धनंजय तिवारी जी के लिखल प्रेम धोखो ह

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“महाराज प्रेम अउरी तपस्या में का अंतर बा?” हिमालय की चोटी पर कई बरिस तप कर के आईल महाराज कृपालु जी से उहाँ के प्रवचन के बीचे एक भगत मूडी निहुरा के पूछलस।
“वत्स!” कृपालु महाराज मुस्किया के कहनी “तपस्या एगो अईसन कामू ह जवना खातिर, शांतचित मन अउरी स्थिरा रही के उहे कामू के करे के पड़ेला अउरी इ काम करत वक्त खलिहा इहे काम कईल जाला। तपस्या खातिर ध्यान, लगन अउरी समर्पण के जरुरत होला जबकि प्रेम अईसन अनेक क्रिया के संगम ह। इ सगरी क्रिया एके साथे हो सकेला, आगे पीछे हो सकेला भा इहो हो सकेला कि खलिहा कुछ क्रिया ही होखे अउरी बाकी ना। प्रेम में लीन आदमी पूरा दुनिया के होके रही सकेला अउरी इहो संभव बा कि दुनिया जहाँ के भीड़ में रही के भी एकदमे अकेल रहो”

भगत के कुछ ज्यादा ना बुझाईल पर तबो उ आपन अईसे मूडी हिला देहले जईसे उनका पूरा बात बुझा गईल होखे। बात ना समझ में आईल अयिमे ना कृपालु जी के गलती रहे ना भगत के। उहाँ के बात उहे आदमी समझ सकेला जे कबो प्रेम कईले होखे या फेरु केहू के प्रेम में होखो। प्रेम के अनेक रूप बा अउरी एकरा के लेके सबके अलग अलग अनुभव बा। केहू खातिर प्रेम तपस्या ह, केहू खातिर पूजा ह, केहू खातिर अनुसन्धान ह, केहू खातिर खोज अउरी केहू खातिर त्याग। एकरा अलावा भी प्रेम बहुत कुछ ह अउरी प्रेम के बाकी क्रिया कुल लोग के समय अउरी परिस्थिति पर निर्भर रहेला।

खैर केहू खातिर प्रेम कुछु होखो पर मुरारी जी खातिर त प्रेम तपस्या ही बा अउरी तबे त उहाँ अपना प्रेमिका के दर्शन खातिर रोजे एक घंटा के यात्रा खड़ा होके पूरा करेनी। सहयात्री लोग के जीभ सीट देबे के निहोरा क क के दुखा जाला पर अपना प्रेम तपस्या में लीन मुरारी जी ठीक कवनो क्रूर शासक जईसन व्यय्हार करेनी अउरी केहू के निहोरा ना मानेनी। बदलापुर स्टेशन पर ट्रेन खाली ही आवेले पर खाली ऐ कारने कि मुरारी जी के नयी प्रेमिका स्वीटी जी अम्बरनाथ स्टेशन पर चढेली अउरी उनका के देखे में कवनो तरह के बाधा ना आवे मुरारी जी सीट पर ना बयिठेनी काहे कि बईठला पर लेडीज डिब्बा में ठीक से दिखाई ना देला।

अईसन निश्छल प्रेम अउरी त्याग शायदे देखे के मिलत होई। मुरारी जी अभी 35 साल के बानी अउरी कुआर बानी। गाँव देहात के भासा में शादी के मार्केट में पुरान माल बानी यानी कि जुआठ पर मुंबई जईसन महानगर खातिर बांका छोरा बानी। महानगरन में अधिकतर शादी कुल ३० के बादे होली सन काहे कि अयिजा के लोग के पहिला ध्यान ठीक से सेटल भईला पर रहेला अउरी ऐ उमिर में आवत आवत लोग नीमन से सेटल हो जाला। कुछ मैच्योरटी भी आ जाला। त महानगर के जीवन शैली के हिसाबे इहाँ के वेल सेटल्ड अउरी मैच्योर जवन बानी।

जिंदगी में इहाँ के उ सब कुछ नसीब भईल बा जवना के एगो आम आदमी उम्मेद रखेला, सपना देखेला जईसे – फ्लैट, गाड़ी, लाखन के बैंक बैलेंस अउरी घर में दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करने वाली माई। अगर कुछ नईखे इहाँ के पास त उ बाड़ी एगो जीवन संगिनी। अगर माँ खातिर बहु नईखी कहल जा त इहो गलत ना होई काहे कि माई अस्वस्थ रहेली अउरी अब एगो बहू के जरुरत बा जे घर, मुरारी जी अउरी माई के देखभाल क सके।

मुंबई जईसन महानगरी में बहुत लोग खातिर प्रेम टाइम पास बा अउरी अधिकतर प्रेम अपना आखरी मंजिल तक पहुचे से पहिले ही दम तोड़ देले। अईसन जायदातर मामला में बियाह ना होला। बहुत बियाहुत लोग भी अफेयर राखेला अउरी एकरा के मन बढुवी कहल जाला जवना के इलाज बैद्य लुकमान के पास भी ना रहेला। लेकिन मुरारी जी के मामला में अईसन नईखे। उहाँ के प्रेम अंजाम तक पहुचे भा ना पर उहाँ के मंजिल तय बा। स्वीटी से पहिले भी उहाँ के जहा भी हाथ पाँव मरनी, लक्ष्य इहे रहे कि अगर प्रेम होखो त मामला शादी तक पहुचो। हालांकि उहाँ के हाथे मायूसी ही आईल।

पिछला बार त उहाँ के एकदम गंभीर हो गईल रहनी शादी करे खातिर अउरी उहाँ के शादी कहवा होई एकरा खातिर लग्न मंडप भी देख लेले रहनी। पर एकरा पहिले कि उहाँ के अपना प्रेम के इजहार करी, बिंदु के ट्रान्सफर वाशी हो गईल अउरफेरु ऐ दूरी के वजह से दिलं में भी दूरी आ गईल। एकर नतीजा इ निकलल कि बिंदु के साथे प्रेम के असमय मौत हो गईल।

मुंबई में प्रेम अउरी दोस्ती में सबसे बड दिक दूरी के बा। रउवा तबे ले गहिराह मित्र बानी जबले साथे काम करतानी या साथे जात्रा करतानी। इहे बात प्रेम सम्बन्ध पर भी लागू बा। प्रेमी युगल में से केहू एक आदमी के दूसरा जगह ट्रान्सफर होते ही प्रेम खत्म। बिंदु वाला मामला में भी इहे भईल रहे। बिंदु वापस गईली त मुरारी जी के दिल त लौटा गईली पर बदला में कुछ महंगा कपडा अउरी 35 हज़ार के सैमसंग गैलेक्सी ले गईली। मुरारी जी के ऐ बात के अचिको दुःख या अफ़सोस नईखे। अगर केहू से कवनो शिकायत भी बा त खुद के लज्कोकरयी से जवना के वजह से उ अपना प्रेम के इजहार ना क पवले।

आदरणीय ‘हरिवंश राय बच्चन जी के कविता ह – जो बीत गयी वो बात गयी।” मुरारी जी भी एही पर अमल क के पुरान बात भुला चुकल बाड़े। अब इहाँ के सगरी धियान स्वीटी पर बा अउरी ऐ बेरी इहाँ के ठान लेले बानी कि स्वीटी के आपन दुल्हिन बना के मानेब।

ऐ फ्राइडे के इहाँ के स्वीटी के साथे तीसरा डेट बा।

शाम के समय बा, मौसम खुशनुमा बा। हम खाली एतने लिखेब काहे कि हम कवनो साहित्यिक लेखक ना हई जे मौसम के हाल चाल बतावे में दू चार पन्ना जियान क दी। वईसे एकरा से ढेर हमरा लिखहु ना आवेला। हां त बात होत रहल ह डेट के। मुरारी जी अउरी स्वीटी जी ठाणे के तालाब पानी में नौका बिहार कर रहल बा लोग। पहिले के दुगो डेट जान पहचान से शुरू होक डिनर पर ख़त्म हो गईल रहे। आजू जियादा खुल के बात होई एहू बात के काफी सम्भावना बा कि आजू मुरारी जी प्रणय निवेदन करी। शुरूआती हाय हेल्लो के बाद स्वीटी जी कहतारी – हमरा सहेली उर्मी के ओकर बॉयफ्रेंड आई फ़ोन देले रहे। मुरारी जी मुस्किया के रही जातारे। प्रेम में मांग भी होला। हालाँकि स्वीटी सीधे नईखी मांगत पर इहो मांगे के एगो तरीका ह।

“हमरा से पहिले तू कबो कवनो लईकी के डेट कईले बाड़?” मुरारी जी के चुप देख के स्वीटी जी पूछ्तारी अउरी मुरारी जी आई फ़ोन के दाम जोड़े में भीडल बाड़े। अभी अकाउंट में पईसा नईखे पर क्रेडिट कार्ड त बा। निमन वाला आई फ़ोन 60 हज़ार से कम में ना आई। पर 60 हज़ार कवन चीज बा, जब उ स्वीटी जी पर आपन पूरा जिनगी के कमाई लुटावे के तईयार बाड़े। उ मन ही मन तय क लेतारे कि आज स्वीटी जी के आई फ़ोन के साथे ही भेजेब अउरी होत भी उहे बा काहे कि मुरारी जी एक बार कवनो बात तय क लेले त फेरु अपना आप के भी ना सुनेले। रात में डिनर के बाद मुरारी जी स्वीटी के आई फ़ोन सरप्राइज गिफ्ट करतारे।

अगिला दिने मुरारी जी टेंशन में बाड़े। रात से काई बार स्वीटी जी के नंबर लगा चुकल बाड़े पर स्वीटी जी के फ़ोन से जबाब नईखे मिलल।

अब उहाँ के मन में हज़ार तरह के शंका जनम लेता। कही कुछ बाउर त ना हो गईल इ सोच सोच के उ सौकड़ो बार भगवान् के याद क लेले बाड़े। इहे त सच्चा प्रेम ह, जब आदमी अपना प्रिय के बाउर सोच के काप जा, ओकरा नीनं ना आऊ, चैन ना आऊ। ओकरा एगो झलक खातिर आंखी आकुल होखे अउरी ऐ प्रेम में कही हवस ना होखो। इहे सच्चा प्रेम ह। ट्रेन अम्बरनाथ पहुच्तिया अउरफेरु खुल जा तिया लेकिन आज स्वीटी जी नईखी चढत। मुरारी जी के ह्रदय सेंसेक्स से भी ज्यादा वोलेटाइल बा अउरी खूब ऊपर निचे होता। अईसे लागता जईसे स्वीटी जी के साथे जरूर कुछ बाउर भईल बा। बिना कुछ सोचे समझे हाथ जेब में चल जाता अउरफेरु उंगली मोबाइल पर। उ फेरु स्वीटी जी के नंबर लगाव्तारे।

नंबर नॉट रीचेबल बा। भारी मन अउरी बेचेनी से उ कल्याण तक के जात्रा पूरा करतारे। अब दर्द बर्दाश्त नईखे होत। अतना दर्द उनका पूरा जीवन में आज ले नईखे भईल। दुःख से धियान हटावे ला उ अखबार पढ़े लाग तारे।
” अम्बरनाथ में सेक्स रैकेट का पर्दाफाश ” आज के हैडलाइन बा।

अनमने नाम पढ़तारे अउरी पहिलका नाम पढ़ते उनका गोड के निचे से जमीं सरक जाता -स्वीटी। चश्मा ठीक क के दू तीन बार पढतारे। नाम इहे बा। अब उहाँ के शरीर के सारा शक्ति गायब हो जाता अउरी उहाँ के हाल जिन्दा लाश जईसन हो जाता। काफी देर तक मन में उधेड़बुन चलता। अंत में थक हार के उ डोम्बिवली पर स्टेशन जातारे अउरी बदलापुर वापसी खातिर ट्रेन पकड़ लेतारे। ऐ स्थिति में घर गईल जरूरी बा। माई से बढ़ी के केहू अउरी सहारा नईखे हो सकत।

ऐ घटना के कई महीना बीत गईल बा अउरी अब मुरारी जी ओ लोकल ट्रेन से जात्रा ना करेले काहेकी सह्यात्रियाँ के उपहास सहे के साहस उनमे नईखे। अपना जिनगी में उ प्रेम के कईगो रूप देख लेले बाड़े। प्रेम धोखो ह, इ बात उ निमन से जान लेले बाड़े।

लेखक: धनंजय तिवारी जी

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