भादो महीना के अन्हारी चउथ बहुरा गणेश चउथ के नाम से जानल जाला। एह बहुरा चउथ के कई जगहे बहुला चउथ आ संकटी चउथ कहल जाला। आजु ऊहे बहुरा चउथ हs। माई लोग अपना पूत के रक्षा आ उमिर के बढ़न्ती खातिर दिनभर ई व्रत रहेला लोग आ साँझी के पूजा कs के प्रसाद ग्रहण करेला लोग।
एह बहुरा चउथ में गाई के पूजा के महातम हs। पुराण में मानला के अनुसार आजु के दिने माई लोग कोहार के ईहाँ से माटी लेआ के शिव-पार्वती, कार्तिक आ गणेश जी के सथवे गाय आ बछड़ा के प्रतिकृति बनावेला लोग आ साँझी के बेरा ओकर पूजा करेला लोग।
कहल बा कि बहुरा नाव के एगो गाय रहल जवन भगवान के भक्त रहल। एक दिन जब ऊ गइया वृंदावन में चरे गइल त कृष्ण भगवान ओकर परीक्षा लेबे खातिर अपनहीं बाघ बन के बहुरा के खाये खातिर आ गइले। साँझ होत रहे से बहुरा ओह बाघ से अरज कइली कि हम बिहाने के निकलल हईं। हमार बछरू बिहाने से भुखाइल-पिआसल होई, हमरो थान दूध से भरि गइल बा। एह बेरा हमरा के जाएदs। अंतिम बेर अपना बछरूओ के देख लेब आ ओकर पेटवो भरि जाई।
बिहान एही बेरा आ एही ठाँवे हम चली आएब। हमरा के खा लिहs।
बाघ मान गइल। दोसरा दिने बहुरा साँचहू आ गइली। आपन जान देबे खातिर, वादा के पक्का, आइल बहुरा के देख के भगवान प्रत्यक्ष हो गइले आ वरदान दिहले कि अपना बछरू के बचावे आ आपन वादा निभावे के कारण कलजुग में सगरो महतारी व्रत रहि के तहार पूजा करीहें। … एह तरे गाय आ बछरू पर आइल संकट टल गइल।
एह बहुरा व्रत के फल में पूत के रक्षा आ दीर्घायु के सथवे संतान-सुख के प्राप्तियो के फल मिलेला। आईं आजु के दिने व्रती माई लोग के त्याग आ तपस्या के नमन करत ओह लोग के सम्मान देबे के प्रन कइल जाव नमन।
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