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भोजपुरी लोकगीत नीमिया के डाढ़ि

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भोजपुरी लोकगीत नीमिया के डाढ़ि

भोजपुरी लोकगीत के भंडार बड़ी समृद्ध बा। एह में जिनगी के सुख-दुःख का यथार्थ के अभिव्यक्ति मिलेले । लोकगीत जनता के हृदय के आवाज है। इहे वजह बा कि पश्चिमी संस्कृति के बढ़त प्रभाव का बादो भोजपुरी लोकगीतन के लोकप्रियता बढ़ते जाता। प्रस्तुत गीत में भोजपुरिया संस्कृति के सोजहग चित्र उभर के आइल बा। मइया के पियास लागल, पानी माँगला आ ओकरा बाद के संवाद का माध्यम से ई गीत पूरा होता।

भोजपुरी लोकगीत नीमिया के डाढ़ि
भोजपुरी लोकगीत नीमिया के डाढ़ि

नीमिया के डाढ़ि

नीमिया के डाढ़ि मइया लावेली झुलुअवा हो कि झूमी-झूमी ना,
सातो बहिनी गावेली गीत हो कि झूमी-झूमी ना ।

झुलत-झुलत मइया के लगली पियसिया हो कि चलि भइली ना,
मलहोरिया-निवास मइया चली भइली ना ।

सुतल बाडू कि जागल हो मलिनिया, कि बून एक ना,
मोहके पनिया पियाव हो कि बून एक ना ।

कइसे के पनिया पियाई, ए सीतल मइया, मोरा गोदिया ना,
बाड़न बालका नदान मइया, मोरा गोदिया ना ।

बालको सुताव मालिन, सोने के खटोलवा कि निछुनवे होके ना,
मोहके पनिया पियाव हो निछुनवे होके ना ।

सोने के खटोलवा, मइया, टूटी-फूटी गइले कि बलकवा राउर ना,
हो कि भुइयाँ लोटी जइहें हो, बलकवी राउर ना ।

जाहि तोरे मालिन,रोइहें बलकवी हो, उठाई हो लेबो ना,
राजा-मोती के अँचरवा में उठाई हो लेबो ना ।

कहाँ पइबो मइया हो, सोने के घइलवा, कहाँ हो पइबो ना,
कि रेसमसुत के डोरिया हो, कहाँ हो पइबो ना ।

सोनरा के घरवा, मालिन, सोने के घइलवा, पटहेरवा घरवा ना,
हो रेसमसुत डोरिया, पटहेरवा घरवा ना ।

पातर कुइयाँ, पताले गइले पनिया हो, डफोरिके भरिहऽ ना,
मइया पीहें जुड़पनिया हो, डफोरिके भरिहऽ ना ।

एक हाथे लिहली सोने के घइलवा हो, दहिनवे हथवा ना,
सीतल जुड़पनिया हो, दहिनवे हथवा ना ।

मइया पीयसु जुड़पनिया हो, दहिनवे हथवा ना ।
जइसे के, मालिन, मोहे जुड़वलु हो कि ओइसे-ओइसे ना,

तोहार धीयवा जुड़ासु, मालिन, ओइसे-ओइसे ना,
तोहार पतोहिया जुड़ासु, मालिन, ओइसे-ओइसे ना ।

धीया बाड़ी ससुरा, पतोहिया बाड़ी नइहर हो कि केकरा के ना,
सीतल मइया दिहलू असीसिया हो कि केकरा के ना ।

धीया बाढसु ससुरा, पतोहिया बाढसु नइहर कि उनके के ना,
मालिन! दिहलीं असीसिया हो कि उनके के ना ।

– भोजपुरी किताब अँजोर से

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