जातिवादी माहुर से ना बाँचल भोजपुरी गीत

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कहल जाला की अगर घाव के सही समय पर सही इलाज ना दियाए त उ खतरनाक कैंसर के रूप ध लेवेला। आज भोजपुरी गीतन में बढ़ रहल अश्लीलता रूपी कैंसर से लड़ल एगो बड़ चुनौति रहले रहे ताले एह गीतन में जातिवादी माहुर घोरा गइल।

लगभग 6 महीना पहिले रितेश पांडेय “पांडेय जी का बेटा हूँ” गीत गा के भोजपुरी गीतन में एगो नया ट्रेंड चला देहलें। ओकरा बाद ओही तर्ज पर “यादव जी का बेटा”, “वर्मा जी का बेटा”, “कुशवाहा जी का बेटा”, “धोबी जी का बेटा”“चमार जी का बेटा” जइसन गीतन के भरमार हो गइल। हालांकि ई कवनो आजे अचानक आ गइल अइसन भी नइखे। गुड्डू गिरी जब गुड्डू रंगीला बनत रहलें ओह घरी छिलटुआ के दीदी आ टेंगरा के दीदी जइसन गाना गा के कहीं ना कहीं एगो शुरुआत कइलें बाकी गनीमत ई रहल की ओह तर्ज पर ढ़ेर गाना ना आईल।

भोजपुरी फिल्मन में आइटम सॉन्ग के नाम पर विधायक जी, मुखिया जी सरपंच जी से होते हुए यादव जी आ फेर मिसिर जी तू त बाड़s बहुत ठंढ़ा तक मामला पंहुचल। ओइसन गीतन पर छाती चाकर क के नाचे वाला यादव जी आ मिसिर जी से मिलल बढ़ावा बा जे आज गायक अपना-अपना जात के नाम लेके गा रहल बारें।

दुखद आ खतरनाक स्थिति ई बा कि तब केहू के खराब ना लागल, केहू रितेश पांडेय पर केस ना कइल जब कहले की पांडेय जी का बेटा हूँ चुम्मा चिपक कर लेता हूँ। ओह घरी कहीं के ब्राम्हण समाज चाहे संस्था के लोग विरोध ना दर्ज करवलक की काहे ई पांडेय जी के बेटा के बारे में अइसन गीत गा रहल बा? दोसर कवनो जात के लोग भी सामने ना आइल आ अब जब कौनो गायक गा देलस की “पांडेय जी की बेटी है चुम्मा चिपक कर देती है” तब अचानक पूरा ब्राम्हण समाज के लागल की ई का गा देलस? ई त हमनी के बेटी-बहिन के इज्जत उछालत बा। सभे तय कइल की एकरा खिलाफ आवाज बुलंद होखे आ एह गीत के गायक अजय लाल यादव के खिलाफ केस दर्ज करावल जाओ। जौनपुर से लेके आरा तक कईगो केस दर्ज भइल। होखे के भी चाहीं, बाकी बेटिये पर काहे, बेटा के इज्जत ना होला आ कि बेटा के चुम्मा लेला से मर्दानगी झलकेला?

समाज अइसन बेहाया गायकन के बरदास ना करी। बेहाया गायक त बड़ले बा बाकी बहुत लोग बा जे पांडेय जी का बेटा हूँ खातिर रितेश पांडेय के बचाव कर रहल बा। फेसबुक पोस्ट आ वीडियो बनाके अजय लाल यादव के गरिया रहल बा आ रितेश के बचा रहल बा। हमरा नजर में असली बेहाया इहे लोगवा बा। बेहयाई के अंदाजा एहि बात से लागत बा कि लोग तर्क देता की केहू के नाम नइखन धइले त सवाल ई उठत बा कि अजय लाल यादव जवन गवले बा ओमे उ कहाँ केहू के नाम लेले बा? तब काहे एतना परपराता? अगर समाज के लोग पांडेय जी के बेटा खातिर विरोध के पुरजोर आवाज उठवले रहित, केस दर्ज करवले रहित त आज कौनो गायक में हिम्मत ना रहित की उ केहू के बेटी पर अभद्र गीत गा देवे।

असल रोग ई बा कि हमनी के मर्दवादी समाज के ई बरदास नइखे की बेटी कौनो गलत काम करो जबकि बेटा के आजदी बा कि उ कुछो कर सकता। आम जन जीवन में अब बहुत बदलाव आइल बा बाकी तबो जेतना आजादी लड़िका के बा ओकरा अधो लड़की के नइखे। एगो आउर पय बा, जब लड़िका कौनो लड़की के गाभि मारेला चाहे अश्लील गीत गा के छेड़ेला त लड़िका के साथ-साथ ओकर दोस्त भी खूब मजा लेवेलन स आ जब ओकनी के बहिन पर कौनो इहे चीज दोहरा देवे त मर्डर हो जाला। हमनी के अगर ई सोच ना निकालब स आ एक दोसरा के बेटी-बहिन के इज्जत आपन इज्जत ना बुझब स तब तक अइसन गीतन के आवे से केहू ना रोक सकी। आजो अगर रउरा लोग के खून नइखे खऊलत, जात-पात से बाहर नइखीं आवत त उ दिन दूर नइखे जब अइसन-अइसन फालतू गायक जात से आगे बढ़ लोग के नाम ध-ध के गइहें स।

लेखक: लव कांत सिंह ‘लव’

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