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सिद्धिदात्री माई | नवरातन के नौवां दिन | निर्भय नीर

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सिद्धिदात्री माई | नवरातन के नौवां दिन

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संसार में अइसन कवनो चीज़ नइखे, जवन सिद्धिदात्री माई के आवाहन, पूजा-पाठ से ना मिले। मानें जे एह माई से आपन हिया खोल के गोहार लगाई, ओकरा में सउंसी जगत पर विजय पावे के सामर्थ्य हो जाला। मार्कण्डेय पुराण के मुताबिक आठो सिद्धियन ( अणिमा, लघिमा, महिमा, गरिमा,प्राप्ति,प्राकाम्य, ईशित्व, आ वशित्व ) के आदमी पा जाला। बाकी ब्रह्मवैर्वत पुराण के श्री कृष्ण जन्म खंड में 21 गो सिद्धियन के बतालावल गइल बा।जवना में (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व, भावना, सिद्धि, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दुरश्रवण, परकायपर्वेशन, वाक् सिद्धि, कल्पवृक्षत्व, सृष्टि, संहारकरण सामर्थ्य, अमरत्व, सर्वन्यायकत्व ) के मानल गइल बा। शंकर भगवान भी एही माई के किरपा पा के आठो सिद्धि पवले रहीं, आ अपना देह के दहिना देने मरद आ बायां देने मेहरारू बना के अपना अर्द्धनारीश्वर रूप के देखवले रहीं।

माई सिद्धिदात्री के चारि गो हाथ बा आ कमल के फूल पर आसन लिहले विराजमान रहेली। दाहिना देने के ऊपर वाला हाथ में चक्र आ नीचे वाला हाथ में गदा धइले रहेली। बायां देने के ऊपर वाला हाथ में शंख आ नीचे वाला हाथ में कमल के फूल लिहले रहेली। इनका आँखि से ममता आ करुणा के लहर निकलत रहेला, आ मुँह पर हरदम मुस्काफइलल रहेला। इहाँ के किरपा से सांसारिक आ ईश्वरीय सभ तरे के इच्छा के पूर्त्ति हो जाला। इनकर किरपा के बाद व्यक्ति के इच्छा ना हो पावेला, माने परम पद के पा जालें।

सिद्धिदात्री माई | नवरातन के नौवां दिन
सिद्धिदात्री माई | नवरातन के नौवां दिन

नवमी के दिन बहुते लोग माई सिद्धिदात्री के धान के लावा चढ़ावेला। कुछ लोग एह दिन नवाह्न प्रसाद, नवरस भोजन, नौ प्रकार के फूल आ फल से भोग लगावेला। भुखनिहार लोग आजु के दिन कुंवारी पुजन भी करेला। कुंवारी लइकियन के उमिर कम से कम २ बरिस आ ज्यादा से ज्यादा १० बरिस होखे के चाहीं। एह दिन योग साधक लोग के मन निर्वाण चक्र में विराजमान रहेला।

दूर्गा सप्तसति के मोताबिक ममता मोह से विरत हो के, महर्षि मेधा के उपदेश से राजा सुरत माई के आराधना कइलन, आ ज्ञान पा के मुक्ति पइलन। सिद्धि देवेवाली उहे माई के नाम सिद्धिदात्री पड़ल। स्थान माई अम्बिका भवानी आमी के नाम से मानल जाला।

एगो दूसरकी कथा के मोताबिक जब देव आ असूर के साथे मिल के समुद्र मंथन होत रहे, त ओ मंथन से सबसे पहिले हलाहल नाम के ज़हर निकलल। जवना के ताप से सउंसी जगत झुलसाए लागल आ सब जगह हाहाकार मच गइल। सभ देवता आ दानव के विनती पर, भगवान शिव जी ओ ज़हर के पीये के पी गइनी, बाकि उहाँ के मूँह से माई-माई शब्द निकले लागल। तब जवन माई प्रकट भइली आ उहाँ के आपन दूध पिअली, उनके नाम सिद्धिदात्री ह।

नवमी के अगिला दिन माने दसवां दिन के रावण पर राम के विजय पर्व के रूप में भी मनावल जाला आ रावण के पुतला जरावल जाला। एह दिन बुराई पर अच्छाई के जीत भइल बुझल जाला। त आई सभे हमनी भी ओ माई के आजु के दिन पूजा पाठ कइल जाव आ आठो सिद्धियन के पावत, बुराई पर अच्छाई के जीत करावत मोक्ष पावल जाव।

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