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अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा बेवफाई

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अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी

परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प , रउवा सब के सोझा बा अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा बेवफाई ( Bhojpuri Laghu katha Bewafai) , पढ़ीं आ आपन राय जरूर दीं कि रउवा अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी लिखल भोजपुरी लघुकथा (Bhojpuri laghu katha ) कइसन लागल आ रउवा सब से निहोरा बा कि एह लघुकथा के शेयर जरूर करी।

नीम के सुन्दर छाँव के नीचे खरीहानी में धान दंवात बा। धरम काका खपड़ा के दलान में सुखल धान बोझले जात बाड़न। ई सबसे बेखबर नानी के कहानी सुनके नाजो के आंख भीज गईल बा।

देवदास जब पारो के दुआर पर मर गईलन त फेर का भईल नानी?

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ओकरा बाद के त हमरो पता नईखे, लेकिन भईल ई होई कि पारो अपना बाल बच्चन में अझुरा गईल होईहें! त ई त देवदास के संघे बेवफाई भईल नानी!

ईहे दुनिया के रीत ह! नाजो! एतना कह के नानी आपन दुपट्टा से आपन भीजल आंख पोंछे लगली।

ऐसन काहे होला नानी! काहे ना जे जेकरा से प्रेम करेला ओकर बियाह ओकरे से हो जाला!

अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी
अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी

बड़ी बड़ी झंझट बा ई दुनिया में बेटी। बेटी के बाप आपन बेटी के सुखमय भविष्य खोजेला त बेटा वाला आपन लमहर नाक आ ँच लीलार देखेला। कहीं लईकनी के जात ंच होखेला त लईका के नीच, कहीं लईका के जात ंच होखेला त लईकनी के नीच।

नानी एतना कहिके फेरू आपन दुपट्टा से आपन भीजल आंख पोंछे लगली।

तु काहे रोए लगलू नानी?

हमरो पुरान बात मन पड़ गईल हो।

का भईल रहे नानी! छो ड़ – – बाद में कबहूं बता देब।

ना – अबहींए बतावे के पड़ी। हमरो ऐगो देवदास रहलन हो!

नाजो के भंगुआईल आंख भक्क से खुल गईल। आश्चर्यचकित होके पुछली – तोहरो देवदास!

हं – – दुसरा धरम के रहलें ऐहिसे हमनी के बियाह ना हो सकत रहे, त ना भईल।

हमार बियाह तोहार नाना जी से हो गईल आ चल गईलन पंजाब कमाए। तबसे आजतक उनकर कौनो पता ना चलल। कब्बो कब्बो मन पड़ जाला त आंख भर आवेला।

तब त तुहो बेवफाई कईलू नानी!

बेवफाई ? दु चार बेरा के ऊपास के बाद से प्रेम के सगरी नसा उतर जाला बबुनी। ढेर से ढेर एगो लईका होत-होत त सफ्फा कहानीए बदल जाला।
नानी हंसत रहली आ कहत रहली।

तु बता व नाजो अगर हम बेवफाई ना करतीं त आज तोहार नानी कैसे रहतीं आ तोहके कहानी कैसे सुनईतीं ! ई बात पर दुन्नो जाने खिलखिला के हंस दिहल लोग।

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