परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, रउवा सब के सोझा बा सरोज सिंह जी के लिखल भोजपुरी कविता अंखियन के लोर , पढ़ीं आ आपन राय जरूर दीं कि रउवा सरोज सिंह जी लिखल भोजपुरी कविता ( Bhojpuri Kavita) कइसन लागल आ रउवा सब से निहोरा बा कि एह कविता के शेयर जरूर करी।
जिनगी के इ लमहर पाट
घाट जइसन नु लागेला,
भींजले रहेला, सुखे ना
अंखियन के लोर……
घर कहां घरजनवा मे
घरे-घरे , समहरे बा ,
सांझे बेर से, रूकेला ना
अंखियन के लोर ……
दवा – दुआ कहां सुनत
माटी के अइसन ह घाव
जल-जल,जलधि-अवधि
अंखियन के लोर ……
जजात कबो,सुखे सुखाड़
बाकी विलीन, बाढ़-दहाड़
इ लड़ी-झड़ी कबो टुटे ना
अंखियन के लोर …….
जब से जमले,कहंवा सम्हरले
सुखे कबो,कबो फले – फूले
धरत-धीर ,नित पियत पीड़
अंखियन के लोर …….
मुहाल-बेहाल, सुख-सुविधा
लिख-लिखतंग,समय-सीधा
आशा-अंजोर मे , अकेल
अंखियन के लोर …….
मिलन-बिछड़न, बूंद ढरके
मनमित-प्रीत, जाला छोड़के
किस्मत कोसे ,तब बरसेला
अंखियन के लोर ……
बाबा के स्नेहिया, छोड़े साथ
माई के अंचरा रहे नाथ माथ
धिया विदा के बेर झर-झर
अंखियन के लोर ……..
नाव “सरोज” जिनगी के बेचारा
कबो ऐह- त कबो ओह किनारा
धड़-धरा पर , मन गगन के ओर
अंखियन के लोर …….
जिनगी के लमहर पाट
घाट जइसन नु लागेला ,
भींजले रहेला, सुखे ना
अंखियन के लोर ……
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