80 के दशक में भोजपुरी लोकगायन का वो सितारा जो रामायण और बैठकी गीत गाता था तो इसके साथ ही उसके रचे धुन से बॉलीवुड भी अछूता नहीं रहा, उसकी सुरीली आवाज ने नथुनिया पे ऐसी गोली मारी कि गोविंदा और रवीना टंडन उसी धुन पर अँखियों से गोली मारने लगे।
एक ऐसा सितारा जिसकी उपलब्धता को देख कर लोग अपनी शादी या आयोजन का दिन रखते थे ताकि उनके आयोजन में उस गायक की स्वर लहरी गूंजे, उस गायक की ब्यस्तता की वजह से गानों की रिकॉर्डिंग दिल्ली की जगह बनारस में होने लगी, बीरेंद्र सिंह धुरान, नथुनी सिंह, बचन मिसिर, राम इकबाल और रामजी सिंह की संगत और शोहबत में गाने वाला वो गायक ही मुन्ना सिंह ब्यास कहलाया।
मुन्ना सिंह ब्यास पहले लोकगायक थे जिन्हे स्टार का दर्जा मिला, वो आधुनिक ड्रेस और कारों के शौकीन थे, वो लोकगायकी में नये प्रयोग करते रहते थे, नये वाद्ययंत्र का प्रयोग हो या किसी नयी विधा में गायकी करनी हो हमेशा तैयार रहते थे।
मुन्ना सिंह भोजपूरी में सोहर गाने वाले पहले पुरुष गायक थे जो बहुत सफल रहा, आगे चलके उन्होंने देवी गीत, बोल बम के गीत और होली गीतों के कैसेट का चलन शुरू किया जो आजतक जारी है मुन्ना सिंह ब्यास।
मुन्ना सिंह ब्यास का जन्म बिहार प्रान्त के भोजपुर जिले के कुणैसर गाँव में हुआ, मुन्ना सिंह का परिवार एक साधन संपन्न परिवार था। पिताजी रेलवे में बड़े पदाधिकारी थे।
देवेंद्र सिंह के साथ मुन्ना सिंह ब्यास जी के बातचीत का कुछ अंश
सन 1973 में मुन्ना सिंह ब्यास अपने गांव के हीं देवल धारी सिंह उर्फ़ मास्टर जी की देखरेख में गाना शुरू किया, शुरुआती दिनों में उन्हें परिवार के विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन मुन्ना सिंह ब्यास की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा। साल 1976 आते आते मुन्ना सिंह को प्रसिद्धि मिलने लगी। अब उन्हें स्टेज शो के ऑफर आने लगे। मुन्ना सिंह ब्यास अब बयस्त रहने लगे, 1980 आते आते उनके पास स्टेज शो इतने ऑफर आने लगे जितने महीने के दिन नहीं होते, फिर आता है साल 1984 जब मुन्ना सिंह ब्यास के स्टेज शो के दौरान रिकॉर्ड किये हुए गीतों का कैसेट बाजार में आता है और धमाका हो जाता है। ये किसी भोजपूरी पुरुष गायक का पहला कैसेट होता है इसका एक गाना पानी भरे सांवर गोरिया सुपरहिट होता है।
अब मुन्ना सिंह गायक से एक सितारा बन जाते हैं, ये दौर अविरल जारी रहता है इस दौर में मुन्ना सिंह ब्यास के गाये धुनों और गाने को उनके समकालीन और कनिष्ठ गायक भी गाते हैं।
इन प्रसिद्ध गानों में खउलत खून बहल नस नस में (कुंवर सिंह गीत ) , ई जवनिया हमार जिनिगिया के भार हो गईल , रोआं टुटिहें गरीब के त पड़बे करी और नथुनिये प गोली मारे होता है।
नथुनिये प गोली मारे ऐसा गाना साबित होता है जो पिछली सारे सफलता के रिकॉर्ड को तोड़ता है, इस गाने के धुन को बॉलीवुड के दूल्हे राजा फिल्म के अँखियों से गोली मारे गाने में सुना जा सकता है।
मुन्ना सिंह ब्यास का गाया सुपरहिट भोजपुरी गाना नथुनिये प गोली मारे
तब आता है साल 1994 जब मुन्ना सिंह ब्यास सड़क दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं, अपनी जीवटता और जिद से कुछ महीने बाद वो सफल वापसी करते हैं,उनके एल्बम और स्टेज शो जारी रहते हैं। अगले 7 साल अच्छे जाते हैं फिर मुन्ना सिंह को सन 2001 में स्टेज शो के दौरान गोली लग जाती है। वो महीनो हॉस्पिटल में भर्ती रहते हैं घर वापसी होती है लेकिन उन्हें विरक्ति सी होने लगती है और मुन्ना सिंह ब्यास अब गाने गाना कम कर देते हैं, बहुत कम स्टेज शो करने लगते हैं फिर भोजपूरी में अश्लीलता का दौर आता है मुन्ना सिंह ब्यास अपने को उसमे फिट नहीं पाते और वो कैसेट गायन की दुनिया से दूर हो जाते हैं उनका आखिरी एल्बम 2007 में लाल चुनरिया माई के आया था।
मुन्ना सिंह ब्यास का गाया सुपरहिट भोजपुरी गाना गवनवा तू ले जा
बकौल मुन्ना सिंह ब्यास उन्होंने अभी तक 7 हजार से ज्यादा गाने गाये हैं जो उनकी डायरी में लिखा है वो 100 से ज्यादा एल्बम और एक हजार से ज्यादा रिकार्डेड गाने गाये। मुन्ना सिंह ब्यास अब अपने पैतृक गांव में खुशहाली से रह रहे हैं, चुनिंदा स्टेज शो करते हैं, उम्मीद है कि हमें फिर से मुन्ना सिंह ब्यास की आवाज में नया गाना सुनने को मिले।
(यह लेख जोगीरा डॉट कॉम के लिए देवेंद्र सिंह ने लिखा है। )
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