हमनी के धरती मईया के, सबसे सुनर आ नीमन देश, भारत के रहेवाला हईं सन। एह बात के गुमान त हरदम रहेला,बाकी एकरो से बड़हन गुमान के बात ई बा कि, हमनी के भोजपुरिया माटी आ पानी में सनाईल बानी सन। हमनी के एही देशवा में कईसन-कईसन माटी आ पानी होखेला ई त हमनी के कुछ घूम-फिर के आ कुछ पढ के जानते बानी सन, ओही में एगो ई भोजपुरिया माटी-पानी भी बा। एकरा के एगो संजोगे कहल जाई कि, जहां-जहां भोजपुरिया लोग बसल बा,
ओहिजा के पानी मीठ होखेला आ ओहिजा के माटी में उपज भी खूब होखेला। इहे कारण बा कि भोजपुरियन के सुभाव भी मीठ होखेला आ ईहंवा के लोग दोसरा के कुछ देहला पर, बाडा खुश खेलन।खारा आ नमकीन पानी आदमी के सुभाव पर भी असर डालेला, जवना से उनकर मिजाज खारा आउर नमकीन हो जाला। ई त
भगवान के कृपा बा कि हमनी के भोजपुरिया माटी में बानी सन, कि आतना मीठ आ दानी कहातानी सन। ए भईया, ई कवनो अपना माटी के बडाई नईखी करत, एकर परमान भी बा, जईसे भोजपुरियन के ”माई” कहला में, जवन मीठास होखेला,उ कहियो ”मम्मी” में ना मिली। जब बड़-बुढ लोग लईकन के, अरे बबुआ आ बाचवा कह के बोलावेलन त लागेला कि उनका बोलिया से मधु टपकता।
एही से एगो कहावत कहल जाला कि ‘ ई ह भोजपुरीया माटी, ना केहु आंटल बा ना आंटी ‘ साचहुं में भईया, ई भोजपुरीया माटी के सोन्हाई आ एकर पानी के मीठास के मुकाबला करे वाला, केहु नईखे। भोजपुरी भाषा के कमाल त एकर मीठास बड़ले बा लेकिन एकर एगो आउर कमाल ई बा कि सुने वाला पर एकर असर आतना जोर से होखेला कि उ झकझोर देला आ नाहियों मन रहला पर, भाषा के कमाल से आदमी, उ काम करे लागेलन।देश के आजादी के लड़ाई में गांव-गंवर्इ के मेहरारू जांत-ढेंका चलावत में जब गीत गावऽ सन कि, ‘ सुभाष,भगत,अजाद गाँधी जी के अइले जमाना, पिया जेल खाना चलऽ त ढेर मरद जे आजादी के मतलब ओतना ना जानत रहलें , उहो लड़ार्इ में कूद गर्इलन। दोसरो भाषा बोले वाला लोग जब,
भोजपुरिया माटी से गुजरे लन आ मार्इ के गीत जइसे ‘निमिया के डाढ़ी मर्इया आ सुगवा के मरबो धेनुश से उनका कान में जाला त खाड़ होके लोग सुने लागेला ।
ई भोजपुरिया माटी के कमाल ना त आउर का कहल जाई। भोजपुरी में विरता के बखान जब होला त, ओकरो कवनो जवाब नईखे। चाहे आल्हा-उदल के कहानी बा चाहे ‘ बाबू वीर कुंवर सिंह तेगबहादुर ‘ के गीत होखे। सिंगार रस के भोजपुरी कविता आ गीत के त कुछ कहहीं के नइखे, अईसन लागे ला जईसे दुल्हा-दुलहिन सांचो के राम-सीता के रूप ले लेले बाडन। अउर आज भी बरका से बरका शहर के बिलडिंग,फलैट मे भी उ अपनापन अउर मजा नईखे जवन आपन गाव के टूटही पलानीये(मरईये) मे बा,कतनो लिखब नू आपन भोजपुरी माई के प्रेम सनेह अउर वरन कबो पुरा ना रही ,सचमुच हमनी के एह भाषा एह माटी के कर्जदार बानी सन, आ एकर बदला हमनी के कुछुओ क के ना चुका सकऽतानी सन।