
धर्म और भगवान जैसे संवेदनशील मुद्दों को लेकर ‘पीके’ एक नया नजरिया पेश करती है. ‘पीके’ के रूप में आमिर खान फब रहे हैं और इस रूप को और अधिक निखारता है उनका भोजपुरी अवतार. जी हाँ पूरे फिल्म में ‘पीके’ यानि आमिर भोजपुरी बोलकर भोजपुरी भाषा का प्रचार-प्रसार करते दिखाई देते हैं.
पीके की भोजपुरी बोलने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है. दरअसल ‘पीके’ दूसरे गोले (ग्रह) का प्राणी का है जहाँ लोग कपड़े नहीं पहनते और मानसिक तरंगों से एक-दूसरे से संवाद करते हैं. लेकिन धरती पर आने के बाद उसे दिक्कत होती है और भाषा जानने की जरूरत महसूस होती है. सो वह एक महिला का हाथ पकड़कर उसकी पूरी भाषा कॉपी कर लेता है. संयोग से महिला भोजपुरी भाषी निकलती है और यूँ ‘पीके’ बन जाते हैं भोजपुरी बबुआ. पान चबाते हुए उनका भोजपुरी बोलना खासा दिलचस्प है और फिल्म की जान भी. तब अब भोजपुरी भाषी कह सकते हैं कि एलियन भी बोलने लगे हैं भोजपुरी. ठीक कहे न पीके. हो गयी न भोजपुरी पूरे ब्रहमांड में लोकप्रिय.