तिबत के पुरान धर्मग्रंथन में सरजू के उदगम मोर के चोंच से बतावल बा । नदियन के उदगम अवसान के विंदु , ओर छोर के बारे में जानल आदमी के बहुते पुरान इच्छा ह । हिंदू धर्म ग्रंथन में सरजू के उदगम के बारे में का बतावल बा ?
हम अभी कुछ ना कह सकी । एह संबंध में हमार कवनो विशेष अध्ययन नइखे ।
गंगा के उदगम गाय के मुहँ से बा । ई बतावल बा । ओह विंदु गोमुख पर हम दू दू बेर गईल बानी ।
बाकिर मोर के चोंच वाला विंदु के बारे मे बहुत कम जानकारी आज ले गूगल बतावत बा । स्वामी प्रणवानंद के 1939 ले भईल तीन तीन यात्रा के संदर्भ एक जगह मिलत बा । ओह में ऊ ओह स्थान के बारे में बतावत बाड़े की कैलाश मानसरोवर वाला भाग में कवनो एगो धार चिन्हित ना कईल जा सके । वास्तव में हिमनद / ग्लेशियर के गलला से कई गो धार ओह विंदु के आगा पाछा मिलत बाड़ी आ धीरे धीरे बड़ पसरल धार भा नदी के रूप ले लेत बाड़ी सन । गोमुख में एगो साफ धार बा जवन बरफ के पहाड़ के नीचे से बहत लउकेला । उदगम विंदु से ही भागीरथी के ऊ धार में काफी शोर करत , दहाड़त नीचे बहत चल जाला । गर्मी में त कबो कबो जोर से धड़ाम धड़ाम करत बरफ के चेकाडो गिरेला ।
बाकिर तिबती मिथकन में कैलास मानसरोवर के परिक्रमा आ पूजा के चरचा , फेरु भारत देश के चार नदियन , सिंधु , ब्रम्हपुत्र , सतलज आ सरजू , के उदगम के उदाहरण प्राचीन काल से लिखित रूप में बा । ओहि के संबंध में एगो अंग्रेज पर्यटक लिखत बाड़े कि सरजू के एगो धार के आस पास हरियर काई देखे के मिलल । साइत एहि काई के तुलना मोर के गर्दन से कई के सरजू के उदगम मोर के चोंच से भईल तिबती लोग बतावल ।
भारत के जे भी तीर्थ यात्री कैलास मान सरोवर जतरा पर जाला ऊ चारो नदियन के स्रोत तक ना जाला । एकर कई कारण बा । एक त कैलास मानसरोवर दर्शन आ परिक्रमा के महत्व का आगा नदियन के स्रोत तक गइला के महातम धर्म ग्रंथन में कम बतावल बा । दूसरे ई पूरा जतरा अतना खर्चीला आ दुर्गम आ शारीरिक थकावट वाला बा कि नदियन के स्रोत तक जाए के हिमत जुटावल एगो बहुते कठीन प्रस्तावना कहाई । तीसरे चीनी सरकार के वीजा नीति ।
चीनी सरकार एक व्येक्ति के वीजा ना देले । ऊ समूह में तीरथ के धेयान राख के वीजा देले । एकर माने ई भईल पूरा समूह एक साथे प्रवेश लेबे , घूमे , आ चीन से बहरी आवे के बाध्य बा । वीजा खातिर चीनी अधिकारी टूरिस्ट एजेंसी के अधिका महत्व देले। एगो टूरिस्ट एजेंसी के वेबसाइट के अनुसार यात्रा पथ के नदियन के उदगम तक बढ़ावल जा सकेला बाकिर एकरा खातिर वीजा में ही विशेष अनुमति के अनुरोध करे के परी । सेन्जे खंबब ( सिंधु ) खातिर सात दिन के अतिरिक्त विशेष अनुमति चाहीं । आ माबचा खंबब खातिर दु से चार दिन के अधिका विशेष अनुमति चाहीं ।
एहि कुल कारनन से कैलास मानसरोवर यात्रा के वृत्तांत बहुते मिल जाइ बाकिर सरजू सहित अउर नदियन के उदगम के वर्णन मिलल बहुते दुर्लभ बा ।
एह से सरजू के उदगम के विंदु जेकरा के तिबती में माबचा खंबब ( मोर के चोंच से उदगम ) बतावल बा ओकर वर्णन प्राप्त करे खातिर कुछ अंग्रेज भा यूरोपी पर्यटक के जतरा संस्मरण काओरि रोख करे के परी ।
एगो अंग्रेज पर्यटक के अनुसार नेपाल के हिलसा से तिबत में प्रवेश लेला के बाद सबसे पहिला ठहराव जवन नगर में होला ओकर नाम ह तकलाकोट , चीनी नाम पुरांग । तकलाकोट से 27 की मी आगा मुख्य सड़क के बगल में स्थित गाँव कारदुंग ( Kardung ) से एक ओर से 21 कि मी अलगा सरजू के स्रोत बा । पैदल एक ओर से दु अढ़ाई दिन में ऊहां पहुँचल जा सकेला । बाकिर आजकाल घोड़ा खच्चर किफायती दर पर मिल जात बा । एह से कुछ लोग घोड़ा खच्चर से भी सरजू के उदगम स्रोत तक पहुँचे के कोशिश करत बा ।
बाकिर कैलास मानसरोवर के जतरा सस्ता में होखे वाला जतरा ना ह । समूह में कुल खर्चा आज के तारीख में 160000 रु पड़ी । ई खर्चा में नदी के स्रोत तक के खर्चा नइखे जोड़ल । शरीर आ मन से सबल भईल भी ओतने जरूरी बा ।
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