परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आई पढ़ल जाव निर्भय नीर जी के लिखल भोजपुरी रचना स्कंदमाता माई | नवरातन के पाँचवा दिन , रउवा सब से निहोरा बा कि पढ़ला के बाद आपन राय जरूर दीं, अगर रउवा निर्भय नीर जी के लिखल रचना अच्छा लागल त शेयर जरूर करी।
नवरात के पाँचवाँ दिन स्कंदमाता माई के पूजा अर्चना होला। इहाँ के स्नेह आ ममता के माईयो कहल जाला। शैलपुत्री देवी जब ब्रह्मचारिणी बन के शंकर भगवान से विआह कइली आ स्कंद कुमार (कार्तिकेय जी) के जन्म दिहली त इहाँ के स्कंदमाता नाम पड़ल। कार्तिकेय जी के कई गो ग्रंथन में सनत कुमार आ स्कंद कुमार के नाम से भी जानल गइल बा। स्कंदमाता के देह बहुते गोर भइला के कारण गौरी नाम पड़ल । महादेव के वामिनी (मेहरारू) बनला से इहाँ के माहेश्वरी भी कहल जाला।
स्कंदमाता माई के तीन गो आँख आ चारि गो हाथ बाटे। ऊपर के दूनूँ हाथन में कमल के फूल, तिसरका हाथ आशीष देत, आ चउथा हाथ कार्तिकेय भगवान के पकड़ले अपना शेर सवारी पर बइठल रहेली। कहीं कहीं कमल के फूल पर बइठल नजर आवेली जवना से इहाँ के एगो आउरि नाम पद्मासना माई भी पड़ल बा । स्कंदमाता जी के एह सृष्टि के पहिलका परसुता माई मानल गइल बा। माई के चम्पा के फूल बहुते नीमन लागेला आ केला के भोग लगवला से खूब खूश होली।
देवी भागवत पुराण के अनुसार, नवरातन के पाँचवाँ दिन माई स्कंदमाता के पूजा अराधना के विधान बा। जवना में ई बतावल बा कि इहाँ के भक्ति करे वाला संतानन पर कवनो कष्ट आवेला त ऊ खिसिया के ओह कष्ट रूपी दुष्टन के संहार क देवेली। आ खुश होली त सउंसी ज्ञान, विज्ञान, बुद्धि के भंडार भर देवेली। मानल जाला कि कालिदास जी के आपन कुल्ही रचनन के इहें के किरपा से लिखल संभव हो सकल।
देवराज इंद्र के द्वारा कुमार कार्तिकेय जी (स्कंद जी) के परेशान कइला पर अपना गोदी में स्कंद जी के बइठा लिहली आ अपना सवारी शेर पर सवार हो के इन्द्र के घमंड चूर कइली। इन्द्र डेरा के त्राहिमाम करत माई के स्तूति गान करे लगले। तब से ऊहे स्कंदमाता माई रूप के सभे उपासक पूजे लागल।
जब-जब एह धरती पर अत्याचारियन, दैत्यन के अनाचार, अत्याचार बढ़ेला तब-तब माई अपना संतानन के रक्षा करे खातिर शेर पर सवार हो के ओह दुष्टन आ पापियन के संहार करेली।
योग साधना में साधक के मन विशुद्धि-चक्र में रमल रहेला, जवना से माई किरपा से भक्त सभे में एगो अलौकिक तेज आ जाला, आउरि उनकर सउंसी देह कांतिमय बन जाला। इहाँ के उपासना, पूजा-पाठ आदमी के मोक्ष के राह आसान क देला।
एह से आईं सभे आजु के दिन भक्ति भाव से स्कंदमाता के उपासना कइल जाव आ बुद्धि-विवेक, ज्ञान, विज्ञान के सभ भंडार भरत, लमहर जीनगी जीयत अंत में मोक्ष के पावल जाव।
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