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विद्या शंकर विद्यार्थी जी के लिखल देवी गीत

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विद्या शंकर विद्यार्थी जी
विद्या शंकर विद्यार्थी जी

काहे निमिया नइखु बोलत,
काहे सिंकिया नइखु डोलत
काहे नाहीं भइलु कचनार हो ….

बिलमी गइली मइया मलिया के घरवा
ठहरी गइले ओहिजे चारो हो कंहरवा
गँउआ के रीत हउए गँउआ के प्रीत हउए
लोगवा के हउए लोकाचार हो, काहे … |

मानर बाजेला मइया पंइया भरावेली
बिंदिया लगावेली आ ककही करावेली
नारी के नारी जानस मइया भवानी मानस
दरपन से करेली सिंगार हो, काहे…. |

पूजा के बेरा होला धरम के बेरा होला
कबो चमत्कार होला करम के फेरा होला
खोंइछा भरावताड़ी इच्छा पुरावताड़ी
मलिया कर$ता जै जैकार हो, काहे…. |

निमिया तूँ निमिये रहबु पतवा पताइल
लागी ना कीमत तोहार भाव ना अँकाइल
दौलत त दौलत होला तोहरे बदौलत होला
झर$ झर$ बहेला बेयार हो, काहे…. |

विद्या शंकर विद्यार्थी

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