परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आयीं पढ़ल जाव राजू साहनी जी के लिखल भोजपुरी कविता, रउवा सब से निहोरा बा कि पढ़ला के बाद आपन राय जरूर दीं, अगर रउवा राजू साहनी जी के लिखल रचना अच्छा लागल त शेयर आ लाइक जरूर करी।
गरीबी में लोग मजबूर हो जाला।
पढ़ी लिखी मजदूर हो जाला ।।
दू रोटी कमाए खातिर,
घर परिवार चलावे खातिर।
अपने घर सभे छोड़ देला,
अपने घर बनावे खातिर ।।
केहू दिन दुपहरिया खड़ी धूप में,
खूब पसीना बहावे ।
त केहू पोछे पनही ,
त केहू बोझ उठावे ।।
केहू दिन रात मेहनत करे,
मिटावे खातिर भूख ।
न भूख मिटे न चिंता घटे,
न मिले कबो चैन न सुख ।।
पईसा के बा खेल निराला,
गजबे खेल देखावे ।
पईसे खातिर जज बने सभ,
पईसे मुजरिम बनावे।।
गरीबी बड़ी महान ह भाई,
जे सबके अपनावेले ।
के आपन ह के बेगाना,
भलीभाती समझावेले ।।
सुख बड़ी स्वार्थी ह “राजू”,
जे अपने के भी भूल जाला ।
तोड़ देला हर रिश्ता नाता,
घमंड में अतना चूर होला ।।
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