परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आयीं पढ़ल जाव संजय कुमार ओझा जी के लिखल भोजपुरी कविता प्रीत के रीत (Bhojpuri Kavita) , रउवा सब से निहोरा बा कि पढ़ला के बाद आपन राय जरूर दीं, अगर रउवा संजय कुमार ओझा जी के लिखल भोजपुरी कविता अच्छा लागल त शेयर आ लाइक जरूर करी।
अखियां में रखनी तोहे कजरा बनाई के,
माथे लगइनी, लोग से गजरा बताई के !
तुड़ी दिहलू भरम के धागा एक झटके में,
चीर दिहलू करेजा, तूं करेजा में जाई के !!
रतिया नींदो ना आवे, दिन के चैनो गईल,
अब तऽ काटल जिनिगियो ई दूभर भईल !
कबो देखनी सपनवा तोहके चंदा समझ,
खिलल ललको गुलाब अब उजर भईल !!
हम त पत्थर पर खींचनी लकीर प्रीत के,
तू तऽ बुझीयो ना पइलू प्रीत का रीत के !
हम तूड़ी दिहनी सब, आज बंधन आपन,
तूं तऽ बहरो ना अईलू चांदी का भीत के !!
तुहीं बताव विश्वास भला कोई कइसे करी,
अपना जान का आगे, जान कइसे धरी !
हम त लूटा दिहनी सब कुछ तोहरे नाम पर,
बूतल दियना अब ‘संजय’ भला कईसे जरी !!
संजय कुमार ओझा
गांव + पोस्ट – धनगड़हां,
जिला – छपरा, बिहार
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