डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह जी भोजपुरी के आधुनिक भाषाशास्त्र में लिखत बानी की कबीर के काल भोजपुरी खातिर टर्निंग पीरियड ह एकर माने भइल कि कबीर से पहिले दसवी शताब्दी से लेके पन्द्रवही शताब्दी तक भोजपुरी के निर्माण शुरू हो गइल रहे।
प्रो गजाधर सिंह जी भोजपुरी साहित्य के आदिकाल: सीमा निर्धारण में लिखत बानी – “ई सही बा कि दसवीं शताब्दी के बाड़ आधुनिक आर्यभाषा के बोलियें के रूप स्पष्ट होखे लागल रहे, बाकिर ओह स्वरूप के निर्माण चार सौ बारिस पहिले से शुरू हो चुकल रहे।
प्रो गजाधर सिंह जी भोजपुरी साहित्य के आदि कवि के बारे में पुष्प भा पुंड, सराहाण, भरतेश्वर, बाहुबली रास के कवि आदि के नाम के चर्चा कइले बानी बाकिर ई बात निहचित रूप से कहत बानी की “नाथ सम्प्रदाय के मजबूत आधार प्रदान करे वाला गुरु गोरखनाथ के गुरु भाई चौरंगीनाथ के रचना-‘प्राण संकली में भोजपुरी के जवन विकसित रूप दिखाई पड़ता, उ केहू में नइखे लउकत।
नाथपंथी परम्परा में चौरंगी नाथ प्रसिद्ध कवि रहीं । तिब्बती परम्परा में इहाँ के गोरखनाथ के गुरु भाई मानल जाला। इहाँ के रचना प्राण-संकली में प्रकाशित बा।
प्राणसंकली के भाषा भोजपुरी बा आ एही आधार पर अनुमान लगावल जाला की इहाँ के जनम भोजपुरी क्षेत्र में भईल रहे।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी गोरखनाथ के समय नवी सदी के बीच मनले बानी चुकीं चौरागीनाथ जी गोरखनाथ के गुरु भाई रहीं एह से उहाँ के समय 9 वी सदी ही मानल उचित होई।
नाथ साहित्य सिद्ध साहित्य आ संत साहित्य के बीच के कड़ी ह।गोरखनाथ के नाथ पंथ के संगठनकर्ता कहल जाला।
नाथ पंथ के प्रमुख साधक कवि में –
मत्स्येन्द्रनाथ
गोरखनाथ
नागार्जुन
चरपटीनाथ
चौरंगीनाथ
गोपीचंद नाथ
भरथरी (भृतहरि)
आदि प्रमुख बाडन.
गोरखनाथ के जन्म-स्थल के बारे में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी पूर्वी भारत मानत बानी इहाँ के मत्स्येन्द्रनाथ के चेला मानल जाला। कहल जाला कि गोरखनाथ शास्त्र के जानकार रहीं .
उहाँ के नावे चालीस गो हिंदी-भोजपुरी आ छबीस गो संस्कृत के ग्रन्थ बा जवना पर थोडा विवाद बा. डॉ पीताम्बर दत्त बडथ्वाल जी – ‘गोरखवाणी’ के भूमिका में जवना 39 ग्रन्थन के जिक्र कइले बानी ओह में उहाँ के १३ गो प्रमाणिक मानत बानी.
1 गोरस –गणेश जपीत
2 ज्ञानदीप बोध
3 महादेव गोरस शुष्टि
4 सिस्ट पुराण
5 दया बोध
6 सप्तवार
7. नवग्रह व्रत
8.पंच अग्नि
9.अष्टमुद्रा
10. चौबीस सीद्धि
11. बत्तीस लच्छन
12. अष्टचक्र आ
13. रस रासि
उहें रामचद्र शुक्ल जी संस्कृत के रचल गोरखनाथ जी के 26 ग्रंथन के प्रमाणिक मानत बानी।
1.सिद्ध सिद्धांत पद्धति
2. विवेक मार्तंड
3. शक्ति संगम तंत्र
4. निरंजन पुराण
5. वैराठ पुराण आदि
गुरु गोरख नाथ के कुछ पदन के देखि –
“ हसिबा खेलिबा रहीबा रंग, काम क्रोध न करीबा संग
हसिबा खेलिबा गाइबा गीत , छिढ़ करि राशिबा आपना चिंत
हबकी न बोलिबा, ढबकी न चलिबा, धीरे धरिबा पाँव
गरब न करीबा, सहजे रहीबा, भनत गोरस राव /
भोजपुरी के कवि और काव्य में दुर्गानाथ प्रसाद सिंह जी लिखत बानी कि- गोरखवाणी में उधृत सभी छंद के अध्ययन किया, उसमे भोजपुरी भाषा की बहुत सी कविताएँ मिली।अनेक कविता तो मुहावरे और प्रयोग तथा क्रिया की दृष्टि से विशुद्ध भोजपुरी ही है…”
उदहारण देखि –
दपिनी जोगी रंगा पूरबी जोगी बादी
पछमी जोड़ी वाला भोला, सीध जोगी उतराधी.
गोपी चाँद नाथ- गोपीचंद आ उनकर माई मैनावती गोरख नाथ के चेला रहे लो. भरथरी नाथ पंथ के साधू बनल रही कहल जाला की उहाँ का अपना स्त्री से क्षुब्ध होके सन्यास धारण क लेनी
भरथरी के कविता देखि –
दरसने चित हरनी
परसने बुधि संजोग बल हरनी
कहे भरथरी भृंग भृंग नारी राकसनी/
नागेद्र प्रसाद सिंह – “भोजपुरी के संक्षिप्त इतिहास” में लिखत बानी की – “सिद्ध आ नाथ साधना आ साहित्य पर भोजपुरी के परवर्ती साहित्य के विकास संत साहित्य आ मध्यकाल में भइल. एह से एकर विशेष महत्व बा.”
– राजेश भोजपुरिया
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