अवुसे त बचपने से हम सरजू के आपन गाँव से 7 की मी दूर सिसवन में , रिविलगंज / गोदना सेमरिया में , छपरा में , सिताबदियारा में देखत बानी जहाँ मकर संक्रांति से ले के अउर कई अवसरन पर नहान लागेला , जेकरा तट पर मृत शरीर के आहुति दीहल जाला बाकिर हाल फिलहाल में गंगा सरजू के संगम पर भइल आखर के सदस्य आ कलाकारन के जुटान मन में एगो बड़ इच्छा के जन्म देहलख कि सरजू के सम्पूर्ण जीवन रेखा के कुछ अउर नजदीकी आ बारीकी से देखल जाव , कुछ अध्ययन कईल जाव ।
सरजू नदी के जीवन , बहाव , तटीय जीवन के संस्कृति , आर्थिक सामाजिक भौगोलिक पक्ष के जाने के इच्छा स्वाभाविक रूप से एह तरह के खोज के नेपाल काओरि ले जाला ।
तिबत में सरजू के कुल बहाव पथ 72 कि मी बा । सरजू हुमला जिला के हिलसा में नेपाल में प्रवेश करेली । हिलसा आजकाल नेपाल से कैलाश मान सरोवर जाये के अच्छा विंदु बा । इहाँ से उत्तर प्रदेश के बहराइच जिला के कतर्निया घाट ले सरजू 507 की मी के पहाड़ी आ समतल के मार्ग मिला के दूरी तय करेली । पूरे नेपाल में सरजू के नाम एक ही बा ऊ ह कर्णाली । साधारण नेपाली में कर्णाली के माने होला स्वर्ग से आईल पवित्र जल । कुछ लोग साफ स्वच्छ आ पारदर्शी जल के तुलना फिरोजी रंग आ पत्थर से करेला । अब फिरोजी रत्न के महत्व त रत्न पारखी आ ज्योतिषिये लोग बढ़िया से बता सकेला ।
कर्णाली नेपाल के सबसे बड़ नदी ह। एहि नदी के नाम पर नेपाल में पांच जिला के मिला के एगो अंचल बा कर्णाली अंचल ।
नेपाल के प्रशासनिक ढांचा में 14 गो अंचल बाड़ी सन । नदी प्रेमी आ पर्यावरण में रुचि राखे वाला लोग खातिर एगो खुशी के बात ई भी हो सकेला कि एह में दस अंचलन के नाम नदियन के नाम पर बा ।
दू गो अंचलन सागरमाथा आ धौलागिरी के नाम पहाड़ पर बा आ दू गो अंचलन के नाम लुम्बिनी आ जनकपुर शहरन के नाम पर बा । उदाहरणस्वरूप नदी के नाम वाला अंचलन के नाम बा नारायणी अंचल , बागमती अंचल , कर्णाली अंचल आदि ।
कर्णाली अंचल के जनसंख्या घनत्व सबसे कम बा । एह नदी के किनारे कवनो आवासीय नगर ना रहला के कारण प्रदूषण के संभावना भी कम हो जात बा । कर्णाली नदी पार करे खातिर एकमात्र पुल बा चिसापानी में । कर्णाली नदी पांच जिलन में बहत 507 की मी के दूरी तय कईला के बाद यू पी के बहराइच के कतर्निया घाट में भारत में प्रवेश करेली । कर्णाली अंचल एगो नेपाल के सबसे दुर्गम आ आर्थिक रूप से पिछड़ल भागन में गिनाला । सड़क मार्ग विकसित नइखे । जिला मुख्यालय तक जाए खातिर पारंपरिक साधनन के उपयोग कईल जाला । पैदल ना त घोड़ा , याक , खच्चर । पर्यटक आ अधिकारी लोग हवाई जहाज भा हेलीकॉप्टर के प्रयोग करेला । संक्षेप में , कर्णाली तिबत से निकल के नेपाल के सबसे , दुर्गम , अविकसित भागन से बहत भारत में प्रवेश करेली । साइत इहे कुल्हि कारणन से सरजू के बारे मे अपना देश भारत में आम आदमी के बहुत कम जानकारी बा ।
चिसापानी – सरजू के ओर छोर आ तटीय संस्कार , जीवन आदि जाने के क्रम में हमार पहिलका जतरा ( जून 11 -15 , 2017 ) बनल नेपालगंज आ चिसापानी के । यू पी के बहराइच जिला के रूपेडीही से नेपाल के नेपालगंज जाईल जाला । नेपाल के पहाड़ी भाग जहां खतम होला आ तराई शुरू होला ओहि भागन के जोरे खातिर पुरुब से पच्छिम ले लगभग 1000 की मी से बेसी लाम भारत सरकार के सहजोग से बनल महेंद्र राजमार्ग बा । नेपालगंज से 120 की मी दूर महेंद्र राजमार्ग पर बा एगो छोट कस्बा चिसापानी । नेपाली में चिसा के माने होला ठंडा । पहाड़ पर के बरफ के ठंडा पानी ।
चिसापानी हमार एह जतरा खातिर महत्वपूर्ण एह कारण से हो गईल कि एहि स्थान से कर्णाली / सरजू आपन दुर्गम पहाड़ी मार्ग से निकल के तराई आ समतल के राह ध लेली । ई कुछ अइसने भईल जइसे की गंगा हरिद्वार में , यमुना आसन ( देहरादून 22 कि मी ) में , गंडक बाल्मीकिनगर में समतल के राह पकड़ेली । आ सब जगह नदी पर बान्ह आ बराज बा , कहीं दिल्ली के पानी खातिर त कहीं खेतन में पानी खातिर । नदी के अविरल धार के बान्हे के कोशिश हर जगह । पानी के धार के मोड़ के छोट पैमाना पर बिजली पैदा करे के संयत्र बा । कर्णाली पर एकमात्र पुल एहिजे बा । छोट मोट दोकानन पर देशी विदेशी पर्यटक रुक के नदी के मछली के स्वाद लेबे खातिर भी रुकेले । पहाड़ पर खेती अच्छा ना होला बाकिर तनी नीचे तराई वाला भाग बहुते उपजाऊ बा ।
नदी के कहो छोट छोट दर्जनों झरना रास्ता में लउकल जेकर पानी खेतन के मिलत होइ । एह भाग के आबादी में कई जाति के लोग बा , ठकुरी , मग्गर , नेवार , गुरुंग आदि। बाकिर तराई में थारू लोग के आबादी अधिका बा । थारू जाती के लोग पहाड़ पर ना बसे , ऊ लोग के बसावट समतल पर भी नईखे । पहाड़ जंगल से सटल तराई के भाग में नेपाल के पुरुब से पच्छिम तक एह जाती के लोग पावल जाले ।
बर्दिया संरक्षित वन क्षेत्र – नेपालगंज से चिसापानी जाये के मार्ग में 22 कि मी के भाग बर्दिया संरक्षित वन क्षेत्र से गुजरेला । नेपाल सरकार द्वारा गाड़ी सब के गति पर रोक लगावे खातिर चेक पोस्ट पर समय कार्ड जारी कईल जाला । ओह पर प्रवेश के समय दर्ज होला । बीच में अउर चार गो चेक पोस्ट पर ओह कार्ड के चेक कईल जाला आ ओपर समय दर्ज कईल जाला । तेज गति से वाहन चलावल आ प्रेसर हॉर्न बजावल एह क्षेत्र में मना बा । एह तरे वन्य जीव के सुरक्षा आ शांति के खेयाल कइल जाला । ई व्यवस्था आ एकर कड़ाई से पालन आपन देश के कई संरक्षित वन क्षेत्रन में शायद नइखे ।
चिसापानी में जापानी कंपनी कावासाकी के कर्णाली पर बनावल पुल एगो अच्छा आकर्षण के केंद्र बा । एकही गगनचुम्बी खम्बा पर स्टील के तार से दुनो तरफ समन्वय बनावत ई 500 मी लाम पुल इंजीनियरिंग कौशल के बढ़िया उदाहरण बा । पुल देखे खातिर आ मछरी खाये खातिर देशी विदेशी पर्यटक इहाँ आवत रहेले ।
पुल के बाद थोड़े दूर तराई में बहला के बाद कर्णाली कई धारावन मे बँट जाले । बाद में सब धारा मिल के दू गो धारा रह जाला । तराई में कर्णाली के ई दूनो धारा दू गो नदी के नाम से जानल जाली सन , कौरियाला आ गिरवा । कौरियाला में गांगेय सोंस ( डॉलफिन ) पावल जाला । लेकिन थोड़े ऊपर पनबिजली खातिर डैम/ बांध बन गईला के कारण जल स्तर 1.5 मीटर से कम हो गइल बा । अब सोंस गिरवा नदी में वास करत बाड़ी सन । गिरवा के भारतीय क्षेत्र में एगो बढ़िया संरक्षित वन्य जीव अभयारण्य बा । गिरवा के तट पर मग्गर , घड़ियाल , कछुआ के दृश्य आसानी से लउकेला । कई प्रकार के पक्षियन के भी इहाँ वास बा ।
फेरु ई दूनो नदी बहराइच जिला के भरतपुर में मिल जाली सन । एकरा बाद ई नदी के भारतीय नाम घाघरा / सरजू हो जाला ।
गिरवा नदी के जहाँ अंत होला ऊ उत्तरप्रदेश के बहराइच जिला के गिरिजापुर में एगो बाँध बा । बाँध के बाद नदी के नाम घाघरा हो जाला ।
कौरियाला के फेरु गिरवा से मिले के पहिले ऊपर रामपुर नामक स्थान पर शारदा से संगम बा । शारदा नदी घाघरा के एगो महत्वपूर्ण सहयोगी नदी हई । रामपुर में शारदा से संगम के बाद नदी के नाम घाघरा हो जाला ।
भारत में घाघरा के नामकरण पर तीन स्थानन पर तीन मत हमरा देखे के मिलल ।
शेष अगिला कड़ी में
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