भोजपुरी के बढ़िया वीडियो देखे खातिर आ हमनी के चैनल सब्सक्राइब करे खातिर क्लिक करीं।
Home भोजपुरी साहित्य हास्य व्यंग्य हऽ हम हई पार्ट-टाइम भोजपुरिया

हऽ हम हई पार्ट-टाइम भोजपुरिया

0
बब्लु सिंह जी

परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प , रउवा सब के सोझा बा बब्लु सिंह जी के लिखल भोजपुरी व्यंग ह हम हई पार्ट – टाइम भोजपुरिया , एह व्यंग के मारफत बब्लु सिंह जी पार्ट – टाइम भोजपुरिया लोग प कटाक्ष कइले बानी जे खाली फेसबुक प भोजपुरी के लेके जय हो – जय हो करता।

त आयी पढ़ल जाव की केंगा भोजपुरी के उद्धार फेसबुक से होइ ? का अगर फेसबुक बंद हो जाइ त भोजपुरी के नामो निसान मिट जाइ ?

घारावा से निकलते कहीं की , सन्न दे जब ठंढा हावा लागल नु, त माहराज दुई गो सीउटर पहिनले के बादो हाड काँप गईल ।
हामारा अईसन बुझाईल की बासे , साँझी के समईया आ ठंढी के बेयार , दुनो आपुसे मे मिल के कहे के चाहत बाड़े की चाय के चुस्की लिआईऐ जाव ।

बिना कहले हामार गोड ,चाय के गुमटी के ओर चल देहलस । जवन गुमटी मोहल्ला के तीन मोहानी पर हामारा जनम के पहिलही से रहे ।

इ अलग बात बा कि अब हर रोज चाय पर चर्चा होखे उंहा त , जवना में हामार मौजूदगी चाय से अधिका माहौल गरम कर देव, काहे से की आदत ह, ठायँ दे मुँहवे पर बोल देवे के।

भोजपुरी किताब पढ़ें खातिर क्लिक करि

चलत जात दिमाग में तरह तरह के बात आवत रहे! दिमागवा दिल से कहत रहे – बबुआ जहिया फेसबुकवा बंद भइल , तहिया तोहार का होई, आ तहरे ना ओह सभ लो के का होई, जे सेलिब्रेटी आ मठाधीस भा जोड़ गाँठ के रचनाकार बन बइठल बा, दोकान त बन्द हो जाई भाई !

ठंढी लागल त चादर सरिहार के पीठ पर फेंकनी त अइसन लागल की आई हो दादा , भोजपुरी के श्लील मनोरंजन देवे आला टावर के चादर भी त समेटा जाई ।
{ अब एह टावर के मतलब कवनो संस्था से मत जोड़ब लो }

बवाली के कहलानुसार – भोजपुरी गंदा नइखे , भोजपुरिया गीत-फिलिम गंदा बा, आ खाली फेसबुक पर हो हल्ला कईला से भोजपुरी के वर्तमान हालत में सुधार नइखे कईल जा सकत ।

बब्लु सिंह जी
बब्लु सिंह जी

सभे इंहा टाइम पास करत बा , हम भा केहु होखे , सभकर पेशा अलग बा , फुरसत मिलला पर टाइम पास होखे के जरिया बन गईल बा भोजपुरी फेसबुक पर ।

साल में एगो दुगो सांस्कृतिक कार्यक्रम कर के रउवा सोंचत बानी की तीर मार लेब त , लिख के रख ली सभे कुछ उखड़े आला नईखे ।

काहे के गुमान बा ? आ कईसन गुमान बा ? का रउवा पूर्ण रूप से भोजपुरी खातिर समर्पित बानी ? केतना गांव में आ केतना घरे घरे घूम के लोग से कहले बानी की बिआह में आर्केस्टा मत करब सभे , कबो केहू से निहोरा कइले बानी ?

त इ मानी सभे की टाइम पास के झमेला बा खाली आ एही बहाने आपन पहचान बनावे के जरिया ।

हामार बात लिख ली, पढ़ ली , याद कर ली सभे की भले रउवा आकाश में उड़ब की हम श्लील के बढ़ावा दिले लेकिन दस साल बादो, इहे हाल रहल त लइकन के जुबान से – लूलिया का माँगेले ही सुनब सभे ।

खैर गुमटी पर यानी चर्चा पर चाय पहुँचनी हम । रोज के जस बहस चलत रहुवे, केहु के चाय अधिया गईल रहुवे त केहु के खतम हो गईल रहुवे , ओह लो के बात के साथे ।

नवही से ले के पुरनिया लो सभके जुटान भईल रहे । इ कुल्ह त आम बात ह हमनी के टोला मोहल्ला के, बासे जहाँ तीन चार आमदी बतिआवे आला रहीहे ,उंहा तीन चार जाना बतकही सुने खातिर खाड हो जाले ।

काका तनी मसाला मार के चाय बने के चाही हामार । एतना कह के बेंच रहे ओहपर बईठ गईनी । भोर के आईल दैनिक जागरण अखबार ,साँझ हो गईल रहे लेकिन अभी तक पढात रहे, केहु के हाथ में कवनो पेज त केहु के हाथ में कवनो ।

हमरो हाथ में एगो पेज भेंटाइल , जवन खेल आ मनोरंजन जगत आला रहे । पढ़ल शुरू कईनी आ अईसन खबर रहे की जोर से पढ़नी — फलनवाँ के कार्यक्रम में चला पत्थर , कुर्सियाँ टूटी ।

अब सभकर धेयान हमरा तरफ हो गईल रहे , हमहुँ पूरा खबर एक साँसिये पढ़ के सुना देहनी । एगो नामी तथाकथित सितारा के ऊपर पथराव भईल रहे ।

का कहल जाव भोजपुरी के त डूबा देहले सन, एतना गन्दगी फईल गईल बा की भोजपुरी से नेह खतम भईल जाता – चन्द्रिका चाचा कहले ।

ना हो चाचा , आपन भाखा – आपन माटी से भला नेह कईसे टूटी , अब त कव गो संस्था एह गन्दगी के साफ़ करे खातिर जमीनी रुप से काम कर रहल बा – संतोष कहलें ।

हमहूँ चाय के चुस्की के साथे बतकही पर अब कान देले रहनी ।

ह चाचा फेरू अब निर्गुण , सोहर इ सभ पर धेयान दिआता श्लील मुक्त मनोरंजन खातिर – मनोज आपन बात कहले ।

अब हामारा से रहल ना गईल , लेकिन बोलतीं त बाऊर बा । लगही एगो लईका खेलत रहे, ओकरा के बोलवनी आ पार्ले जी बिस्कुट दे के कहनी कि – बाबू एगो गाना सुनावअ निमन ।

जब लगावेलु तु लीबीस्टिक ………..! ओह लईका के फाटल आवाज ही बहुत कुछ कह गईल । सभे गुर्ना के देखे लागल हमके । माहौल ठंढा गईल ।

ह इहे त हाल बा नवका पीढ़ी के – चंद्रिका चाचा चुप्पी तुड़ले ।

आरे ना चाचा , रउवा देखब आवे वाला कुछ दिन में हालत सुधर जाई , गीत संगीत , साफ़ सुथरा फिलिम आ साहित्य के क्षेत्र में बढ़िया बढ़िया काम हो रहल बा , ढेरे संगठन से – मनोज रीसिया के कहले ।

“डीजे वाले बाबु मेरा गाना बजा दे” पर रात भर झूमते रहे दर्शक :- अगिला खबर हम पढ़नी ।

ह इ त सहिये बात बा , तड़क भड़क के आगे लता के तान बिसर गईल बा , भले उ सदाबहार नग्मे बा लेकिन आज काल्ह लोग धुम धड़ाका खोजत बा । भोजपुरी में भी कुछ अलग होखे के चाही , कब ले निर्गुण सोहर में लोग अझुराईल रही- संतोष कहले ।

ह बबुआ पुरनका के संजोवला के साथे साथे, समय के संघे चले के पड़ेला- चन्द्रिका चाचा संतोष के बात के समर्थन कईनी ।

तलही मनोज के मोबाइल पर ,केहु के फोन आईल आ उ हडबड़ा के फोन काट देहलन । काहे की रिंग टोन में – ठीक है ? आला कालजयी रचना बाजल रहे ।

चाय दुकान आला काका मनोज के घुरत कहले की – आ का संगठन के बारे में बतावत रहले ह , इनके जस आमदी त ना एने के होता ना ओने के ।

अब इ सभ सुनत सुनत हमरा से बरदास ना भईल – आ कहुँवी की देखी सभे , का बदलाव होई , कईसे बदलाव होई , जब हमही रऊवा अच्छाई से जलत बानी त ।

इंहा त सभे मठाधीष बनल बइठल बा , ओकरा ई मतलब नईखे की भोजपुरी खातिर , आपन माई- भाखा खातिर , कुछ अच्छा काम हो रहल बा ,त निमन बात बा, चाहे उ केहु भी करो , कवनो संगठन करो ।

सभे जलन आ द्वेष के वजह से उँगली कईल जानत बा खाली , हुनकर साइट के रिपोर्ट कर दीं त हिनकरा बारे में बुराई कर दी ! मने हम जवन करी तवन निमन , दोसर केहु नीमनो करो त उ बाउर ।

आरे वाह इ कवन नेह ह आपन माटी ,आपन भाखा से जवना में व्यक्तिगत ईर्ष्या घुस के डेरा जमा लेहलस ।
खुश होखला के बजाय , जलन होखत बा त समझ जाई की हम भोजपुरी खातिर ना आपन उल्लु सीधा करे ख़ातिर ,श्लीलता के मुखौटा ओढ़ घूम रहल बानी ।

अभी बात पुरा भी ना भईल हामार तबतक धीरे धीरे सभे घसके लागल, हमरो चाय सेरा गईल रहे आ चर्चा , हर दिन के जइसे ,सवाल के जवाब खातिर प्रश्नवाचक चिन्ह (?)लगा के स्थगित हो गईल रहे ।

हमहुँ सोंचत – बिचारत एह ठंढी के ललकारत , नदी किनारा चल देहनी की बासे उन्हवे बइठ के गहन चिंतन होई ।।।

बब्लु सिंह जी के लिखल अउरी रचना पढ़े खातिर क्लिक करि

रउवा खातिर:
भोजपुरी मुहावरा आउर कहाउत
देहाती गारी आ ओरहन
भोजपुरी शब्द के उल्टा अर्थ वाला शब्द
जानवर के नाम भोजपुरी में
भोजपुरी में चिरई चुरुंग के नाम

NO COMMENTS

आपन राय जरूर दींCancel reply

Exit mobile version