल बा परत धुरि के I
बूंद-बूंद खाति परती खखासल बिया II

खाली थोथा बचल बा उड़ल सार सब I
जिंदगी रेत जइसन पियासल बिया II

गुमसुम दुपहरी

गहरान हमरा क्षोभ के अथाह हो गइल I
सगी हमरी सरौती कटाह हो गइल II

गाँव से उजड़नी शहर में भूलइनी I
हमरा दरद के कठौती कड़ाह हो गइल II

हमार रिश्ता टूटल फूल से गंध से I
हमार सरगम बपौती तबाह हो गइल II

तनवा बा बंधुआ आ मनवा भी बंधुआ I
हमार असमय बुढ़ौती गोटाह हो गइल II

गुमसुम दुपहरी आ गुमसुम गोरइया I
हमरा डर के सिलौटी निठाह हो गइल II

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