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नथुनियाँ पर गोली मारे…

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डॉ गोरख प्रसाद मस्ताना जी
डॉ गोरख प्रसाद मस्ताना जी

गोली मारल एगो अइसन शब्द बा जवना के अर्थ हरमेसे उल्टा लिहल जाला – नाम सुनते रोआँ खड़ा हो जाला आ करेजा काँप जाला बाकिर इहे गोली जब नथुनियाँ पर मारल जाला तऽ पूछीं मत एह में जवन परेम झलकेला भा जवन परेम झरेला ओकर बखान त कइल बड़ा पहाड़ बा।

पहाड़ एह माने में कि अर्जुने एगो भइलन जे नाचत मछरी के आँख में तीर मरलें। बाकिर साँच बा कि अगर उ आजू रहते आ झूलत झूलनी पर गोली मारे के होइत त जरूर फेलिया जइते काहें कि झूलनी के संगे जवन भाव आ भंगिमा होला ओकरा समझल कठिने ना महा कठिन होला। जब काली दास पाई पेर दिहले त केसरिया दास लोगन के, के पूछत बा? आजू काल्ह देखीं त पत्र पत्रिकन में झुलनिया वाली लोग के राज लउकी। ओह में सरस्वती त कमे बाकिर लक्ष्मी जी लोग जादे बा। ओह में सरस्वती त कमे बाकिर लक्ष्मी जी लोग जादे बा। जेकर सवारीए उल्लू हऽ। जेकरा जेकराा पर एह लोगन के किरपा होला ओकरा उल्लू बन हीं के बा। झुलनियाँ वाली, के राज कहाँ नइखे। राजनीति से लिहले साहित्य तक, फिलिम से लिहले टी. वी. तक।

पहिले क्रिकेट के कमन्टेटर मरदने लोग होत रहे अब तऽ उहवों झुलनियाँ वाली के राज भइल जाता। साबुन से लिहके सरफ तक त खेपात रहें, जबसे स्कूटर से कार तक इ लोग छाप लिहल, जवन नाहिंयों बिकात रहे उ ब्लैको में नइखे मिलत। अब एह भैलु पर केहू नथुनियाँ पर गोली मारे जाई त कइसे जे ओकर फिकिर कईल जाय। जब से सीमा पर गोली चलावे ला एह लोगिन के बहाली के चर्चा भईल आ सेना में बहाली शुरू भईल। झुलती सुरक्षित हो गईल केकर मजाल बा जे झुलनी पर गोली चला देवे। हँ एह सब चरचा में ऐगो साँच जरूर बा कि अउरी केहू झुलनी पर गोली चला पावे भा ना सईया जी के गोली त चलिए जाला। आ झुलनियाँ वाली हँसी हँसी के झेल जाली। एकरे नाम प्रेम हऽ। जवन ढाई आॅखर के होके भी अढ़ाई लाख के काम करेला। जे हमरा बात से सहमत होई उहे झलुनी आ प्रेम के संबंध बुझी त रउओ बुझीं आ बुझके झुलनी पर कुर्बान होई भले केहू देश पर कुर्बान होखता, होखे दीं। रउआ झुलनी प शहीद हो जाई। बुझनी नूँ।

– डाॅ॰ गोरख प्रसाद “मस्ताना”

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