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रमा शंकर तिवारी जी के लिखल एगो कहानी सामंजस्य

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रमा शंकर तिवारी जी

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खुशी के मारे फुलेसर के पाँव जमीन पर ना रहे …उनका बेटा के शादी होता … का़ल्हे बारात जाई… आज दिन मे काथा मटकोर खुब धुमधाम से बितल हs .. रात मे संगीत आ गवनई होई जेमे घर जवार के आ हितई के सभ केहू नाच गाना करी लोग … कतना श्ररधा से फुलेसर आ फुलेसर ब अपना बेटा के पाल पोस के बड़ कइले बा लोग ..दूनू बेकत के खुशी के ठिकाना नईखे ..
” सुन तानी जी ..आज हम रात भर गाना बजाना करेम.” खुशी के मारे इतरा के फुलेसर ब , फुलेसर से कहली …

हम तहरा के आज थोडे़ रोकेब …कतना दिन के बाद तs घर मे खुशी आईल बा … जतना खुशी मनावे के बा तू मनावs ” फुलेसर भी खूब गदगद होके जबाब दिहलें …फुलेसर ब रात के प्रोग्राम के तैयारी मे लाग गइली ..

फुलेसर भी दुआर पर बैठ के काल्ह बारात के बारे मे योजना बनावे लगलन …

रमा शंकर तिवारी जी
रमा शंकर तिवारी जी

साँझ होते हीं पूरा माहौल संगीतमय होखे लागल .. सभे नाच गाना के मस्ती मे डूबे खातिर एकदम तैयार होके फुलेसर के दुआर पर जूटे लागल .. फुलेसर भी पूरा तैयारी कइले रहलन ..उनका बेटा के शादी होता … पूरा गाँव के खुशी खातिर कवनो कसर ना छोड़ले रहस …

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बडका लाउड स्पीकर से लेके डीजे तक ..सब इंतजाम भइल रहे ..

जइसहीं लाउड स्पीकर आ डीजे बाजे के शुरू भइल तले भुवर पिनपिनाइले फुलेसर के दुआर पर पहुँचले …. ” का हो फुलेसर ! हमरा ई दुख के घडी़ मे तू इहे करबs ” भुवर खिसीआइके चिल्लईले … फुलेसर के त ठकुआ लाग गइल … धीरे से भुवर से पुछले …” का बात हs .. बतईबो करबs कि खाली चिल्लईबे करबs .. ” ….

हम चिल्ला तानी … कतना दिन से हमार 85 साल के माई बेमार रली हs … आज उ हमरा के छोड़ के चल गईली आ तू बाजा बजाव तारs .. खुशी मनाव तारs” भुवर एकदम खिसिअइले उल्लाहना के स्वर मे फुलेसर से कहलें ..

फुलेसर तs एकदम अवाक् … उनका त बुझाते ना रहे की उ अपना बेटा के शादी के खुशी मनावस कि भुवर के बुढ़ माई के मरला के शोक मनावस … कतना मन मे सोचले रहलन … सब श्रद्धा बुझाता कि फीका पड़ जाई ..

भुवर आ फुलेशर आज तक खुशी भा गम मे हमेशा साथे रहे लोग …

लेकिन आज के समस्या मे दूनू आदमी घिर गईल बा …

फुलेसर के घरे शादी के खुशी बा तsभुवर के घरे उनका माई के शोक …

अब खुशी आ शोक जब एके साथे समाज मे आई तब कवनो ना कवनो सामंजस्य त बनावहीं के पडी़ …

ई सोचे के बात बा कि फुलेसर आ भुवर कईसे आपस मे सामंजस्य बनाई लोग ..

रमा शंकर तिवारी “भटकेशरी”

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