परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आयीं पढ़ल जाव संतोष पटेल जी के लिखल कुछ भोजपुरी कविता , रउवा सब से निहोरा बा कि पढ़ला के बाद आपन राय जरूर दीं, अगर रउवा संतोष पटेल जी के लिखल रचना अच्छा लागल त शेयर आ लाइक जरूर करी।
अदहन
भोर के किरिन अगिआता
साँस के बढ़ रहल बा ताप
खउले लागल बा विचार
जइसे खउलत बा अदहन
सुगबुगाहट के रूप बदल रहल बा
उबल रहल बा भीतरे भीतरे अदमी
आखिर केहू के सपना कब ले तुराई
ओकर मान मरजाद कब ले हराई
अबरा के मउगी /
भर गाँव के भउजी
कब ले कहाई
अन्याय के हद होला
सीमा होला जलन के
सामंतवादी सोच सुरसा के कब ले बवले रही मुँह
पाखण्ड के मंतर कब ले छलत रही
जादे अकरावला पर
सहनशीलता के टूटेला सहन*
होला ओकरो दवाई / थुराई / कुटाई
अ-दहन जब खउली / खदकी
त
झुलसा दी बदगुमानी के मुँह
फफोला हो जाई
अन्याय के चेहरा पर
बस
आंच तेजिअवला के काम बा
अपना हिम्मत के
अपना विचार के
अकेले ना
सज्जी गाँव जवार के ।।
नेह नाता
दरकल जाता नेह नाता के दीवाल
टूटल जाता / अपनापन
घटल जाता / भईयारी फाटल जाता
सम्बन्ध के चादर सियाई कइसे ?
जब केहु के फुर्सते नइखे
प्इसा बटोरला से /
रोपेया सहोरला से
धन अगोरला से / त नेह के नेव में
पानी के पटाई ?
नेक नियत के /सुघर विचार के
के पाटी नाता रिस्ता में
आइल दरार के
जवान पइसा के चोट से दरकल बा
अंहकार के भार से भरकल बा
आँख चर्बीयाइल बा
त नेह नाता के मोल कहवाँ बुझाई ?
सभे सवारथे में लागल बा
त नेह नाता बालू के भीत नियर
ढ़हबे करी /भरभरा के टूटबे करी
टाटी नियर चरमरा के
परेम के गीत के गाई ?
काहे कि
देह से नेह ओराइल जाता
तबे नू नाता
रिस्ता के आँख लोराइल जाता ।
किसान के पिसान
आजू भारत के राजनीति में
एक्के गो चरित्र रह गइल बा
किसान
किसान हो के / उ / हो गइल बा
एगो सीढ़ी सत्ता के सिंहासन पर चन्हुपावे ला
सभे ओकरे कान्ह पर बाटे सवार
भले किसान हो गइल बा
लाचार/ बेकार/ बेमार
जंग लागल टीन नियर
टीनही हो गइल बा किसान
इ ओकर दुरभाग बा
सौभाग्य त नेता लोगन के बा
जे किसान चालीसा पढ़ि पढ़ि के
अपना दिन सुधारत बा
कहियो कहियो किसान के दूअरा पर
आपन रात गुजारत बा
कबो भूइया / त कबो खटिया पर ओठंग के
अजबे बा लोकतंत्र / आ
एकर सूत्रधार लोग
देश के कुल धेयान
किसाने पर खिंचाइले बा
अख़बार के खबर भा टीवी के
टी आर पी हो गइल बा आजू किसान
ओही से ओकरा देखा के
ओकरा कमाई से
अपना आप के सींचले बा
किसान त पिसान भइल जात बाड़ें
भूखमरी के चकरी में पिसा के
महाजन के करजा में दबा के
गरीबी के ढेंकी में कूटा के
सूखा आ बाढ़ आ बेमौसम बरसात से
कबो मौसम के ससरी से
कबो कबो जंतर मंतर पर /त/
घर में /त कबो खेत में फंसरी से
बाकिर नेता लोग एही में
खोज लेत बा राजनीति
आ पाछे रह जात बा
किसान आ ओकर दुःख।
हम भोजपुरी हई
हम भोजपुरी हई!
हम भोजपुरी हई!
पच्चीस करोड़न के माई
देस से परदेस ले
सोलह देस में बढ़ल बानी
करोड़न के जबान पर चढ़ल बानी
बाकिर हिंदी विद्वान कहेलें
हमरा के
आपन उपभाषा
हिंदी बोलवइया कहेलें
हमरा के लोकभाषा
कुछेक हिंदीवाला कहेलें
हमरा के मउसी
आ कुछ कहलें जनभाषा
साँच कहीं त
सुनत सुनत ई कुल्ह
कान पाक गइल बा
जीव अगुता गइल बा
कुछ लोगन के मति
पकुआ गइल बा
अब हम सभके बता दीं
सभके जता दीं
हमरे खुन मज़्ज़ा से बनल
हिंदी हमार बेटी हई!
हमरा के ओकर मउसी
कहल गलत बा
काहे हिंदी लजाले
कहे में हमरा माई !
हिंदी के खेल ह
कहेले हमरा के आपन अंग
भरि के आपन कोठिला में
करे के हमरे के बदरंग
छोड़ देले बिया घुन पड़े ला
सड़े ला
मारतो बिया
रोअहूँ नइखे देत
ना हमके बढ़े देत बिया
ना लोगन के आपन किताबन में पढ़े देत बिया
ना पाठ्यक्रम में जाये देत बिया
ना अकादमी में आये देत बिया
ना विश्वविद्यालय में पढ़ाये देत बिया
ना संविधान में लिखाये देत बिया
फेर काहे इ गरियावत बिया अंग्रेजी के
इहो त उहे कमवा करत बिया
हमरा संगे
भोजपुरी से हिन्दियो त$ जरत बिया
आजु हम भोजपुरियन से
आपन दूध के करजा माँगत बानी
संविधान में हम आपन दरजा माँगत बानी।।।
भूख आ मलेरिया।
हाकिम बोलले बाड़न
त जरूर
सन्तोषी भूख से ना मरल होई।
मन्त्री जी बोलले होइए
त पक्का बा
सन्तोषी भूख से ना मरल होई।
मुख्यमंत्री जी कहत बानी
त अब एह में कवनो
शक सूबा नइखे कि
सन्तोषी भूख से मरल होई।
बुझात बा इ विपक्ष के चाल ह कि
बदनाम करे के सरकार के।
जल्दिये जांच रिपोर्ट आई
पता चली
संतोषी मलेरिया से मरल बिया
भूख से नाहि।
प्रशासन आ डॉक्टर कबो
झूठ ना बोलेलन?
उ लोग कबो सरकार के
पीठपहानी ना करस?
ईमानदारी से करेलन सेवा
ताकि उनका पोस्टिंग के मिले मेवा!
मलेरिया भूख से बड़का बेमारी ह?
आ
राजनीति में झूठ सबसे बड़का साँच ह!
‘विकास’ के ‘आधार’ इहे ह
संतोषी के भूख से भइल मउगत
मलेरिया में बदल जा सकेला।
हमार डोमा काका अब डोमा मियाँ काहे ?
आजुओ हमार गाँव
जाति धरम के जंजाल में हेराइल नइखे .
शहरी ताम-झाम से घेराइल नइखे .
अपनापन के फुल-पात
मउराइल नइखे .
काहे कि इ
ढेर पढ़ला लिखला के बेमारी
आ
धरम-करम के ढकोसला से बचल बा ।
काहे कि
आजुओ हमरा गाँव में जाति-धरम से हटके भाव
रचल-बसल बा।
आजुओ डोमा काका
केहू के फूफा
केहू के मामा
केहू के भइया
त केहू के सार लागेलें ।
हमरा त उ अकेले
कूल्ह नाता रिश्ता के
संसार लागेलें ।
कहे के त उ हउएँ मुसलमान
बाकिर वाह रे हमार गाँव के ईमान
आजहूँ हिन्दू के कूल्ह पूजा पाठ
अठजाम
शादी बिआह के उहे निभावेलें
चउका पुरे लें ।
आम के पुलई बान्हेले
आसनी लगावेलें
दूल्हा-दुल्हिन के
गाँठ बान्हेलें ।
डोमा काका त हवन मुसलमान
बाकिर वाह रे हमार गाँव
केहू कुछुओ
ना कहल, ना सोचल ।
कहियो
भगवान ना छूअइलें , ना रिसीअइलें
अचके ।
फिर जानी जे
कवन नया हवा बहल
कि नेह-छोह आ अपनापन के
डेहरी ढहल
अब कुछु लोग उनका के
नया विशेषण देत बा
डोमा मियाँ’!
हम सुननी त
बुझाइल कि मेल-जोल
अउर मोहब्बत के धोती फाटल जाता का ?
आदमियत के जाति धरम के आरी से
काटल जाता का ?
एक दिन आँखि में लोर कइले
मुड़ी पर
पेटी मोटरी धइले
अनमुहाए
काकी के संगे
गाँव से निकसत जात रहले
डोमा काका ।
उनकर मन रोअत रहे
डहकत रहे
फिकिर इहे कि ‘डोमा’ काका से डोमा मियां कब से
आ काहे हो गइलें ?
सात पुस्त इहें जियल
मेल-मोहब्बत के पुआ पूरी खइलस
सेवई पियल
फिर ई का हो गइल?
माथ ठेठावत रहलें
बाकिर केहू से किछऊ ना बतावत रहलें
एतने में केहू के टोके के आवाज सुनले
-“के ह हो ? रुक…
अन्हारे अनमुहाए कहवाँ के चढ़ाई बा”
टोकवइया आउर केहू ना सरपंच जी रहले
हमार बाबा
सज्जी गांव के बाबा ।
दादा पुछ्लें , “का हो ? कहवां जात बाड़?”
डोमा काका रोलइले
कहलें –
“का रहिए गइल
जब हम डोमा काका से डोमा मियाँ हो गइनी”
सरपंच बाबा कहलें
“ना भाई / तू कतहीं ना जइब
ना तूं , ना भाउजाई
संगे संगे
जीयल जाई
एके कटोरा में पारा-पारी सनेह
के पानी पियल जाई
जबले हम जीयब
नेह के लुगरी सियब
लउट$
इ सुनत /ऊपर अल्लाह भा भगवान
लेत रहे लोग मुस्कान
साइत/ एही में नू जिएला
आपन
हिंदुस्तान
हिंदुस्तान
हिंदुस्तान ।
कबीर बाबा
साँस के सितार पर
आंखि के दुआर पर
मनई के विचार पर
उपजेला जवन गुन
उहे नू ह निरगुन
भोजपुरी के परान
कवियन में महान
मन के रंगावे में रहल
जेकर विस्वास
आत्मा आ परमात्मा के मिलन पर
जेकरा जागे हुलास
उहे रहेलें धीर
गम्हीर
जेकर नाम रहे कबीर
भोजपुरी के आदि कवि
साखी,सबद,रमैनी के रचवइया
निरगुनिया बानी के गवइया
भोजपुरी माई के हीर
उहे नू रहले
बाबा कबीर
चनन आ टीका के
महजिद आ मंदिर के
पंडित आ मुल्ला के
अंगूठा देखवलन
चोला ना रंगा के
मन के रंगवलन
काशी में जनमले
आ मगहर में तजले सरीर
उहे नू रहलें बाबा कबीर
केहू कहल भाषा के डिक्टेटर
कहे कहल सधुक्कड़
केहू कहल अक्खड़
केहू कहल फक्कड़
सांच त इ बा कि
उनकर ना रहे कवनो टक्कर
तीनू काल के देखवइया
संत,साधू,फ़क़ीर.
पलायन
बाढ़, सुखाढ़ आ रोटी
अजबे रिश्ता बा इनके
जवन खरका देलख
खरई खरई
जीये के विश्वास
साथे रहे के आस
धकेल देलस/ दउरत रेल के डिब्बा में
जहवां न बइठे क जगहे
न साँस लेवे के साँस
ऊँघत/ जागत / दू दू रत के
आँखिन में काटत
जहवां कोई नइखे आपन
बा त एगो टूटल सपना
सहारा बा
उहो बालू के भीत नियन
गरीबी के तराजू में
एक ओरी भूख
दुसर ओरी निराशा
बिच में दू गो लइकन के
सुसकत आँख
दूध क तरसत ओठ
बुढ माई बाबु
अ अदद बीबी
उहो टी. बी. के शिकार
बीमार/लाचार/जियल दुश्वार
त
इ जिनिगी के भीरी
पलायन के अलावा
कवन चारा बा ?
संतोष पटेल जी के बारे में
संतोष कुमार / साहित्यिक नाम – संतोष पटेल
पिता – डॉ गोरख प्रसाद मस्तना
माता – श्री मती चिंता देवी
जन्म – 4 मार्च, 1974,बेतिया, पश्चिम चंपारण, बिहार ।
सम्प्रति – आर जेड एच 940 राजनगर -2 पालम कॉलोनी नई दिल्ली।
शिक्षा –
रिसर्च स्कॉलर, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली।
बी आर ए बिहार विश्वविद्यालय ( प्री -पीएचडी -पास ) भोजपुरी में।
यूजीसी नेट (हिंदी) क्वालिफाइड
एम ए (इंग्लिश) ,एम फिल (इंग्लिश) – प्रथम श्रेणी
एम ए ( हिंदी) – प्रथम श्रेणी।
एम ए (भोजपुरी)- प्रथम श्रेणी में प्रथम / लब्ध स्वर्ण पदक
स्नातकोतर डिप्लोमा- अनुवाद
डिप्लोमा इन पालि लैंगुएज, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, दिल्ली।
सिनिअर डिप्लोमा – गायन (संगीत), प्रयाग संगीत समिति, प्रयागराज।
सम्प्रति – संपादक – भोजपुरी ज़िन्दगी, सह संपादक – पूर्वांकुर (हिंदी – भोजपुरी ),
साहित्यिक संपादक – डिफेंडर (हिंदी- इंग्लिश- भोजपुरी), रियल वाच ( हिंदी), उपासना समय (हिंदी), झेलम न्यूज़।
*** भोजपुरी कविताएँ एम ए (भोजपुरी पाठ्यक्रम, जे पी विश्वविद्यालय ) में चयनित ” भोजपुरी गद्य-पद्य संग्रह-संपादन – प्रो शत्रुघ्न कुमार
*** सदस्य – भोजपुरी सर्टिफिकेट कोर्स निर्माण समिति, इग्नू, दिल्ली
प्रकाशन – भोर भिनुसार (भोजपुरी काव्य संग्रह), शब्दों के छांह में (हिंदी काव्य संग्रह), जारी है लड़ाई (हिंदी काव्य संकलन),
अदहन (भोजपुरी कविता संग्रह) Bhojpuri Literature- Problem in Historiography
साझा संग्रह-
सरगम tuned (anthology), मशाल, मशाल-2, शब्दों की अदालत में, भोजपुरी गद्य पद्य संग्रह, नेपाल, काठमांडू से प्रकाशित शब्दों की गूँज,अक्षर अक्षर बोलेगा, एक स्वर मेरा भी।
अनुवाद : विश्व साहित्य की कविताओं का अंग्रेजी से भोजपुरी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा भारत जन जत्था के प्रकाशित 13 हैंडबुक का अंग्रेजी हिंदी से भोजपुरी अनुवाद। हिन्द स्वराज।
प्रकाश्य – भोजपुरी आन्दोलन के विविध आयाम, भोजपुरी का संतमत- सरभंग सम्प्रदाय, , Problem in translating Tagore’s novel – The Home and The World , अदहन (भोजपुरी के नयी कविता)
रजनीगंधा हिंदी कविता संग्रह। सबाल्टर्न भोजपुरी कवि आ काव्य।
कविता पाठ / पेपर रीडिंग – राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय मंच से ।
संपर्क:- 9868152874
भोजपुरी के कुछ उपयोगी वीडियो जरूर देखीं
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