पेड़- पौधा : हमार जिनगी पर्यावरण पर आधारित रामाज्ञा प्रसाद सिंह ‘विकल’ जी के भोजपुरी रचना ह। इ रचना छात्र लोगन के भोजपुरी भाषा का ज्ञान कराबे के संगे वैज्ञानिक चेतनो जगावे के काम करी। पर्यावरण सुरक्षा का दिशाई ओकर ध्यान खींची।
आदमी का एह धरती पर पांव धरे का पहिलहीं पेड़-पौधा ओकरा जिनगी के सगरी जोगार कइले रहे ला। सांस लेवे ला ऑक्सीजन होखे भा पेट भरे ला भोजन के जोगार पर्यावरण के सुरक्षा के बात हो भा जीवन के रक्षा के सभे कुछ पेड़-पौधा के असरा पर रहेला। सभ्यता का विकास का संगे जिनगी में कपड़ा से लेके घर-दुआर आ ओह में सजावे वाला सरजाम पेड़-पौधा से मिलेला।
कवनो जीव का जिनगी में सबसे कीमती चीज हवा ह। हवा का अभाव में एको क्षण जीयल कठिन बा। एही से ऑक्सीजन के हमनी का प्राण-वायु कही ले। हम साँस लेने में एकरे ग्रहण करीले आ कार्बनडायक्साइड छोड़ि ले। एह कार्बनडायक्साइड के ऑक्सीजन में बदल के हमरा देवे वाला पेड़-पौधा बा। सूर्य का प्रकाश में इहे पेड़-पौधा के पतई मांड (स्टार्च) बना के भोजन के जोगार जुटावे ली सन।
इहे भोजन बनावे के सिलसिला में ऑक्सीजन निकाले ला जे जीव-जन्तु के जिनगी देवेला। आदि काल से आज तक मांसहारी भा शाकाहारी कवनो प्राणी होखे ओकर जिनगी सीधा चाहे घुमा-फिरा के पेड़-पौधा पर ही टिकल बा। हमनी के शास्त्र-पुराण में इ बात साफ-साफ कहल बा जे संसार में हवा, पानी आ मीठ बोली रतन ह। मूर्ख लोग एकरा ना समझे आ पत्थर के टुकड़ा के रतन बुझे ला। अगर एह असली रतन के जोगार पेड़-पौधा ना जुटाबे त संसार के कुल्हि जीव टुकुर-टुकुर ताकते तरेगन गिनत रह जइहें।
भोजन, वस्त्र आ घर ई सभ जरूरतन में अगुआन मानल गइल बा। भोजन अन्न, फल-सब्जी सभे पौधे से मिलेला। कपड़ा के बारे में सोची त कपास आ पाट आदि पौधे बा जेकरा रेशा से धागा बनेला आ कपड़ा तैयार होला। रेशम के उत्पादन करे वाला कीड़ा भी पेड़ के पतइ पर पलेला। एही से रेशमी कपड़ा बनेला। जहाँ तक सर्दी-गर्मी, धूप-बारीस से बचेला घर चाहीं त ओकरो में पेड़-पौधा के लमहर योगदान रहेला इ कुल्हि जीव-जन्तु के जीवन में महत्व के संगे-संगे पेड़-पौधा के सबसे लमहर आ महत्वपूर्ण काम बा, पर्यावरण के शुद्ध कइल।
आज जंगल काट के शहर बसावल जा रहल बा। पेड़-पौधा के काटे के लोग आपन सुख के सरजाम सजा रहल बा। बाकिर एकर सबसे बुरा असर पर्यावरण पर पड़ रहल बा। पेड़-पौधा के कटला से वायुमंडल प्रदूषित हो रहलबा। ऑक्सीजन के कमी हो रहलबा। कार्बनडायक्साइड बढ़ रहल बा। इ प्राणी के जिनगी ला बहुते खतरनाक बाटे। एगो अइसन समय आई जब ऑक्सीजन के कमी से प्राणी के जिनगिए खतरा में पड़ जाई। एतने पेड़-पौधा के कमी से वर्षा में कमी हो रहल बा जेकर प्रभाव खेत-खलिहान से लेके वातावरण तक पर पड़ रहल बा ।
एह से पर्यावरण के बचावे के जवन आन्दोलन चल रहल बा ओह में पेड़-पौधा लगावे पर खूब जोर दिहल जा रहल बा कहल जा ला पेड़ लगाईं : पर्यावरण बचाईं । एक पेड़ सौ पुत्र समाना।
– भोजपुरी पाठ्य पुस्तक दीआ-बाती से
ध्यान दीं: भोजपुरी फिल्म न्यूज़ ( Bhojpuri Film News ), भोजपुरी कथा कहानी, कविता आ साहित्य पढ़े खातिर जोगीरा के फेसबुक पेज के लाइक करीं।
इहो पढ़ीं
भोजपुरी गीतों के प्रकार
भोजपुरी पर्यायवाची शब्द – भाग १
भोजपुरी पहेली | बुझउवल
भोजपुरी मुहावरा और अर्थ
अनेक शब्द खातिर एक शब्द : भाग १
लइकाई के खेल ओका – बोका
भोजपुरी व्याकरण : भाग १
सोहर