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मोबाईल के लत | भोजपुरी कहानी | महादेव कुमार सिंह

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मोबाईल के लत | भोजपुरी कहानी | महादेव कुमार सिंह

परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, रउवा सब के सोझा बा महादेव कुमार सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी मोबाईल के लत, पढ़ीं आ आपन राय जरूर दीं कि रउवा महादेव कुमार सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी ( Bhojpuri Kahani) कइसन लागल आ रउवा सब से निहोरा बा कि एह कहानी के शेयर जरूर करी।

आपन भोजपुरिया क्षेत्र बहुते प्रतिभाशाली बा लेकिन कुछ समय से हमार नएका पीढी पढाई-लिखाई से ज्यादा मोबईलिया पर ब्यस्त रहेलन। उनकराके ई पता नईखे कि ई मोबईलिया जेतना अच्छा बा ओतना ही खराबो बा। दुनिया में अऊरो कऊनो अईसन देश नईखे जहँवा युवा आऊर बच्चा लोग मोबाईल के फेसबुक, हाय-हैलो, गपशप आऊरो गेम में व्यस्त रहेलन, जेतना हमार बच्चा सब ब्यस्त आऊर मस्त रहेले।

अगर खेल देखेके बा त एगो स्क्रीन टच मोबाईल खरीद ली, आऊर गेम डाऊन लोड कईके सबसे नन्हकी बचबा के बझावे खतिरा दे दी। दूईए चार दिन में अईसन एक्सपर्ट हो जाई कि ओकर दशा देखके मोबाईल के आविष्कार के भी माथा चकरा जाई। एकबार गेमके लत लगला के बाद कहीं फोन करे खतिरा आपन बचबा से तनिक मोबईलिया माँगके देखी तब छोटका से छोटका बचबा भी रऊरा पर अईसन गुर्राई आऊरो झपेटी कि ओकराके गुस्साके देखला पर शेरके बचवा (शावक) भी भाग खङा होई।

मोबाईल के लत | भोजपुरी कहानी | महादेव कुमार सिंह
मोबाईल के लत | भोजपुरी कहानी | महादेव कुमार सिंह

अब युवा लोग पर ध्यान दी, लोग सोके ऊठलाके बाद से लेके फिर सोए के समय तक मोबईलिया के केतना सदुपयोग करेलन देखके रऊरा लोग घबङा जाई। अब हमनी मिलजुलके आपन मानव संसाधनस्वरूप ऊर्जा शक्ति आऊर ऊनकर बहुमूल्य समय के बचाबे खतिरा कोशिश करी।

मोबाईल मे हमेशे व्यस्त रहला पर कईएक शारीरिक आऊरो मानसिक परेशानी खङा हो जाला जईसेः- मानसिक तनाव, दृष्टिदोष, आऊरो बहरापन के अलावे मोबाईल के विकिरणजनित अनेको रोग होखेके संभावना बढते जाला।

मोबाईलिया के कारण केतना लईका-लईकी के भविष्य बरबाद हो गईल। बगल के सोनुआ बचपने से पढे-लिखे मे बहुते तेज रहे। सोनुआ के बाबू भोलानाथ जी के आपन होनहार बेटा पर बङ नाज रहे कि बेटा आई.आई.टी प्रवेश परीक्षा आसानी से पास हो जईहें, आस-पङोस के लोग भी ओकर पढाई देखके खूब खुश रहे लेकिन जईसही ग्यारहवीं पास कईलस ओइसही स्क्रीनटच मोबईलिया खातिर जीद करे लागल।

भोलानाथ जी बङ समझईलन-बुझईलन, जब सोनुआ मोबाईल खतिरा खाना-पीना भी छोङ दीहलस तब भोलानाथ जी ओकराके एगो मोबाईल खरीद दीहलन। मोबईलिया जईसही सोनुआके हाथ में आईल ओकर चेहरा अईसन चमके लागल जईसे ओकराके दुनियाके कोई बङका धरोहर मिल गईल हो। का जनिहे मोबाईल बाबा के अवगुण जिनका लगे मोबाईल नईखे। ई मोबईलिया के दुरूपयोगिता एटम बम से भी जादा तबाही मचाबेला, अगर एकर सदुपयोग कईल जाए त एकरामे एतना बङ गुण बा कि आदमी के सही राह दिखाके ओकरा भविष्य के भी सुनहरा बना सकेला।

कहे के मतलब ई बा कि बेतार इंटरनेट के तार में हींग से लेके हर्रे तक सबकुछ जुङल बा, जिनकराके जे मन होई देखिहें। जबसे सोनुआ के मोबाईल हाथ लागल अईसन बरबाद भईल कि कहे में भी शरम लागता। केहु केतनो समझईलस लेकिन मोबाईल के लत ओकरा अईसन लागल कि ग्यारहवीं जईसे-तईसे पास कईलाके बाद एगो छोट-मोट प्राईवटो नौकरी खतिरा आज दर-दर के ठोकर खात-फिरत है। अब हमनियों के सतर्क रहे के जरूरी बा, अब हमनी तनिक अपनो बच्चा लोग पर ध्यान दी ताकि उनकर अपरिपक्वता के कारण कोई गलत सूचना ऊनकराके ऊपर हावी न हो जाये, आऊर ऊनकर मनोदशाके बदलके जीवन के अंधकारमय न बना देवे।

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